लालची ब्राह्मण की कहानी – Dharmik Kahaniyan 2023

Hindi Kahaniyan: लालची ब्राह्मण की कहानी में आज के इस लेख में हम लोग इन्हीं धार्मिक कहानियों के बारे में चर्चा करने वाले हैं। दोस्तों यहां चर्चा करने का मतलब यह है कि हम आज Lalchi Brahman Ki Kahani को पढ़ने वाले हैं। क्योंकि आजकल के डिजिटल जमाना में लोग अपनी पुरानी कहानियां को भूलकर अपनी धार्मिक कहानियां को भूलकर नहीं नहीं अपडेट मॉडल को अपनाने की कोशिश कर रहे हो।

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लालची ब्राह्मण की कहानी – Dharmik Hindi Kahaniyan

लालची ब्राह्मण की कहानी - Dharmik Hindi Kahaniyan
लालची ब्राह्मण की कहानी

बहुत पुराने जमाने की बात है एक गांव में दो दोस्त एक साथ रहा करता था। वह बिल्कुल भी पढ़ा लिखा नहीं था क्योंकि शुरुआत से ही वह किसी की दुकान पर कार्य किया करता था। उनके घर की स्थिति बिल्कुल भी सही नहीं थी इसी कारण से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाई थी। वह दोनों एक साथ एक हलवाई की दुकान पर काम किया कर देते हैं। दोनों दोस्त हमेशा एक साथ काम पर आया करता था और साथ ही एक साथ काम पर से घर जाया करता था। एक दोस्त का नाम था गोविंद और दूसरे दोस्त का नाम रमेश।

हलवाई की दुकान पर काम करते करते ज्यादा वक्त गुजर गया था लेकिन उनकी सैलरी नहीं बनाई गई थी फिर उन दोनों ने 1 दिन सोचने लगा के इस हलवाई की दुकान पर हमें काम करके कोई फायदा नहीं होने वाला है। आखिरकार हमारी जिंदगी वैसे की वैसे ही रह रही है जैसे पहनती है। वह दोनों दोस्त इस तरह की बातें कर रहा था दोनों दोस्त रमेश और गोविंद कह रहा था कि इस हलवाई की दुकान के बगल में ही एक हलवाई की दुकान लगा लूंगा। इतना कहते ही हलवाई इस बात को सुन लेता है और दोनों को बहुत ज्यादा डांट फटकार लगाया जाता है

हलवाई रमेश और गोविंद को कहते हैं कि मैंने तुम दोनों को काम के लिए यहां लाया था और तुम दोनों मेरे घटा लगाने की बात करते हो हम हलवाई हम दोनों से बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया था कि होगा उनके बगैर में हलवाई की दुकान खोलने वाले थे। अब हलवाई के दुकान से दोनों दोस्त को बाहर निकाल दिया था अब उन्हें काम पर नहीं है रखा था। दोनों को यह बोलकर निकालना कि तुम लोग मेरे ही खटिया खड़ी करने में लगे हो एक तो मेरी ऐसे ही बिक्री कम हो गई है। और तुम मेरे दुकान के नजदीक अपना दुकान खोलकर मेरा नुकसान करवाने के लिए मैं तुम्हें दुकान पर रख लूंगा।

Dharmik Hindi Kahaniyan

दोनों हलवाई की दुकान से खुशी-खुशी वापस आ जाता है और एक घर में रहने लगता है। तभी रमेश गोविंद से कहता है कि भाई यहां तो हमें कोई काम मिलने वाला है नहीं और ना ही हमें कोई पूछने वाला है ऐसे में हूं अपनी जिंदगी की रोजी रोटी किस प्रकार से लाएंगे। उसके बाद गोविंद कहता है कि हां मुझे भी लग रहा है मेरी जिंदगी और हम लोगों की जिंदगी है वैसे ही नहीं चलने वाली है हमें कुछ ना कुछ तो सोचना ही पड़ेगा।

यह लोग अपने कमरे में बात करें ही रहे थे कि गली से आवाज आती है एक भिखारी आया है और वह कुछ पैसे मांग रहा है। तभी रमेश कहता है कि एक आइडिया आया है गोविंद कहता है कि चलो हम लोगों को किसी एक बहुत अमीर शहर या गांव में जाकर एक भिखारी के बीच में भीख मांगेंगे और हम लोग बहुत ज्यादा पैसा कमाएंगे। तभी रमेश कहता है कि ऐसा करना अच्छी बात नहीं है क्योंकि हम भीख मांगने के लायक नहीं है जिनके पास घर नहीं होते हैं याद इन्हें बहुत ज्यादा दिक्कत होती है वही भीख मांगा करते हैं हम लोगों के पास अच्छा घर मकान है सिर्फ पैसे की कमी है थोड़ा हम लोग कमा कर अपना काम कर लेंगे।

