Ganesh Ji Ki Katha को सुनना हमारे अथवा हमारे बच्चों के लिए काफी ज्यादा जरुरी होता है। आपको बता दे की गणेश जी की कहानी और गणेश जी की छोटी सी कहानी, गणेश जी की छोटी सी कहानी, गणेश जी की व्रत कथा बुधवार, गोबर गणेश की कथा भी बहुत ज्यादा पॉपुलर माना जाता है। ऐसे में हमारे बच्चों को हमेशा भगवान गणेश की तरह सच्ची और अच्छी रास्तों पर चलना चाहिए।
Ganesh Ji Ki Katha – विनायक जी की कथा
हमारे बच्चों को भी श्री भगवान गणेश की तरह ही अपनी कहानी सुनाना चाहिए। आपको बता दे भगवान श्री गणेश जी की अच्छी-अच्छी कहानियां इस लेख में दिया गया है।
1. दशा माता के दिनों सुने जाने वाले गणेश जी की कहानी
बहुत पुराने जमाने की बात है रामू नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी सुनैना के साथ तथा अपने एक बेटा और एक बेटी के साथ एक बहुत बड़े मकान में रहा करता था। श्री गणेश भगवान जी का मतलब विघ्नहर्ता जी का बहुत बड़ा भक्त था। और अपने घर में हमेशा हमेशा गणेश भगवान जी की पूजा किया करता था तथा उसके लिए के लिए भोग लगाया करता था।
गणेश भगवान की पूजा करने के साथ-साथ हुआ अपने परिवार अथवा अपने रिश्तेदार के सांसद आपने आज पड़ोसियों के साथ अच्छा सलूक किया करता था। जिस कारण से उसकी तरक्की बहुत ज्यादा होने लगी थी। क्योंकि वह किसी भी परिस्थिति में हूं भगवान गणेश की पूजा किए बगैर खाना भी नहीं खाता था।
ऐसे में भगवान गणेश खुश होकर उन्हें बहुत ज्यादा दान दिया करता था। रामू जिसकी बिजनेस में अपना हाथ लगाता था उसमें बहुत ज्यादा तरक्की मिलते थे। उसकी एक बेटी और एक बेटा था। रामू की बेटी की शादी की उम्र हो गई थी। रामू सोच रहा था कि मैं अपनी बेटी के लिए ऐसा घर ढूंढ लूंगा। जिसमें गणेश भगवान की बहुत ज्यादा पूजा होती होगी।
किस्मत से ढूंढने के बाद रामू को ऐसा घर मिल जाता है और वह अपनी बेटी की शादी उसी घर में कर देता है। जैसे ही रामू की बेटी पूजा उस घर में पहुंचती है उसी घर में भी बहुत ज्यादा तरक्की होने लगती है।
यह देख कर उसके पड़ोसियों ने राजा को जाकर कहता है कि हमारे पड़ोस में एक लड़की की शादी होकर आई है। उसके घर आते ही उसके घर में धन का अंबार लग गया है। अगर आप उस बहू को राजमहल में रखेंगे तो राजमहल में कभी भी किसी तरह से नुकसान नहीं होगा और हर राजकोष हमेशा भरा रहेगा।
राजा अपने नौकरों से कहता है कि जाओ जाकर उस बहू को बुलाकर राजमहल बुलाकर ले आओ। नौकर जाता है और पूजा को कहता है कि तुम्हें राजा ने राजमहल बुलाया है। कभी पूजा बहू कहती है कि ठीक है मैं 10 दिनों बाद जाऊंगी। राजा इस बात को खुशी-खुशी मान लेता है।
उसी दिन से राजा की उल्टी गिनती शुरू हो जाती है। उसे बहुत ज्यादा बीमारी होने लगे थे हाथ पैर फूलने लगे थे और वह बिल्कुल भी खराब स्वास्थ्य में हो गया था। उन्होंने बहुत सारे वेद और डॉक्टरों को दिखाया लेकिन कोई भी काम नहीं आया। फिर वह पंडित को बुलाया और कहा कि जरा मुझे देखकर बताइए कि क्या कारण हो सकता है। तभी पंडित जी कहते हैं कि आपने किसी स्त्री की मान सम्मान को ठेस पहुंचाया है। उसे गलत नियत से आपने देखा है यही कारण आपको गणेश भगवान जी दंडित कर रहे हैं।
तभी राजा अपनी नौकर के साथ उसी के घर जाता है और से माफी मांगता है। साथ ही साथ अपना करो सॉरी कहता है कि जाओ जाकर माफी मांगो अच्छी तरह से। पूजा बहू खुशी-खुशी सब को माफ कर देती हैं। क्योंकि भगवान श्री गणेश जी का बहुत बड़ा भक्त थे।
