पिता का बलिदान की कहानी – Moral Stories in Hindi

Hindi Kahaniyan : यह एक प्रकार का मोरल कहानियां जिसमें पिता अपने बच्चों के पिता का बलिदान की कहानी के बारे में जिक्र किया गया है। एक हिंदी कहानी में हम लोग पिता के Story in Hindi के बारे में जानेंगे।

Moral Story in Hindi इस कहानी को बच्चों के लिए सबसे ज्यादा पढ़ना नायक हिंदी कहानियां में सबसे उच्चतम दर्जी की कहानी को माना गया है। क्योंकि इस प्रकार की कहानी से माता-पिता के प्रति बच्चों को बहुत ज्यादा विश्वास देखने को मिलता है और वह अपने पिता अथवा माता को हर चीज नजरों से देखा करने लगते हैं। चलो अब हम लोग Story of Father’s Sacrifice in Hindi, Father’s Sacrifice Story in Hindi को आगे बढ़ाते हैं।

पिता का बलिदान की कहानी – Moral Stories in Hindi

पिता का बलिदान की कहानी - Moral Stories in Hindi
पिता का बलिदान की कहानी – Moral Stories in Hindi

एक गांव में एक पिता और एक पुत्र एक साथ एक ही घर में रहा करता था पिता का नाम रूपेश था और पुत्र का नाम सनी। रुपेश एक बहुत ही गरीब और लाचार परिवार से संबंध रखता था इस कहानी में गरीब लाचार कहने का अर्थ यह है कि रुके सपने घर के कुल खर्चे अथवा किसी भी जरूरत के सामान को लेने के लिए बहुत सारे कार्य करने पड़ते थे साथ ही उनके पास कुछ भी पैसे बचे हुए नहीं थे कि उनकी जिंदगी आसानी से कर सकते हैं।

हमारे कहने का स्पष्ट मतलब है कि वह एक प्रकार का बहुत ही गरीब लोग थे साथ ही उन्होंने अपने पुत्र सनी के साथ अपने घर में रहता था। उनका पुत्र बहुत ज्यादा जिद्दी लड़का था वह अपने पिता से बहुत सारी चीजों को खरीदने के लिए बचपन से ही अपने पिता से बहुत ज्यादा जिद्दी किया करता था।

सनी के पैदा होते वक्त उनके माता का देहांत हो गया था इस कारण से वे लोग और भी ज्यादा गरीब हो चुके थे। क्योंकि उनके माता-पिता पहले से ही बहुत ज्यादा गरीब थे और बाद में जब सनी का जन्म हो रहा था तभी उनके माता जी के इलाज में बहुत सारे पैसे खर्च हो चुके थे इस कारण से भी लोग और भी गरीब हो चुके थे।

सनी हमेशा अपने दोस्तों के साथ घूमा करता था और अपने पिता के कार्य में किसी भी तरह का हाथ नहीं बताता था। क्योंकि मुझे मेहनत और पैसे किस तरह से आते हैं उन्हें यह पता नहीं था और वह हमेशा नई नई चीजों को खरीदने के लिए पिता से काफी ज्यादा नाराज हुआ जाता था।

उसके अमीर दोस्त जिन जिन चीजों को खरीदते थे और उनका इस्तेमाल करते थे सनी भी अपने पिता से उन्हीं चीजों को खरीदने का जीद किया करता था। वह अपने पिता से आए दिन बहुत सारे बहुत पैसे के सीधे स्मार्टफोन बाइक साइकिल अथवा तरह-तरह की चीजें खरीदने के लिए अपने पिता को कहते थे।

जब उनके पिता रुपेश कोई भी चीज है उन्हें देने से मना करता था तो वह बहुत ज्यादा नाराज हो जाता था और एकदम खाना पीना को छोड़ दिया करता था। इसी कारण से उनके पिता उनके किसी भी चीज को मांगने से पहले ही खरीद दिया करते थे चाहे उसकी कीमत उन्हें दिन रात काम करके क्यों ना चुकानी पड़े।

