Bandar Aur Magarmach Ki Kahani | बंदर और मगरमच्छ की कहानी

बंदर और मगरमच्छ की कहानी – पहले के दिनों में बंदर और मगरमच्छ की कहानी बहुत ज्यादा पॉपुलर हुआ करती थी। जैसे-जैसे समय बीतता गया और दादी नानी या तो घर के बड़े बुजुर्गों व्यस्त होने लगे। तभी कहानियों का दौर खत्म होने लगा था। लेकिन जैसे ही इंटरनेट आया कहानियों का दौर फिर से शुरू हो गया। इसलिए की कहानी में हम लोग Bandar Aur Magarmach Ki Kahani, बंदर और मगरमच्छ की कहानी, पंचतंत्र की कहानियां के बारे में पढ़ेंगे।

जैसे जैसे लोगों को इंटरनेट तक पहुंच हुई है और इंटरनेट जैसे-जैसे प्रचलित होता जा रहा है। जैसे-जैसे लोगों तक स्मार्टफोन और कंप्यूटर की पहली बात रही है। वैसे वैसे फिर से कहानियों का नया दौर शुरू हो रहा है। आपको बता दें कि StoryHindi.net नामक वेबसाइट इंटरनेट पर बहुत सारी कहानियां को प्रकाशित करती है।

यहां आप छोटी-छोटी कहानियां, Short Stories in Hindi, Love Story in Hindi, Motivational Story in Hindi इत्यादि का पूरा लिस्ट शामिल है जहां से आप अच्छी अच्छी कहानियां को पढ़ सकते हैं। तो चलिए अभी हम लोग बंदर और मगरमच्छ की कहानी को आगे बढ़ाते हैं।

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani
बंदर और मगरमच्छ की कहानी

एक जंगल के बीचो बीच एक नदी बहती थी। उस नदी में एक एक मगरमच्छ की रहा करता था। मगरमच्छ बहुत बड़ा हो गया था जिस कारण से उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होने लगी थी। मगरमच्छ खाने पीने के लिए इधर-उधर भटक ही रहा था कि उसमें एक आईडिया लगाया।

मगरमच्छ ने सोचा कि क्यों ना हम पानी में मछलियों को खाकर अपना पेट भर ले। लेकिन जैसे ही वह मछलियों के करीब पहुंचता गया मछलियां पहले से ही भागती गई। जिस कारण से उस मगरमच्छ को एक भी मछली पकड़ में नहीं आए और उन्हें भूखा रहने पर मजबूर होना पड़ा।

मगरमच्छ भूखे पेट इधर-उधर घूम ही रहा था कि उसे अचानक एक पेड़ पर एक बंदर दिखा। वह बंदर आराम से मजे में जामुन के पेड़ पर बैठकर जामुन खा रहा था। मगरमच्छ को यह देखकर बहुत लालच हुआ और उन्होंने नदी का रास्ता तय करके बंदर के पेड़ के नीचे जहां पहुंचा जहां बंदर जामुन के पेड़ पर बैठ कर जामुन खा रहा था।

Bandar Wali Kahani

जैसे ही मगरमच्छ जामुन के पेड़ के नीचे पहुंचता है तो बंदर से कहता है कि बंदर भाई बंदर भाई तुम क्या खा रहे हो। तभी बंदर कहता है कि मैं इस पेड़ पर बैठकर पका पका मीठा जामुन खा रहा हूं। यह सोनू सर मगरमच्छ के मुंह में पानी आ जाता है क्योंकि बहुत ही दिनों से वह हम भूखा था उसे खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा था।

तभी वह मगरमच्छ कहता है कि बंदर भाई बंदर भाई तुम मुझे भी खाने के लिए जामुन दे दो मैं बहुत दिनों से भूखा हूं। यह सुनकर बंदर को उस पर दया आ गई और बंदर ने बहुत सारे जामुन मगरमच्छ को दिया खाने के लिए।

इसी तरह से मगरमच्छ रोजाना बंदर के पेड़ के नीचे आता है और वह बंदर से जामुन मांग कर आया करता था। जिससे मगरमच्छ की भूख मिट जाती थी और सोने अपनी खाने के तलाश में इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता था।

