Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani | खरगोश कछुआ की कहानी – Best Stories

खरगोश और कछुआ: दोस्तों आज के इस लेख में हम शॉर्ट स्टोरी किड्स इन हिंदी के लिए Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani आप लोगों के लिए लाया हूं। क्योंकि कहानियां बच्चों के दिमाग में एक परिवर्तन मतलब की एक सकारात्मक परिवर्तन लाता है। हां बच्चों के लिए कहानियां बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है उनके मस्तिष्क पर कहानियों से बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है जिसके कारण हम सभी को यह छोटे-छोटे बच्चे को कहानियां हमेशा सुननी चाहिए।

आज की कहानी में दो किरदार है एक खरगोश दूसरा कछुआ यह कहानी कुछ ही मिनटों में शुरू होने वाली है। उम्मीद है इस कहानी से आप लोग बहुत कुछ सीख पाएंगे क्योंकि कहानियां हमेशा जीवन जीने की कला को सिखाती है। Story Hindi साइट पर बहुत सारी कहानियां प्रकाशित की जाती है।

Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani in Hindi

बहुत पुराने समय की बात है एक जंगल था और जंगल में बहुत सारे जानवर मिलजुल कर रहा करते थे। जंगल के सभी जानवर एक साथ मिलजुल कर रहने के कारण बहुत ज्यादा खुश रहते थे और आपस में सभी काम मिलजुल कर किया करते थे।

Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani
Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani

एक दिन की बात है कि जंगल के सभी जानवर सोचा कि चलो कुछ मनोरंजन करते हैं, और यही ख्याल से उन्होंने एक प्रतियोगिता रखने की सोचा। जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर एक मीटिंग किया और उन्होंने सभी जंगल की जानवरों को यह निर्देश दिया कि सभी लोगों को एक-एक करके एक दूसरे के साथ दौड़ लगाना है जो जीतेगा उन्हें बड़ा इनाम मिलेगा।

उसी समय जंगल में जानवरों की बीच एक तेजतर्रार खरगोश रहा करता था। वह मन ही मन मुस्कुरा रहा था कि जंगल के सभी जानवर से अधिक तेज ही तो हो सकती हूं। खरगोश मन ही मन बहुत सारा खुशी था क्योंकि जिस दिन झुंड में खरगोश रहा करता था। उस ग्रुप में खरगोश से ज्यादा कोई नहीं तोड़ सकता था।

यह सोच कर खरगोश बहुत सारा घमंडी हो गया था अगर किसी से चित्र से बातचीत नहीं करता था। खरगोश को पूरा विश्वास था कि इस प्रतियोगिता में वही सबसे आगे निकलने वाला है और उन्हें यह एक बहुत बड़ा इनाम मिलने वाला है।

खरगोश कछुआ की कहानी

जैसे जैसे दिन नजदीक आते गया खरगोश को ज्यादा घमंड होते गया। खरगोश तो उस प्रतियोगिता के लिए बहुत कुछ दिखाई देता था लेकिन जंगल के सभी जानवर या सोच कर अपने आप में चिंतित था कि वह इस प्रतियोगिता में जीतेगा या नहीं।

अंतिम समय में एक प्रतियोगिता शुरू हुई तो खरगोश और एक कछुआ के साथ उसके प्रतियोगिता शुरू यह देखकर खरगोश मन ही मन बहुत ज्यादा खुश हो रहा था कि कछुआ तो उनकी बराबर चल भी नहीं सकता दौड़ने की बात ही अलग है।

वास्तव में यह सच बात है कि कछुआ बहुत धीमी गति से चलता है, लेकिन एक खरगोश बहुत ज्यादा तेज दौड़ सकता है। ऐसा माना जा सकता है कि इस प्रतियोगिता में खरगोश की जीत लगभग 99% तक हो सकती है।

जैसे ही प्रतियोगिता शुरू होती है खरगोश बहुत तेज से दौड़ने लगता है खरगोश दौड़ते दौड़ते आधा दूर से ज्यादा पहुंच जाता है। जब खरगोश पीछे मुड़कर देखता है तो कछुआ दूर-दूर तक नजर नहीं आता है। यह देख कर खरगोश मन ही मन मुस्कुराता है और कहता है कि क्यों ना हम कुछ देर एक पेड़ के नीचे आराम कर ले तब तक कछुआ भी कुछ दूर आ जाएगा।