2. सबसे सुंदर कौन है – भगवान गणेश की अनोखी कहानी
एक बार की बात है भगवान श्री गणेश अपनी पिताजी भगवान शंकर से कहते हैं कि आपने जो अपने गले में तथा अपने सर में इतने सारे माला अथवा कुंड पहने हुए हैं। इसकी वजह से आपकी सुंदरता कम हो रही है कृपया करके हमें आप इन सभी चीजों से हटकर एक सीधा-साधा तथा इन सभी चीजों को हटाकर अपना चेहरा दिखाइए।
भगवान शंकर ने अपने पुत्र श्री गणेश जी की बात मान ली थी। उन्होंने एक दिन जब नदी से नहा कर निकल रहे थे तो उसके गले में कोई माना तथा कोई कुंड नहीं था। वह देखने में अपार सुंदर लग रहे थे। यह देखकर भगवान श्रीगणेश समेत गौरी और बहुत सारे भगवान देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे।
क्योंकि इतना सुंदर चेहरा वह भी भगवान शंकर का उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। फिर उसके बाद श्री गणेश जी ने अपने पिता जी शंकर जी से कहते हैं कि आप पहले वाले मतलब कि पूर्व में जैसे दिखते थे वैसे बन जाइए। तभी भगवान शंकर आश्चर्यचकित होकर अपने पुत्र श्री गणेश से पूछती हैं कि ऐसी क्या बात है।
तभी भगवान श्री गणेश कहते हैं कि पूरी सृष्टि में सबसे ज्यादा सुंदर सबसे अति सुंदर मेरी मां है मैं नहीं चाहता कि उससे भी ज्यादा कोई सुंदर दिखे। उसके बाद भगवान शंकर ने मुस्कुराते हुए अपने पूर्व में दिख रहे हैं वैसे ही बन गए थे।
3. एक छोटी लड़की और भगवान श्री गणेश की कहानी
एक गांव में एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी। उस गांव से थोड़ी ही दूर में एक मेला लगने वाला था। जिस दिन मेला लगने वाला था उस दिन उसकी मां कहती है कि बेटी तुम्हें मेला नहीं जाना चाहिए तुम बार-बार कहती हो मेला देखने जाऊंगी।
तभी लड़की अपनी मां से जीत करती है कि मां मुझे मेला देखने जाना है। लेकिन उसके बावजूद उसकी मां कहती है नहीं मेले में अगर जाओगी अकेली तो गुम हो जाओगी। लेकिन फिर भी लड़की नहीं मानती है और वह मिला जाने की जिद करती है।
मेला जाने से पहले उस लड़की की मां लड़की को दो लड्डू और थोड़ा सा पानी देती है। उसके मां कहती है कि मेला जाना है और वहां पर गणेश जी को आधा पानी दे देना और एक लड्डू दे देना बाकी पानी तुम पी लेना और एक लड्डू तुम भी खा लेना।
देखते-देखते का काफी जाना शाम हो जाती है लेकिन अभी तक लड़की क्यों नहीं आई थी। गांव के सभी लोग जितने भी मेला देखने के लिए गए थे सभी लोग आ जाते हैं। ऐसे में उसकी मां की चिंता बढ़ जाती है कि उसकी बेटी कहां गई है अभी तक घर नहीं पहुंची है। लेकिन उसकी बेटी भगवान श्री गणेश की मंदिर में जाकर उसे एक लड्डू खाने और पानी पीने के लिए इंतजार कर रही थी।
वो लड़की सोच रहे थे कि मां ने जैसा कहा था वैसा करके ही मैं घर जाऊंगी। उसके बाद भगवान श्री गणेश को लगा कि मैं अगर यह पानी नहीं पी लूंगा और यह लड्डू नहीं खाऊंगा तो यह लड़के घर भी नहीं जाएगी। उसके बाद भगवान श्री गणेश एक छोटा बच्चा के रूप में आता है और पानी और लड्डू खा लेते हैं। उसके बाद वह लड़की खुशी-खुशी अपने घर चली जाती है।
जैसी घर पहुंचती है उसकी मां कहती है कितना देर कहां रह गई थी। तभी वह लड़की कहती है कि आपने जैसा कहा था मैं वैसा ही करके भगवान श्री गणेश को लड्डू और पानी मिलाकर घर आ रही हो। उसके बाद से भगवान श्री गणेश की कृपा उस लड़की पर बरसने लगती है। उसे धन दौलत अता एक अच्छा सा वर मिलता है भगवान श्री गणेश के कृपा के कारण।
4. कंजूस औरत की कहानी – भगवान गणेश की कहानी
