Top Motivational Stories in Hindi | हिंदी मोटिवेशनल कहानियां

Motivational Stories in Hindi कहानियां Story in Hindi में एक प्रकार का हिम्मत बढ़ाने वाली मोटिवेशनल कहानियां के नाम से भी जाना जाता है। मोटिवेशनल कहानियां शुरुआत से ही बच्चों के जीवन में एक प्रेरणादायक कहानियां के रूप में जो कि बच्चों के विकास के स्रोत के लिए बिहारी अहम माना जाता है। जिसमें मोटिवेशनल स्टोरीज इन हिंदी बहुत ही जगह लाभदायक साबित होती है।

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हिंदी मोटिवेशनल कहानियां

बच्चों के जीवन में किसी भी कठिनाई जाने पर मोटिवेशनल स्टोरीज है उन्हें आगे बढ़ने का रास्ता प्रदान करती है जिस प्रकार से हम कह सकते हैं कि Motivational Stories in Hindi तुम्हारे बच्चों के जीवन के भविष्य में बहुत ज्यादा उपयोगी साबित हो सकती है। मोटिवेशनल कहानियों में से सबसे अच्छी मोटिवेशनल कहानी जैसे कि रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी, जबरदस्त मोटिवेशनल कहानी, मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी पीडीएफ, सोच बदलने वाली कहानी इत्यादि शामिल है।

1. जादुई काली बारिश – Motivational Stories in Hindi

Motivational Stories in Hindi
Motivational Stories in Hindi

एक समय की बात है एक राज्य के राजा जिसका नाम राजा भानु प्रताप था। राजा के एक पत्नी जिसका नाम विद्या तथा उनका एक बेटा मतलब की एक राजकुमार जिसका नाम अमृत था। जैसा कि आपको पता होगा कि पुराने जमाने में राजा रानी की कहानी में सभी राजाओं को शिकार करने का बहुत ज्यादा शौक हुआ करता था। इसी तरह से राजा भानु प्रताप को भी शिकार करने का बहुत ज्यादा शौक था वह शिकार करने के लिए दूर-दूर तक अकेले निकालो जाते थे।

एक बार राजा अकेले शिकार करने के लिए निकल पड़ता है वह लगातार 10 दिन तक शिकार करता है। शिकार करने के बाद राजा 10 दिन के बाद अपना घर वापस आता है। राजा घर आते ही उसके परिवार वाले देखते हैं कि राजा की हालत काफी ज्यादा खराब है और उनके शरीर में बहुत ज्यादा दिक्कत आ गई है। राजा अपने आप से चल फिर भी नहीं सकता था ना ही अपने घुड़सवारी से उतर कर नीचे जा सकता था। उसके बाद सेना के सेनापति आता है और राजा को उतारकर राजमा में बिस्तर पर लेकर जाता है।

उसके बाद महारानी विद्या सेनापति को आदेश देती है कि वह जाएं और राज्य के सबसे माने जाने वाले महान वैद्य को बुलाकर राजमहल लेकर आए हैं। सेनापति जाता है और राज्य के सबसे बड़े विद्यमान वह देखो महल में लेकर आता है। वैद्य जी राजा की हालत का खबर लेते हैं उसे अच्छी तरह से देख रहे करने के बाद कहता है कि राजा की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है। लगता है कि अब राजा जी कुछ दिन ही बचेंगे है।

यह सुनकर रानी के पैरों तले जमीन हिल जाती है। साथ ही साथ राज्य भर में सभी लोगों को यह डर सताने लगता है कि उसके बाद उसका राजा का क्या हाल होगा और फिर दोबारा राजा कौन बनेगा। तभी रानी विद्याओं पूछती है कि अवैध जी से राजा को क्या हुआ है जो इतना ज्यादा स्वास्थ्य खराब हो गया है।