लालची ब्राह्मण की कहानी - Dharmik Hindi Kahaniyan

तभी गोविंद कहता है कि तुम्हें कोई काम पर रखेगा क्या जो कह रहा हूं चुपचाप वही सुनो तभी हम लोगों की जिंदगी आगे आराम से कटने वाली है। अब दोनों दो से एक साथ हम ही भर लेता है और कहता है कि चलो ठीक है किसी ऐसे शहर, गांव, कस्बे का पता लगाओ जहां बहुत अमीर लोग रहते हैं। कुछ ही देर सोचने के बाद उन्हें एक शहर का नाम पता होता है इसका नाम मोतीपुर था वहां के लोग बहुत ज्यादा रईस तथा बहुत पैसे वाले थे लोग वहां जाकर बहुत सारे पैसे कमा कर आया करते थे। मतलब कि मोतीपुर के लोग बहुत ज्यादा अमीर हुआ करते थे इसी का नाम से गोविंदा और रमेश दोनों इन्हीं शहर में जाकर भीख मांगने का बिजनेस चालू करने वाला था।

Moral Hindi Kahaniyan 2023

उनके पास तो अब एक पैसे भी नहीं थे वह दोनों पैदल मोतीपुर गांव की तरफ चल पड़ता है। उस दिन चलने के बाद मतलब के दो-तीन दिन बाद होगा उस गांव के नजदीक पहुंच जाता है गांव के नजदीक पहुंचते ही उन्होंने एक पेड़ के नीचे बैठ गया था आराम करने के लिए तभी रमेश कहता है कि यह गांव तो बहुत बड़ा अमीर दिखता है मैं यही बैठता हूं तुम जाओ गांव के लोगों को यह बताओ कि कोई गोविंद बाबा यहां आया है जो बहुत ज्यादा जानकार है उनसे जो भी एक चाय आप मांगोगे वह भी कारण होगा प्रॉब्लम का हो सभी सॉल्व हो जाएगा।

रमेश जाता है और पूरे गांव में हल्ला कर देता है कि गांव के बाहर पेड़ के नीचे एक बाबा प्रकट हो गए हैं जो बहुत ज्यादा जानकार मालूम होता है। उनके पास जो भी अपनी समस्या लेकर आएगा वह सभी समस्या से छुटकारा होकर आएगा। तभी गांव के तथा शहर के बहुत सारे अमीर लोग उस बाबा मतलबी गोविंद से मिलने के लिए आते हैं। सभी लोग अपना अपना बारी-बारी प्रॉब्लम गोविंद को बताता है गोविंद सभी के कान में एक ही बंद रहता है कि सब्र करो और भगवान का नाम लो लेकिन यह बात तुम किसी को बताना मत तुम 6 महीने के बाद तुम्हारी समस्या खत्म हो जाएगी।

वह सभी को ऐसा ही कहता किसी किसी की समस्या तो तुरंत ही खत्म हो जाए करती थी लोगों को लगने लगा कि बाबा बहुत ज्यादा जानकार है। जैसे-जैसे खबर फैलती गई वैसे-वैसे दूरदराज के इलाकों में से बहुत से लोग गोविंद से मिलने के लिए अपनी समस्या को बताने के लिए आया करते थे। हम तो गोविंद बहुत ज्यादा प्रचलित हो चुका था किनकी गोविंद बाबा की खबरें पूरे आसपास के इलाकों में फैल गए थे। हम तो गोविंद के पास बहुत ज्यादा पैसे भी आ गए थे क्योंकि लोग अब उनके नाम पर बहुत सारा चंदा तथा उनके परिवार के लोग भी उन्हें पूजा का चंदा दिया करते थे।