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani in Written

जैसे जैसे समय बीतता गया और वह दोनों में लेनदेन होते गया। वैसे वैसे दोनों में दोस्ती बढ़ गई हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह से पहचानने लगे थे। दोनों में इतनी ज्यादा दोस्ती बढ़ गई थी कि दोनों एक दूसरे पर पूर्ण रुप से विश्वास किया करता था।

मगरमच्छ प्रतिदिन बंदर के पास जाता और बंदर से कई प्रकार के फल मांग मांग कर खाया करता था।  दिन की बात है मगरमच्छ ने कहा कि मेरी पत्नी भी बाकी है उसके लिए भी कुछ जामुन दे दिया करो। ताकि मैं उसे भी कुछ खाने के लिए दे दूं क्योंकि वह भी बहुत दिनों से भूखी है।

सबसे मगरमच्छ को बंदर के द्वारा उसे अपने हिस्से का खाना भी देता था और घर ले जाने के लिए भी दिया करता था। एक दिन की बात है जब मगरमच्छ जामुन लेकर अपना घर अपनी पत्नी के पास गया तो उसे मीठा जामुन बहुत पसंद आया।

मगरमच्छ की पत्नी कहती है कि बंदर का दिया हुआ जामुन तो बहुत मीठा है और बंदर कई दिनों से जामुन खा रहा है। वह कहती है कि जामुन खा खाकर बंदर दो तरोताजा हो गया होगा।

तभी मगरमच्छ ने आश्चर्यचकित होकर पूछा कि तुम ऐसा क्यों कह रही हो। तभी मगरमच्छ की पत्नी कहती है कि बहुत दिनों से मांस भी नहीं खाया हूं मन कर रहा है मांस खाने के लिए। वह कहती है कि आप बंदर को बहला-फुसलाकर यहां लेकर आइए फिर मैं उसे खाऊंगी।

यह सुनकर मगरमच्छ कहता है कि नहीं नहीं वह मेरा मित्र है मैं उसके साथ ऐसा कैसे कर सकता हूं। तभी उसकी पत्नी कहती है कि अगर उसे नहीं लाए तो तुम्हारी खैर नहीं और उसकी पत्नी मगरमच्छ को खूब जमकर डांटती है।

पत्नी से डरकर मगरमच्छ बेचारा बंदर के पास जाता है और कहता है कि बंदर भाई बंदर भाई मेरी पत्नी तुम्हारे लिए कुछ बनाई है तुम्हें दावत दिया है चलो चल कर खाना खा लो। यह सुनकर बंदर बहुत खुश होता है और कहता है कि जी हां कि नहीं जाऊंगा आखिर तुम मेरे मित्र जो हो।

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani in Hindi

यह सुनकर बंदर फिर कहता है कि तुम तो मगरमच्छ हो तुम पानी में तैर सकते हो। लेकिन मैं तो एक बंदर हूं और मुझे पानी में चलना या तैरना भी नहीं आता मैं किस तरह से तुम्हारे घर जाऊंगा। उसके बाद मगरमच्छ कहता है कि तुम उसकी चिंता मत करो मैं अपनी पीठ पर तुम्हें अपने घर तक लेकर जाऊंगा।

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani in Hindi

बंदर खाने की लालच में मगरमच्छ के पीठ पर बैठकर नदी में चलने लगा। जाते जाते आधे रास्ते में मगरमच्छ को अपनी दोस्ती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा कि मैं तुम्हें घर क्यों लेकर जा रहा हूं तुम्हें पता है। सभी बंदर कहता है कि भला मुझे कैसे पता होगा तुम तो बोल रहे थे कि दावत के लिए लेकर चल रहा हूं।

फिर उसके बाद मगरमच्छ कहता है कि मेरी पत्नी तुम्हारा दिल और तुम्हारा मांस खाने के लिए खोज रही थी इसी कारण से मैं तुम्हें अपना घर लेकर जा रहा हूं। आगे मगरमच्छ कहता है कि मेरी पत्नी तुम्हारे लिए किसी प्रकार का कोई खाना नहीं बनाया है और ना ही तुम्हें किसी प्रकार की दावत दिया गया है।