तभी वैध जी कहते हैं कि राजा एक प्रकार का श्राप का कार्य किए हैं जिस कारण से उन्हें प्रकृति की देवी का शराब लग गया है। अब राजा का बचना मुश्किल है क्योंकि इसका इलाज तो मुझे भी नहीं पता है। राजाजी को जो काम नहीं करना चाहिए था जिस काम पर पूरी तरह से पाबंदी थी राजा जी ने वही काम किया है इसी कारण से उसका स्वास्थ्य खराब हो चुका है।

कुछ दिन बीतने के बाद हे राजा की अचानक मृत्यु हो जाती है। राजा की मृत्यु होने के बाद पूरे राज्य में एकदम हल्ला मच जाता है। क्योंकि जैसे ही राजा की मृत्यु होती है वैसे ही जिस बीमारी से राजा की जान गई है वह बीमारी अब धीरे-धीरे राज्य वालों लोगों को होने लगी थी। क्योंकि प्रकृति की देवी का शराब राजा के साथ-साथ राज्य वासियों को भेज दिया गया था। जिस कारण से राज्य भर के लोगों को अब प्रत्येक दिन किसी न किसी को वह बीमारी लग कर मरने का चलन जारी हो चुका था।

पूरे राज्य में हाहाकार मच गया था क्योंकि इतनी ज्यादा बड़ी बीमारी है और रोज कोई ना कोई जान से जा रहा है और उसका कोई इलाज भी नहीं मिल रहा है। उसके बाद राज्य वाले कहते हैं कि चलो ठीक है अब नए राजा का ऐलान किया जाए। तभी सभी लोग मिलकर रानी विद्या जी को नए राजा के रूप में राज सिंहासन पर बैठने का सभी लोग तथा सेनापति आग्रह करता है। सुबह की बात मानकर महारानी राजा का सिंहासन पर बैठने का आगरा हमार लेती है।

रानी गद्दी पर बैठते हुए अपने सेनापति को बुलाता रहता है कि पूरे राज्य भर में जो भी इस बीमारी का बारे में पूरी जानकारी तथा इससे बचने के उपाय बताएगा उसे हम बहुत बड़ा इनाम देंगे। उसके बाद रानी कहती है कि सेनापति को जाओ ऐसे व्यक्ति को पकड़ कर लाओ नहीं तो 10 दिन के अंदर तुम्हारी नौकरी चली जाएगी। तभी सेनापति जाता है और सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को पकड़ कर लाता है।

राज्य भर के कहानी सुनने के बाद वैद्य जी कहते हैं कि राजा जी जब शिकार पर गए हुए थे तब उन्हें एक बहुत सुनहरी पेड़ दिखाई देती है। राजा जी इस सुनहरी पेड़ रखो काटने के लिए अपने सैनिकों को आदेश दे देता है। लेकिन वह सुनहरी पेड़ कोई मामूली पेड़ नहीं था वह प्रकृति की देवी का पेड़ था। जिसे प्रकृति की देवी के द्वारा लगाया गया था तथा उनका स्मरण करने के लिए पूरे पर्यावरण को उसी प्यार की वजह से अच्छी तरह से देखरेख हुआ करती थी।

राजा के पेड़ काटने के आदेश के बाद सैनिकों ने पेड़ काटने के लिए जल्दी भरी थी और वह पेड़ को काट दिया दीया। उसके बाद से ही राजा को प्रकृति की देवी ने शराब दिया कि जिस तरह से तुमने इस पेड़ को काटा है उसी तरह से तुम्हारे राज्य तथा तुम्हें तुम्हारे राजभर के लोगों के लिए मैं काले बादल की तरह बूंद बूंद बन कर तुम्हारे राज्य वासियों अथवा राजा का जान का कारण बनेगा।

उसके बाद महारानी जी ने वैद्य जी से पूछती है कि इसका बचने का कोई उपाय बताइए। तभी वैध जी कहते हैं कि इसका बचने का तथा इस देवी का श्राप से मुक्त होने का एक ही उपाय है। आपके परिवार से मतलबी राजा के परिवार से कोई भी लोग जाकर उस वन परिसर के अंदर 200 पेड़ लगाने होंगे तभी जाकर प्रकृति की देवी का श्राप मुक्त हो जाएगा।