लालची ब्राह्मण की कहानी - Dharmik Hindi Kahaniyan

1 दिन की बात है गोविंद सो रहा था अचानक हुआ सोच रहा था कि मैं यह सब कर रहा हूं भगवान के नाम पर मुझे ऊपर जाने पर किस मुंह से भगवान को अपना चेहरा दिखाऊंगा। वह सोचता है कि अगर मैं इसी तरह से खाली करता रहा तो मैं 1 दिन अपने आप को बहुत बड़ा पापी समझूंगा क्योंकि लोगों को ठगना एक प्रकार का बहुत ज्यादा खराब बात मानी जाती है। उन्होंने फैसला किया कि हमसे भी हम बाबागिरी छोड़ देंगे और यहां से अपने घर चले जाएंगे। यह बात गोविंद अपने दोस्त रमेश को ही पता था रमेश कहता है पगला गया है तुम क्या इतना अच्छा खासा बिजनेस चल रहा है तुम यह सब छोड़ कर घर जाना चाहती हो घर जाकर क्या कर लोगे तुम।

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तभी गोविंद कहता है कि मुझे अब किसी को ठगने की हिम्मत नहीं रही अब मैं किसी को नहीं उल्लू बना सकता हूं। क्योंकि अब हम लोगों को इस काम को छोड़कर नेक राह पर चलना चाहिए रोने राह पर चलकर हमें अच्छी खासी धन की प्राप्ति हो सकती है। ऐसा कहने पर रमेश कहता है कि तुम्हें जाना है तो जाओ मैं नहीं जाने वाला हूं मैं यहीं रहूंगा। फिर वह गोविंद वहां से चला जाता है और रमेश वहीं रह जाता है। अब तो रमेश के पास गोविंद बाबा कमाना इसलिए उनका पैसा कमाना हम ज्यादा मुश्किल हो रहा था।

आपको बता नहीं की गोविंद हम अपना घर चला गया था और रमेश को हीरा कर गोविंद के द्वारा किए गए कार्यों के द्वारा जो लोग ठीक हो गए थे उनके घर ज्यादा खराब उनसे जबरदस्ती पैसे मांगने लगा था। ज्यादा पैसे मांगने के बावजूद होगा उन लोगों को और भी जबरदस्ती पैसा मांगा करता था। उनके पास बहुत सारे दानी खट्टे हो गए थे वह रास्ते में सभी धन लेकर आना था तभी रास्ते में था करवा एक पेड़ के नीचे सो जाता है। फिर उसके बाद वहां पर कोई डाकू आता है और उन्हें डरा धमका कर सभी पैसा उनसे लेकर चला जाता है। अब तो रमेश को भी खाली हाथ घर आना पड़ता है और फिर से अपना काम कहां शुरू करना पड़ता है।

लालची ब्राह्मण की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

इस्लामी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी को ठगना नहीं चाहिए। क्योंकि कोई भी लोग हो बड़ी मेहनत से अपनी धन दौलत को इकट्ठा करते हैं और अपने परिवार वालों के लिए बचा कर रखते हैं।

लालची ब्राह्मण की कहानी का निष्कर्ष

हम लोग आज के इस Hindi Story हमने आज लालची ब्राह्मण की कहानी के बारे में जानकारी हासिल किया है। उम्मीद है कि ब्राह्मण की कहानी जो कि एक धार्मिक कहानी है इस कहानी को पढ़कर आप सभी को मजा आया होगा और कुछ सीखने को मिला होगा। यदि आपको हमारी वेबसाइट स्टोरी हिंदी पर प्रकाशित किए गए कहानियां पसंद आती है तो कृपया करके इसे अपने दोस्तों के साथ अपनी अपनी सोशल मीडिया अकाउंट पर जरूर शेयर करें ताकि हमारा भी सपोर्ट हो सके।

FAQ of लालची ब्राह्मण की कहानी
  1. रमेश और गोविंदा सबसे पहले कहां काम किया करता था?

    रमेश और गोविंद सबसे पहले एक हलवाई की दुकान पर काम किया करता था।

  2. रमेश और गोविंद को हलवाई ने काम पद से क्यों निकाला था?

    रमेश और गोविंद हलवाई ने उनसे यह बात करते सुन लिया था कि उस हलवाई की दुकान के बगल में ही बेलूक अपनी दुकान खोलेंगे।

  3. बाद में दोनों मिलकर किस प्रकार के बिजनेस शुरू किया था?

    बाद में दोनों रमेश और गोविंद मिलकर भीख मांगने का बिजनेस शुरू किया था।

  4. बुरे काम का बुरा नतीजा इस कहावत से आप क्या समझते हैं?

    बुरे काम का बुरा नतीजा इस कहावत से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए। अगर हम किसी का बुरा कहे करेंगे तो साथ में हमारा भी कभी बुरा हो सकता है।

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