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लेकिन कछुआ बेचारा धीरे-धीरे अपनी गति से चल ही रहा था कछुआ प्रतियोगिता शुरू होने के बाद एक भी जगह नहीं रुका और वह लगातार अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाते रहा।

जब कछुआ आधे दूर पहुंचता है तो हुआ देखता है कि खरगोश एक पेड़ के नीचे सो रही है। यह देख कर कछुआ मन ही मन मुस्कुराता है और आगे बढ़ जाता है और आगे दौड़ते हुए चल पड़ता है।

दोस्तों आज हम लोग Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani की कहानी के बारे में पढ़ रहे हैं, जिसमें एक कछुआ और खरगोश की कहानी के बारे में बताया जा रहा है। हमें उम्मीद है कि यह कहानी आपको कुछ सिखाने के लिए प्रेरित करेगी। चलिए वहां की कहानी को बढ़ाते हैं और जानते हैं कछुआ और खरगोश के कहानी बारे में।

कुछ देर बाद खरगोश की नींद टूटती है और वह आगे दौड़ लगाने लगती है। खरगोश के यह पता नहीं था कि वह कितना देर सोया है उन्हें लगता है कि वह कुछ ही देर सो कर उठ गया है। खरगोश को लगता है कि कछुआ भी पीछे ही होगा धीरे-धीरे दौड़ता होगा। यह सोच कर खरगोश भी धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगता है

जब खरगोश अपनी मंजिल पर पहुंचता है तो देखता है कि कछुआ पहले से ही पहुंचा है। और कछुआ वहां पहुंचकर आराम से बैठ कर हंस रहा था। या देखकर खरगोश आश्चर्यचकित रह गया उन्होंने सोचा कि कछुआ इतना जल्दी किस तरह से यहां तक पहुंच गया।

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यह सोच कर खरगोश बहुत दुखी था कि अगर वह बीच रास्ते में नहीं सोता था आज वह इस प्रतियोगिता के हीरो होता और मैंने बहुत सारा पुरस्कार भी मिलता। लेकिन यहां बात उल्टा हो गया। खरगोश बीच में सो गया था और कछुआ लगातार चलता रहा और इस प्रतियोगिता में उन्होंने अपनी जीत दर्ज कराई।

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यह देख कर जंगल के सभी जानवर को यह सीख मिल गई की किसी को भी छोटा बड़ा नहीं समझना चाहिए। और किसी को भी काम नहीं समझना चाहिए क्योंकि सभी अपनी जगह पर और अपनी अपनी क्षमता के अनुसार अच्छे होते हैं। खाना नहीं है कि सभी जानवरों है या सभी लोगों को एक जैसी क्षमता भगवान नहीं देते हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोई भी अपनी क्षमता से कम है।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने जीवन में हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए। अगर कोई मेरे से आगे है तो हम उसे आगे निकलने की कोशिश करेंगे और लगातार आगे बढ़ते जाएंगे।

साथ ही Khargosh Aur Kachhua Ki Kahani से हमें यह सबक मिलती है कि हमें किसी भी छोटे लोगों को या छोटे जानवरों को बिल्कुल भी छोटा नहीं समझना चाहिए। क्योंकि कोई छोटा कोई बड़ा होता है लेकिन सब अपनी अपनी जगह बिल्कुल सही होता है।

खरगोश और कछुआ की कहानी क्या है?

खरगोश और कछुआ की कहानी में दोनों की हार जीत के बारे में दर्शाया गया है।

खरगोश और कछुआ की कहानी से क्या सीख मिलती है?

खरगोश और कछुआ की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए, वक्त पर सभी बड़े होते हैं।

खरगोश और कछुआ की दौड़ में कछुआ क्यों जीता?

क्योंकि कछुआ एक भी जगह नहीं रुका और लगातार दौड़ते रहा इसके विपरीत खरगोश बीच रास्ते में ही सो गया था आराम करने के लिए।

खरगोश और कछुआ एक साथ क्यों भाग रहे थे?

जंगल में रह रहे सभी जानवरों ने मिलकर एक प्रतियोगिता निकाली थी जिसके कारण खरगोश और कछुआ एक साथ भाग रहे थे।

खरगोश और कछुआ की कहानी में खरगोश क्यों सो गया था?

खरगोश यह सोचकर आराम करने लगा था कि कछुआ भी बहुत दूर में है उन्हें पहुंचने के लिए ज्यादा समय लगेगा।

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