जैसे भी इस प्रकार का भारतीय चल रहा था वैसे ही राजकुमार के रूम से आवाज आती है। सभी लोग दौड़े-दौड़े तथा सेनापति महारानी राजकुमार के रूम में जाता है और देखता है कि राजकुमार की तबीयत अचानक खराब हो गई है। वही वैद्य जी वहां पहुंच जाते हैं और राजकुमार के तबीयत का जायजा लेते हैं। उसके बाद वहीं वैद्य कहते हैं कि जिस बीमारी से ग्रसित राजा हुआ था उसी बीमारी से ग्रसित राजकुमार भी हो गया है।

उधर पूरे राज्य में काली बादल का साया तथा काली बोल दे पूरे राज्य भर में घेर लिया था। अब तो पूरे राज्य भर में दिनभर काली बारिश होने लगी थी। यह सब देख कर आज वासियों ने दूसरे राज्य जाने का फैसला कर लिया था और बहुत सारे लोग दूसरे राज में जाने भी लगे थे। काली बारिश इतनी ज्यादा तेज हो रही थी कि पूरे शहर में जलजमाव हो गया था। नदी नाले तथा झरने काली हो गई थी खाली बारिश होने के कारण।

उसके बाद सेनापति से रानी कहती है कि चलो अब हम जाएंगे और वह सावन परिसर के अंदर 200 पेड़ लगाएंगे। बारिश इतनी ज्यादा तेज हो रही थी कि सेनापति बोला ठीक है महारानी जी मैं आपके साथ चलूंगा और आपकी सुरक्षा की जिम्मेवारी मैं अपने सर पर लूंगा। फिर महारानी और सेनापति दोनों उस वन परिसर में तेल लगाने के लिए निकल जाता है। जैसे ही वहां पहुंचता है और फिर लगाना शुरु की करता है वह भी काले बारिश होने लगती है।

काला बारिश का झटका इतना ज्यादा जोर था की लग रहा था कि आदमी को भी उड़ा कर ले जाएगा। इतनी ज्यादा हवा चल रही थी स्पीड से की सेनापति भी वहां रुकने पर नाकामयाब हो रहे थे। महारानी पेड़ लगाना शुरू कर चुकी थी कभी सेनापति कहता है कि आप पर लगाइए इस हवा को मैं देख लूंगा। जिस तरफ से हवा आ रही थी सेनापति उसी तरह अपना तलवार तथा हवा को रोकने वाली चीजें लेकर खड़ा रहा।

आखिरकार महारानी 200 पेड़ लगाने में कामयाब हो गई थी जैसे ही उस वन परिसर के अंदर 200 पेड़ लगाने का काम पूरा हुआ वैसे ही काले बादल तथा काली बारिश थम गया और फिर उसके बाद राज्य भर के लोगों ने चैन की सांस ले। जैसे ही बारिश खत्म हुआ सेनापति की मौत वहीं पर हो गई थी क्योंकि बारिश के झटके तथा हवा के झटके के कारणों का शरीर बहुत ज्यादा कमजोर हो चुका था। लेकिन रानी तथा राज्य वासियों को जान बचाने के लिए वह अपने निरंतर कार्य को अंजाम दिया था।

राज्य भर के लोग सभी लोग खुशहाल थे लेकिन सेनापति की मृत्यु से महारानी काफी निराश थी। उसके बाद सेनापति की एक मूर्ति बनाया गया और उसे राजमहल के ग्राउंड में लगाया गया। महारानी ने सभी राज्य वासियों को बताया कि आज खुशहाल में अगर राज्य वासी है तो इसका पूरा श्रेय उसी सेनापति को जाता है। तथा और भी कार्यक्रम के द्वारा सेनापति को सम्मानित किया गया। और हमेशा हमेशा के लिए राज वासियों के लिए वह सम्मानित रहेगा ऐसा वादा किया है।