जैसा की आप सभी को पता होगा कि पुराने पुराने कहानियों में बंदर को एक बहुत चालाक जानवर माना गया था। और यह बात बहुत हद तक सही भी है क्योंकि बंदर एक बहुत साला प्राणी होता है। जब उन्होंने मगरमच्छ की इतनी खतरनाक बात सुनी तो वह मन ही मन डर गया था और बचने का कोई उपाय सोचने लगा था।

फिर अचानक बंदर को एक उपाय दिखा उन्होंने मगरमच्छ से कहा कि यह बात तो तुम्हें पहले बतानी चाहिए थी। क्योंकि मैं अपना दिल खुशी जामुन के पेड़ पर रख देता हूं। क्योंकि मैं एक बंदर हूं और पूरे दिन पेड़ पर इधर-उधर को देखता रहता हूं। उछल कूद करते वक्त कहीं हमारे दिल में किसी प्रकार की चोट ना लग जाए इसी कारण से मैं अपने दिल को पेड़ पर रख देता हूं।

आगे बंदर कहता है कि अगर तुम पहले मुझे बता दिए होते तो मैं अपना दिल लेकर तुम्हारे साथ चल देता। तभी मगर मैं कहता है कि बताओ यह तो हो गई गलत बात मैं तुम्हें पहले बता देता तो तुम अपना दिल लेकर आता।

तभी बंदर ने मगरमच्छ से कहा कि चलो फिर से उस जामुन के पेड़ साथ लेकर चलो मुझे मैं अपना दिल ले लूंगा तब फिर हम दोनों तुम्हारे साथ चलेंगे। इस बात पर मगरमच्छ ने सहमति जताई और उन्हें फिर उसे उसी जामुन के पेड़  लेकर गया।

Bandar Aur Magarmach Short Story in Hindi

किनारे पहुंचते ही बंदर कूदकर तुरंत पेड़ चला गया। और वहां से बंदर कहता है कि तुम मुझे पागल समझती हो क्या मैं अपनी जान देने के लिए तुम्हारे साथ क्यों जाऊं। और तुम भी बहुत बड़े पागल हो कि भला कोई अपना दिल दूसरी जगह रख कर कोई जीवित रह सकता है क्या।

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani in Hindi

अभी मगरमच्छ निराश होकर अपने घर की तरफ लौट गया और वह पत्नी से जाकर बताया तो उन्हें बहुत डांट पड़ी। फिर उसके बाद बंदर ने उस मगरमच्छ की मदद कभी नहीं किया। उसके बाद मगर मुझको भूखा ही रहना पड़ता था लेकिन बंदर उसे किसी भी कीमत पर मदद नहीं करना चाहते थे।

बंदर और मगरमच्छ की कहानी से क्या सीख मिली?

Bandar Aur Magarmach Ki Kahani से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी का विश्वास का फायदा नहीं उठाना चाहिए। हमें जहां से मदद मिल रही होती है उसे किसी भी तरह का नुकसान नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर मदद मिलना बंद हो गया तो हमें फिर बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

मगरमच्छ और बंदर की कहानी के बारे में निष्कर्ष

इस कहानी में हमने Bandar Aur Magarmach Ki Kahani , बंदर और मगरमच्छ की कहानी के बारे में संपूर्ण जानकारी दिया है। बंदर और मगरमच्छ की कहानी में बंदर को बहुत चालाकी से अपना जान बचाना पड़ा था। उम्मीद है यह कहानी आप लोगों को बहुत पसंद आई होगी इसी तरह से कहानियां पढ़ने के लिए स्टोरी हिंदी साइट पर आप रेगुलर विजिट करते रहें।

FAQ for Bandar Aur Magarmach Ki Kahani

बंदर और मगरमच्छ की कहानी हमें क्या सीख देती है?

बंदर और मगरमच्छ की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी पर भी आंख बंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए चाहे वह हमारा दोस्त ही क्यों ना हो।

बंदर और मगरमच्छ की कहानी बंदर क्या खा रहा था?

बंदर और मगरमच्छ की कहानी में बंदर पेड़ पर बैठकर जामुन खा रहा था।

मगरमच्छ की पत्नी क्या खाना चाहती थी?

मगरमच्छ की पत्नी बंदर का दिल खाना चाहती थी।

बीच में मगरमच्छ ने बंदर से क्या कहा?

नदी के बीचो-बीच ले जाकर मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।

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