बहुत पुराने जमाने की बात है एक घर में एक बहू और उसके सासू मां रहती थी। उसके सासू मां बहुत ज्यादा लालची किस्म किया औरत थी। वाह पूजा पाठ तो करती थी लेकिन उसका पूरा ध्यान धन दौलत अथवा अपने दान दान और को बचाने में होता था।
एक दिन उसकी सासू मां अपनी बाहों से कहती है कि मैं आज एकादशी का व्रत रखा हूं। आज मैं अपने हाथों से किसी ब्राह्मण को भोजन पर बुलाने की दावत देने वाली हूं। लेकिन अगर किसी बड़े ब्राह्मण को बुलाओगी तो बहुत सारा खाना खाएगा।
ऐसा करो कि तुम बाहर जाकर किसी ब्राह्मण के बच्चों को दावत देकर आ जाओ। बच्चे आएंगे तो मेरा पूरा काम भी हो जाएगा और हमारी भोजन भी कम खाएंगे। बहु पहाड़ जाती है और ब्राह्मण के एक छोटे से बच्चे को आवाज देती है। वह बच्चा आता है बहू कहती है कि मेरे घर में आज दावत है तुम्हारा खाना बन जाएगा तो तुम मेरे घर आ कर खा लेना।
उसके बाद वो छोटा सा बच्चा कहता है कि मेरा नाम गणेश है आपको जब भी बुलाना रहेगा आप गणेश गणेश बोलिएगा मैं आ जाऊंगा। खाना बन जाने के बाद बहू बाहर जाती है बुलाने के लिए तो देखता है कि वह लड़का नहीं है वहां पर। अचानक बहू को लड़के की बात याद आ जाती है और वह अपने मन में गणेश गणेश कहता है।
अभी तुरंत ही वह लड़का के सामने आ जाता है और उसके घर में चला जाता है खाना खाने के लिए। वह लड़का खाना खाते रहता है खाते रहता है जितना देती है सभी खा जाता है सारे सारे घर में बना सभी खाना को कहा जाता है। उसके बाद छोटा बच्चा कहता है कि मुझे आप गिफ्ट दीजिए एक सोने की बर्तन। तभी वह बहू अपनी सासू मां की जाती है और कहती है सासू में बहुत ज्यादा कंजूस थी लेकिन फिर भी वह दे देती है।
अब अपना सामान लेकर छोटा बच्चा बाहर जाता है। जैसे ही बहू और उसके साथ दोनों घर आती है देखती है तो उसका घर पूरा सोना चांदी से भरा हुआ है। अब उसके बाद होगा कभी भी कंजूस वाली नियत से किसी को भी दान नहीं दिया करती थी।
गणेश जी की कथा के बारे में
आज की इस Story में हमलोग Ganesh Ji Ki Katha के बारे में सुनने का प्रयास कर रहे थे। हम सभी को भगवान श्री गणेश जी की कहनी तथा गणेश जी की किस्सों को प्रतिदिन सुन्ना चाहिए।
आज की इस आर्टिकल में भगवान श्री गणेश की कथा के साथ-साथ गणेश जी की कहानी खीर वाली, विनायक जी की कहानी, गणेश जी की कथा दादी मां, Ganesh ji ki aarti, गणेश जी की कथा लिरिक्स इत्यादि को इस कहानी में शामिल किया गया है।
हमें उम्मीद है की हमारी तरफ से जारी किया गया ये कहानी आप सभी को काफी ज्यादा पसंद आया होगा। अगर यह कथा आपको पसंद आता है तो कृपया करके इसे अपनी सोशल मिडिया हैंडल पर जरूर शेयर करें।
FAQ for Ganesh Ji Ki Katha
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गणेश जी की कथा क्या है?
गणेश जी भगवान शिव और माता गौरी का पुत्र है जो हाथी सर धारण करते है।
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भगवन गणेश का सबसे प्यारा भोग क्या है?
भगवान गणेशा का सबसे प्यारा भोग मोदक और दूध वाली खीर है।
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गणेश जी का जन्म कैसे हुआ था?
भगवान श्री गणेश जी का जन्म माता गौरी की मेल अथवा हल्दी उबटन को उतारने के बाद उसी से एक प्रकार की मूर्ति बनाकर उसमें जान दाल दिया गया था।
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भगवन गणेश को क्या नहीं चढ़ाना चाहिए?
भगवान गणेश को सफ़ेद रंग की चीजे चढ़ाना नहीं चाहिए।