इस मोटिवेशनल कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

इस मोटिवेशनल स्टोरी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी कार्य को बिना अनजाने में नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी भी पेड़ पौधे को बिना वजह नुकसान नहीं हो जाना चाहिए। क्योंकि पेड़ पौधे है तो हमारी जिंदगी है क्योंकि हमारी जिंदगी में प्रकाश संश्लेषण क्रिया को अंजाम देने वाले पेड़ नहीं रहेंगे तो हमारे जीवन में ऑक्सीजन बनने की प्रवृत्ति खत्म हो जाएगी। जिसके बाद मनुष्य जीवन भी धीरे-धीरे समाप्त होने की कगार पर हो जाएगी।

2. पाखंडी चोर कहानी – Motivational Stories in Hindi

Motivational Stories in Hindi
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रामपुर नामक एक गांव में बहुत ज्यादा चोरी होने लगी थी वहां के लोग चोरी से परेशान होने लगे थे। उस गांव में दिन-प्रतिदिन बहुत ज्यादा चोरियां होने लगी थी क्योंकि एक छोटे से गांव में एक बहुत ही खतरनाक चोर जिसका नाम निखिल था वह रात होते ही गांव में घूम घूम कर सभी के घरों में चोरियां किया करता था।

यह सभी देखकर लोग गांव के बहुत ज्यादा परेशान हो गए थे क्योंकि आए दिन किसी न किसी के घर में चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था वही चोर निखिल। सभी लोगों को अब पता चल चुका था कि उनके गांव में कौन सा चोर चोरी करता है लेकिन किसी के घर कोई सबूत नहीं छोड़ता था इतना ज्यादा शातिर चोर था।

एक दिन निखिल किसी की घर में सुबह के 4:00 बजे चोरी करने के लिए गया था। और दुर्भाग्य की बात यह थी कि उस घर के सभी मेंबर जागे हुए थे। तभी निखिल को चोरी करते हुए घर के एक मेंबर देख लिया था घर के सदस्य निखिल को चोरी करता देख चोर चोर चिल्लाने लगा और शोर मचाने लगा था। शोर सुनकर चोर जल्दी-जल्दी जैसे तैसे बिना चोरी किए ही उस घर से भाग गया।

लेकिन घर के एक सदस्य ने उसे अच्छी तरह से पहचान लिया था कि उसके घर में चोरी करने कौन आया है। सुबह उठकर हुआ आदमी नजदीकी थाना में गया और वह चोर मतलब की लेकिन के खिलाफ एफ आई आर दर्ज कराई। पुलिस जब निखिल को पकड़ने के लिए आया था अपने घर से बाहर कर पड़ोस के गांव की तरफ भागने लगे थे। निखिल आगे-आगे भाग रहा था और पुलिस पीछे पीछे भाग रहा था उसे पकड़ने के लिए। अचानक ही निकल के सामने एक आश्रम नजर आया निखिल तुरंत ही आश्रम में चला गया और वहां रखें 1 सालों का वस्त्र पहन कर वहीं बैठ गया यज्ञ करने के लिए।

उसके बाद पुलिस आई और निखिल निखिल के पास खड़ा होकर पूछता है कि क्या तुमने यहां किसी चोर के आते हुए देखा है। तभी नहीं रहता है कि हां मैं तो यहां अपने ध्यान में यज्ञ कर रहा था तभी अचानक मुझे कोई जोर से भागने की आवाज सुनाई दी है। मैंने जैसे अपने ध्यान से हटाया तो पाया कि वहां कोई भी नहीं है मतलब की तब तक वह वहां से भाग चुका था। क्योंकि पुलिस निखिल को नहीं पहचानती थी इसी कारण से वह उस ऋषि की बातों पर मतलब कि निखिल के बातों पर विश्वास कर लिया था।

अब निखिल साधु के भेष में दूसरे गांव में चला जाता है और वही रहने लगता है। ऐसे ही वह ऋषि के भेष में ही बहुत दिन रहता है और वह ऋषि के भेष में ही लगातार चोरियां करने का प्रयास करता रहता था। क्योंकि चोर तो चोर होता है चोर की आदत ना तो कभी गई है ना कभी जाने वाली है वह जहां भी जाएगा चोरी करने के बारे में ही सोचेगा। ऐसे में वह आश्रम में आए लोगों तथा जवानों का शुक्रिया करने के लिए हमेशा से ही अपना ध्यान लगाकर रखता था।