एक दिन की बात है सनी कॉलेज जाता है अपने दोस्तों के साथ और उसका अमीर दोस्त एक आईफोन खरीद कर उसके सामने इस्तेमाल कर रहा था और कह रहा था कि देखो मैंने कल ही एक आईफोन लिया है। इतना कहते ही सनी भी अपने दोस्त को कहा कि थोड़ा सा मुझे भी इस्तेमाल करने दे दो देखता हूं आईफोन की तरह से काम करता है।

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इतना कहते ही उनका अमीर दोस्त कहता है कि तुम इस तरह की है स्मार्ट फोन को कैसे खरीदोगे तुम्हारे पास तो इतने पैसे भी नहीं है तुम्हारे पिता के पास भी इतने पैसे नहीं है कि वह तुम्हें आईफोन खरीद कर दे सकता है। तभी वह अचानक अपने घर जाता है और अपने पिता से कहता है कि पिताजी मुझे एक हाई फोन दिला दो नहीं तो मैं स्कूल कॉलेज नहीं जाऊंगा और ना ही खाना पीना खाऊंगा।

इतना सुनने के बाद उनके पिता की हालत खराब हो जाती है क्योंकि उनके पिता रुपेश जी इतनी ज्यादा बूढ़े हो चुके थे कि उनसे एक काम नहीं हो पाता था और कोई भी उन्हें काम पर नहीं रखता था। क्योंकि होगा अब अपने कार्य को सही समय पर करने में असमर्थ हो गए थे और एक बूढ़े से इससे ज्यादा क्या उम्मीद कर सकते हैं।

सनी अपने पिता को अपनी ख्वाहिश की लिस्ट बताएं कर घर से बाहर चले जाता है और कहता है कि मुझे कल तक आईफोन चाहिए ही चाहिए नहीं तो मैं आज के बाद घर भी नहीं आऊंगा और खाना भी नहीं खाऊंगा। ऐसे में उनके पिता काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं उनकी तबीयत तो पहले से ही खराब थी वह सोचने लगता है कि मेरे पास तो इतने पैसे नहीं है कि मैं सनी को आईफोन दिला सकूं।

और सनी नहीं ज्यादा जिद्दी लड़का है कि उन्हें कुछ समझ भी नहीं आएगा वहां उन्हें वह समझा भी नहीं पाएगा कि उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं है वह कहां से आई फ़ोन खरीद के देगा उसे।

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पिता का बलिदान की कहानी - Moral Stories in Hindi

फिर भी अपने बेटे सनी की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए उनके पिता बाहर चले जाते हैं मार्केट की तरफ और काम की तलाश में इधर-उधर घूमते रहते हैं। वह बहुत सारे लोगों से पूछता है कि किसी भी घर प्रकार का काम है उनके लिए कोई भी उन्हें काम पर रखने के लिए राजी नहीं होता है। वह बहुत ज्यादा अपने शहर में घूमता रहता है और काम की तलाश करता रहता है ताकि उससे कुछ पैसे को कमा कर वह अपने बेटे के लिए आईफोन खरीद रखे हैं।

बहुत ज्यादा थक जाने के बाद रुपीस मतलब की सनी के पिताजी एक जगह कहीं बैठ जाते हैं। अचानक उनके सामने से एक आदमी के गुजर होती है जो साइकिल पर बहुत सारे नारियल के फल को ले जा रहा था। सनी के पिताजी रूपेश उसे कहते हैं कि मैं आपकी हेल्प कर दूंगा क्या आप मुझे अपने घर में कार्य करने के लिए रखेंगे मेरे पास पैसे नहीं है और अब पैसे के लिए मुझे काम की जरूरत है।