लेकिन ऋषि के बीच में उसे चोरियां करने में बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। क्योंकि ऋषि के भेष में जहां भी हो जाता था उसके आसपास बहुत से लोग खड़े हो जाते हैं और पूछने लगते थे कि महाराज जी आपका क्या काम है क्या कोई जरूरत है तो मुझे बताइए मैं आपका कार्य कर दूंगा। इसी कारण से वह साधु के भेष में बहुत ज्यादा तंग आ चुका था इनकी उसे चोरी करने का मौका ही नहीं मिल रहा था।

उस गांव में एक व्यक्ति के पास बहुत सारा सोना चांदी धन-दौलत था। वह व्यक्ति चोरी होने के डर से चाहता था कि मेरा धन दौलत ऐसी जगह में छुपा दूंगा कि स्वर्गी नजर वहां तक नहीं पहुंच पाएगा। इतना सोचते सोचते वह व्यक्ति उसी साधु निखिल के पास आता है और वह अपनी समस्या बताता है। निखिल दो चोरी करने में पहले ही माहिर था और वह साधु के भेष में पहले से ही ताना गया था। निखिल सोच रहा था कि अगर कोई मुझे बड़ी चोरी मिल जाए तो मैं यहां से निकल जाऊं। वैसे ही वह व्यक्ति आता है और अपनी धन दौलत को छिपाने की बात करता है तो निखिल कहता है कि मेरे आश्रम में रख दो इसे ज्यादा सुरक्षित जगह तुम्हें कहीं नहीं मिलेगी। मैं उसकी सूरत जीत होने का विश्वास दिलाता हूं और मैं हमेशा उसकी सुरक्षा करूंगा।

वह व्यक्ति ऐसा ही करता है सभी धन दौलत अता कपड़े पैसे आश्रम में ले जाकर छिपा देता है। कुछ दिनों तक तो निखिल उसकी सुरक्षा करता है लेकिन वह उसे लेकर भागने का फिराक में ज्यादा रहा करता था। इसी मंशा को कामयाब करने के लिए एक दिन निखिल वही सेठ के पास जाता है जिसका सारा सामान आश्रम में रखा हुआ था। वह उस व्यक्ति से मिलता है और कहता है कि मैं तो साधु टाइप का आदमी हूं मुझे एक जगह रहने में काफी ज्यादा दिक्कत होती है मैं अब इस गांव को छोड़कर मोक्ष पाने की इच्छा में जंगल जाना चाहता हूं। इसीलिए मैं आपसे निवेदन करने आया हूं कि आप अपनी जो मुझे सुरक्षा के लिए दिया था सभी सामान अपने घर वापस ले जाएं।

तभी वह व्यक्ति कहता है कि ऐसी कोई बात नहीं अगर आप जाना चाहे तो जा सकते हैं लेकिन आश्रम से तो कोई नहीं लेकर जाएगा। मुझे जब जरूरत पड़ेगी मैं आश्रम से लेकर आ जाऊंगा आप कहीं भी बिना पूछे जा सकते हैं। अब तुम निखिल चोरों की हिम्मत बहुत ज्यादा बढ़ गए थे वह सभी सामान लेकर दूसरे शहर की तरफ चल पड़े थे।

लेकिन उस व्यक्ति का भांजा निखिल को ढोंगी बाबा के रूप में पहचान गया था। जब वह उसके मामा से बात कर रहा था अपने सामान ले जाने के बारे में तो वहीं पर था उसका भांजा लोहिया सब सुन रहा था। वह तुरंत ही अपने मामा को कहता है कि मामा मुझे तो कुछ दाल में काला लग रहा है वरना यह ढोंगी बाबा यहां क्या करने के लिए आया है किसी को जाना रहता है दो अपनी सामान वापस करने के लिए कोई कहता है जो आश्रम में रखा हुआ है।

बजा के बातें सुनकर वह व्यक्ति तुरंत ही आश्रम पहुंच जाता है और अपने सामान के बारे में तलाक नहीं लगता है। फिर उसे पता चलता है कि उसका सारा सामान लेकर निखिल मतलब कि वह साधु वहां से भाग चुका था। वह व्यक्ति तुरंत ही अपने भांजे के साथ जाता है और नजदीकी पुलिस थाने में FIR करा देता है। फिर उसके बाद पुलिस निखिल को ढूंढने के लिए इधर-उधर पूरा फाइल जाता है और अंत में उसे पकड़ लिया जाता है। उसे पकड़ कर फिर जेल में बंद करके जाता है उसके बाद गांव में किसी प्रकार के चोरी नहीं होने लगे थे।

इस बेहतर कार्य करने के लिए वह व्यक्ति ने अपने भांजे के हो धन्यवाद कहां और कहां की भांजा तुम्हारा दिमाग तो बहुत ज्यादा चलता है। तुम्हारी वजह से मेरा सारा सामान बच गया नहीं तो आज मैं पूरी तरह से निर्धन हो जाता। क्योंकि मेरा पूरा धन दौलत वही आश्रम में था और वह साधु सभी मेरा सभी सामान लेकर भागने की कोशिश कर रहा था।

इस कहानी में आपको क्या शिक्षा मिली है?

इस Motivational Stories in Hindi कहानी में शिक्षा मिलती है कि हमें अपने समाज से था अपने परिवार के साथ किसी प्रकार का चोरी या किसी प्रकार की गलत कार्य नहीं करना चाहिए। इस मोटिवेशनल कहानियां से हमें यह भी सबक मिलता है कि हमें अपने परिवार के प्रति पूरी श्रद्धा पूर्वक उनके सहयोग करना चाहिए अगर हमें जहां लगता है कि यह कोई काम गलत हो रहा है तो हमें अपने बड़ों को यह छोटों से किसी प्रकार के घबराने की जरूरत नहीं है उसे बेझिझक बोलना चाहिए।

3. तकदीर की कहानी – Motivational Stories in Hindi

Motivational Stories in Hindi
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बहुत पुराने जमाने की बात है एक राजा के राज्य में बहुत ज्यादा चोरियां बढ़ चुकी थी। जिधर देखता था उधर ही चोरी की वारदात की खबर सुनने को मिलती थी। इतनी ज्यादा लगातार राज्य में चोरियां होने के कारण वहां के राजा बहुत परेशान हो गया था। इस कारण से वह अपने सेनापति से कहता है कि तुम तो जाकर पता लगाओ कि राज्य में कौन जीता ज्यादा चोरी कर रहा है क्योंकि राज्य के सभी लोग चोरी के कारण परेशान है।

उस गांव में एक कालू नामक छोरा करता था जो बहुत ज्यादा शातिर चोर था। पूरे राज्य में अलग-अलग दिन अलग-अलग समय पर अलग-अलग गांव में जाकर चोरिया किया करता था। उस चोर को चोरी करने का आदत इतना ज्यादा था कि वह जहां भी जाता दिन दोपहर में ही चोरी कर भाग जाता था। हालांकि हुआ उसी राज्य के रहने वाला व्यक्ति था उसका गांव का नाम सहारनपुर था और वह अपने गांव में भी बहुत ज्यादा चुनरिया किया करता था।

एक दिन का कालू अपनी कैसे काम से जंगल में एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था। कालू चोर को हमेशा यह कहना था कि जब भी उसे चोरी करने से फुर्सत मिल जाती थी तो अकाउंट में बैठने के लिए बस जंगल की तरफ एक पेड़ के नीचे बैठा करता था। एक दिन जब कालू चोर उस पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहा था तो वहां से एक ऋषि का गुजरना होगा। ऋषि अपने रास्ते से घर की तरफ जा रहा था तभी खालू चोर की नजर गुजर इसी पर पड़ा जोरू सर इसी से कहता है कि मुझे बहुत भूख लगी है अगर आपके पास किसी प्रकार का खाने की चीज है तो मुझे देने की कृपा करें।