रूपेश को काम पर रखने के लिए वह व्यक्ति मान जाता है और कहता है कि लेकिन मेरी एक शर्त है तभी मैं तुमको काम पर रख लूंगा। रुपेश कहते हैं कि मैंने आपकी सभी शर्तों को पूरा करने के लिए तैयार हूं कृपया करके हमें बताएं आप की क्या शर्ते हैं। तभी वह आदमी कहना है कि मैं तुम्हें टाइम पर काम दिया करूंगा अगर तुमने सही समय पर काम कर दिया तभी तुम्हें पैसे मिलेंगे अगर तुम्हारे काम में जरा सा भी विलंब हुआ तो हम उन काम के बदले में किसी भी प्रकार का पैसा नहीं देंगे।

इस बात को सुनकर रुपेश काफी ज्यादा नाराज हो जाता है लेकिन फिर भी वह हां कर देता है क्योंकि उनके पास और कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है पैसा कमाने के लिए। उनके घर जाता है कार्य करने के लिए और दिन भर कहां रही है करने के बाद वह अपने घर जाता है पैसे लेकर और एक बक्सा में पैसे को रख देता है।

कुछ दिन बीत जाने के बाद रुपेश देखता है कि उसके गुस्से में बहुत सारा धन जमा हो गया था जिससे एक मोबाइल खरीदा जा सकता है। रुपेश के बक्से में लगभग 10 से ₹15000 हो गए थे और वह मोबाइल खरीदने के लिए अब बाजार जाने के लिए तैयार थे।

उन्होंने सोचा कि अगर मैं सनी को कहूंगा कि चलो मोबाइल करते हैं 2 बार ज्यादा खुश नहीं होगा अगर मैं खुद ही मोबाइल खरीद कर ला कर सनी को दूंगा तो हुआ ज्यादा खुश हो जाएगा। यह सोच कर लूंगा मार्केट की तरफ बढ़ने लगा वह मार्केट जाता है और एक अच्छा सा मोबाइल 12000 में खरीद कर लेकर आने लगता है।

वजह से ही अपने गांव के सड़क पर जाने और पहुंचने वाला था वैसे ही उनके पीछे से एक कार आई और रूपेश को टक्कर दे मारी। रुपेश काफी ज्यादा घायल हो चुका था लेकिन उनके बेटा सनी का कुछ भी अता पता नहीं था आप भी ज्यादा वक्त होने के बाद रुपेश का बहुत ज्यादा खून निकल रहा था और उनके आसपास कोई आदमी भी नहीं दिख रहा था जो उसे सही समय पर अस्पताल पहुंचाएं।

जैसे ही शाम होती है सनी अपने दोस्तों के साथ खेल कूद कर अपने घर आता है और देखता है कि घर में पिताजी नहीं है। हुआ अपने पिताजी को इधर-उधर ढूंढने लगते हैं फिर भी नहीं मिलता है तो होगा अपने दोस्तों से पूछते हैं और अपने गांव के आसपास के इलाकों में देखने जाते हैं।

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पिता का बलिदान की कहानी - Moral Stories in Hindi

अपने पिता को खोजने के लिए वह गांव में इधर उधर टहल ही रहा था कि उनके दोस्त से उसकी मुलाकात होती है उनका दोस्त कहता है कि तुम यहां क्या कर रहे हो तभी सनी कहना है कि मैं अपने पिताजी को ढूंढ रहा हूं तुमने कहीं देखा है क्या। तभी उनका दोस्त कहता है कि तुम्हारे पिताजी का दुर्घटना हो गया है मैं अभी अभी उसे अस्पताल पहुंचा कर आया हूं तुम जाओ अपने पिता के पास मिल लो मैं तुम्हें ही यह खबर पहुंचाने जा रहा था।

सनी अपने पिता को देखने अस्पताल जाता है और देखता है कि उनके पिता रुपेश जी एक बेड पर लेटा हुआ है जो कि कौन से बहुत ज्यादा लाजपत है और हाथ में एक स्मार्टफोन रखा हुआ है। यह देखकर सनी आश्चर्य की तरह जाता है और अपने पिताजी से पूछता है कि पिताजी आपको क्या हुआ है आप शहर क्यों कहते हैं अगर आपको किसी भी प्रकार का कोई सामान खरीदना होता है तो आप मुझे कहते हैं आज आपने खुद ही चले गए ऐसा क्यों किया।