उस ऋषि के पास कुछ सेव था खाने के लिए और सेब को निकालकर कालू चोर को दे देता है खाने के लिए। उसके बाद कालू चोर किसी से कहता है कि अपने दो मुझे अपनी खाने पीने की चीज मुझे दे दिया अगर आपको भूख लगेगा तो आप क्या खाएगा। तभी वह ऐसी कहता है कि कोई बात नहीं है मैं तो घर ही जा रहा हूं मेरे घर में खाने पीने का चीज तो होगा अगर मुझे भूख लगेगी तो मैं अपने घर का सामान खा लूंगा। ऐसा कह कर ऋषि आगे बढ़ जाता है लेकिन फिर पीछे मुड़कर कालू को कहता है कि तुम्हें 1 घंटे के अंदर गिरफ्तारी करने के लिए लोग आएंगे तुम अपना ध्यान रखना।

कालू ऋषि के बातों को अनसुना कर कर वहीं बैठा हुआ था। उसके बाद अचानक उसके नीचे एक हीरे का हार गिरता है और सिपाही राजा का उसे गलत आर पकड़कर उसे राजा के दरबार में पेश करता है। कालू चोर को यह समझ नहीं आता उसके साथ क्या हो रहा है। तभी सेनापति कहता है कि एक कबूतर राजमहल में दाखिल होता है और राजकुमारी का हीरे का हार उठाकर वह जंगल में जाकर किसी व्यक्ति के पास गिरा देता है। हो सकता है यही व्यक्ति कबूतर को सिखा कर चोरी करवाने का काम करवाता है इसी लिए इन्हें गिरफ्तार कर लिया।

राजा तुरंत ही उस व्यक्ति को पूरी जिंदगी भर के लिए कारागार में डाल देता है। फिर भी कालू जोर राजा से कहता है कि आज मैंने किसी प्रकार की कोई चोरी नहीं की फिर मुझे आजीवन कारावास की सजा क्यों मिली है। लेकिन कालू चोर के किसी भी बात को राजा सुनने से इनकार कर देता है और सिपाही लोगों से पकड़ कर जेल में डाल देता है। लेकिन दूसरे से निकालो चोर को यह भी कहा था कि तुम उसे जेल में पूरी जिंदगी भर नहीं रहोगे।

केवल 6 महीने बीतने के बाद जैसे तो स्वीकार करें बड़े ही बुद्धिमानी से कालू चोर जेल से बाहर भाग जाता है। फिर वह उसी पेड़ के नीचे जाकर आराम करने लगता है वहां से उसे उसी ऋषि की नजर पड़ती है उसने ऋषि से जाकर पूछने का प्रयास किया कि उसकी मृत्यु कब होगी। कालू चोर को लग रहा था कि वह अपने भाग्य तथा तकरीर को बदलने का। वह ऋषि से पूछता है कि मेरी मृत्यु किस हालत में होगी और कब होगी और कैसे होगी इस बात की जानकारी मुझे दे दीजिए मैं इससे अपनी मूर्तियों से बच सकता हूं। तभी ऋषि कहता है कि तुम्हें सहारनपुर गांव से 20 किलोमीटर दूर एक बरगद के पेड़ के नीचे मटका दिया जाएगा 3 महीने के बाद।

इस बात को सुनकर चोर अपने गांव से है मतलबी सहारनपुर गांव से बहुत ज्यादा दूर चला जाता है। वह अब वही रहने लगता है कुछ दिन बीत जाने के बाद उसे लगता है कि सहारनपुर गांव तो यहां से 20 किलोमीटर दूर है और वहां जाने के लिए कोई ना कोई कारण होना चाहिए तभी मेरी मृत्यु होगी। उसने अपने भाग्य को बदलने के लिए अपने दोनों पैर काट दिए हैं ताकि हुआ कहीं जा ना सके और तकदीर को बदल सके। 3 महीना पूरा होता है उसके दूसरे ही दिन गांव में बहुत ज्यादा हल्ला मच रहा था शोर हो रहा था लेकिन वहां एक पागल घोड़ा पूरे गांव वालों को परेशान कर रहा था।

कालू चोर घोड़े का घुड़सवारी का ज्यादा शौकीन था वह बोले को काबू करने के लिए बाहर निकला और देखा कि घोड़ा आ रहा है फिर वह कोई सर घोड़े पर बैठ गया। घोड़ा पागल था वह तोड़ दे दो भी बहुत दूर निकल चुका था घोड़ा इतना ज्यादा तेज दौड़ रहा था कि रुकने का जरा सा भी टाइम नहीं मिला। घोड़ा दौड़ते दौड़ते काफी दूर निकल चुका था मतलब कि सहारनपुर गांव से 20 किलोमीटर दूर एक बरगद के पेड़ के नीचे कालू को नीचे गिरा देता है।

कालू के नीचे गिरते ही तुरंत राजा के सिपाही उसे पकड़ लेता है और कहता है कि मैंने तुम्हें जेल में डाला था तुम वहां से भी भाग गए हो। राजा का आदेश है कि जहां भी हो वह चोर दिखाई दे उसे वही फांसी दे दिया जाए। फिर उसने बरगद के एक टहनी पर उस चोर को बांधकर लटका दिया। कालू चोर फिर भी भाग्य को बदलने का प्रयास कर रहा था। कालू चोर सिपाहियों से कहता है कि मेरी अंतिम इच्छा है कि मुझे बरगद के पेड़ नहीं बल्कि आम के पेड़ पर लटकाया जाए।

सिपाही तुरंत ही बरगद के पेड़ से उसे खोलने लगा खोल दे खोल दे एक बहुत ही जोर का झटका आया और सभी सिपाही वहां से गिर गए थे। उसके बाद कालू चोर की रस्सी पूरी तरह से फंस गई थी और उसकी मृत्यु हो गई थी। इस तरह से गांव में हो शांति हो गया था क्योंकि पूरे राज्य में चोरी करने वाला चूहा की मौत हो गई थी। अब राज्य के सभी लोग चैन की नींद सो सकते थे। कालू चोर भाग्य को बदलने का प्रयास कर रहा था जिसे बदलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

तकरीर की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इस Motivational Stories in Hindi कहानी में शिक्षा मिलती तकदीर को बदलने का हक किसी को नहीं है लेकिन भगवान जो जिसकी तकरीर में लिख देता है नियति को कोई बदल नहीं सकता है। और नियति को बदलने का प्रयास करना भी एक प्रकार का समय बर्बाद करने का काम हो सकता है।

Motivational Stories in Hindi का निष्कर्ष

मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी (Motivational Stories in Hindi) हम सभी लोग अच्छी-अच्छी शॉर्ट मोटिवेशनल कहानियां के बारे में पड़े हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको स्टोरी हिंदी वेबसाइट से जारी किया गया Motivational Stories in Hindi आप लोगों को बहुत पसंद आया होगा। अगर आपको हमारी तरफ से जारी किया गया यह कहानियां पसंद आती है तो कृपया करके अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और हमारा सपोर्ट करें।

FAQ of Motivational Stories in Hindi

मोटिवेशनल कहानिया क्या होती है?

जिस कहानी में बच्चों की हौसलों को बढ़ावा दिया जाता है उस स्टोरी को मोटिवेशनल स्टोरी कहा जाता है।

मोटिवेशनल स्टोरी क्यों जरुरी है?

जीवन जीने की कला को बेहतर बनांने के लिए मोटिवेशनल स्टोरी की बहुत जरुरत पड़ती है।

कहानी के अंत में क्या लिखना चाहिए?

कहानी के अंत में एक अच्छा से शीर्षक और कहानी में दिए गए शिक्षा के बारे में बतानी चाहिए।

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