तभी सनी कहता है कि क्या आपने मेरे लिए मोबाइल खरीदी है मैं मोबाइल के बिना खाना पीना भी नहीं खाऊंगा और पिछले 1 महीने से मैंने घर भी नहीं गया और घर का खाना भी नहीं खाया मैं बाहर ही खा रहा हूं सिर्फ घर में सोने के लिए जाता हूं। इतनी में लगी पिताजी कहते हैं कि मैं मार्केट तो तुम्हारे मोबाइल लाने के लिए ही गया हूं यह लो तुम्हारी मोबाइल है।

वह जैसे ही मोबाइल को देखता है तो उसमें देखता है कि बहुत ज्यादा खून लगा हुआ है और अपने पिताजी से कहता है कि आप मुझे क्यों नहीं बताएं मैं खुद ही जाकर ले आता है। तभी उनके पिताजी कहते हैं कि अगर मैं तुम्हें कहता है कि जाओ मोबाइल लेकर आओ तो तुम ज्यादा खुश नहीं होते अगर मैं खुद ही खरीद कर ला कर देता तो तुम ज्यादा खुश हो पाते इसी कारण से मैं खुद ही मार्केट चला गया था मोबाइल लेने के लिए।

इतना कहते ही सनी के आंखों में आंसू आ गए और वह कहने लगा कि पिताजी मेरे खारा नहीं आपको इतनी ज्यादा खून निकल रहा है और इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई है। अब मैं आपसे कभी भी किसी भी तरह का कोई भी सामान लेने के लिए ज्यादा परेशान नहीं करूंगा। और आज के बाद आप घर में रहेंगे मैं काम करूंगा और आपका ध्यान भी रखूंगा।

पिता का बलिदान कहानी का निष्कर्ष

पिता के बलिदान की कहानी में हमने यह जाना है कि हमें अपने पिता से किस तरह से देखभाल करनी चाहिए और अपने पिता को किस तरह से किसी भी चीज के लिए जाना जिद्दी नहीं करना चाहिए। साथ ही अगर हम एक मिडिल क्लास के फैमिली से हैं तो हमें ज्यादा एक चाय नहीं रखनी चाहिए क्योंकि ज्यादा इच्छाएं हमें ज्यादा पैसा खर्चा करने पर मजबूर कर देती है।

इस कहानी में हम लोग पिता का बलिदान पिता क्या चीज होता है पिता से किस तरह से हमें तालुकात रखना होता है तथा पिता हमारे लिए क्या-क्या करते हैं इन सभी चीजों के बारे में जाना है उम्मीद है कि आप सभी लोग भी इस कहानी को पढ़कर अपने अपने पिता को सम्मान की नजर से देखेंगे और उन्हें ज्यादा परेशान करने का प्रयास नहीं करेंगे।

FAQ पिता का बलिदान की कहानी
  1. पिता का बलिदान की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

    किधर है बलिदान की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पिता के बारे में भी सोचना चाहिए और उनके मेहनत तथा उनके पैसों को ज्यादा बर्बाद नहीं करना चाहिए।

  2. सनी अपने पिता से क्या चीज खरीदने के लिए कहा था है?

    सनी अपने पिता से एक आईफोन खरीदने के लिए कहा था।

  3. सनी को मोबाइल खरीदने के लिए कहां से आए थे?

    सनी अपने दोस्तों के मोबाइल को देख कर अपने पिता से मोबाइल खरीदने के लिए कहा था।

  4. सनी के पिता रूपेश का दुर्घटना क्यों हुआ?

    सनी के पिता और ओवैसी का दुर्घटना सनी गया मोबाइल लाने के कारण ही हुआ था।

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