Shiv Ji Ki Katha – शिव की कथाएँ और सोमवार व्रत कथा

Shiv Ji Ki Katha: जैसा की आप सभी को पता करके हिंदू धर्म में भगवान शिव को काफी ज्यादा मान्यता दिया जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार भगवान श्री गणेश जी के माता पिता के रूप में भगवान शिव माता गौरी दोनों थे। ऐसे में आज की इस कहानी में हम लोग भगवान शिव की कथाएं और सोमवार व्रत कथा मतलब के Shiv Ji Ki Katha को सुनने वाले हैं।

भगवान शिव को लोग प्यार से भोलेनाथ कहते हैं तथा डमरू वाले बाबा भी कहते हैं। ऐसे में हिंदू धर्म के लोगों के लिए सबसे आइडियल माने जाने वाला भगवान शिव की कथा को इस लेख में बेहतरीन नाम से दर्शाया गया है।

भगवान शिव की कथा के साथ-साथ इसलिए हमें Shiv Katha और उससे जुड़े और भी बहुत सारी कहानियां कथाएं को शामिल किया गया है जैसे कि शिव कथा पुराण, Mahadev ji ki katha, सोमवार की शिव कथा, Shankar bhagwan ki katha, पार्वती शंकर भगवान की कथा, Shiv ji ki kahani, Shiv katha in Hindi इत्यादि कहानियों को भी हमने इसलिए हमें शामिल किया है।

शिवजी आए पानी पुरी खाने – Shiv Ji Ki Katha

Shiv Ji Ki Katha

बहुत पुराने जमाने की बात है किसी गांव में दो पानी पुरी वाले अपना ठेला आमने-सामने लगाया करता था। उस गांव में केवल दो ही पानी पूरी वाले लोग थे एक का नाम भी माशा दूसरे का नाम सुरेंद्र था।

दोनों एक ही चौराहे पर अपना पानी पूरी वाला ठेला लगाया करता था। लेकिन बीमा अच्छी तरह से अपना गुपचुप तथा गोलगप्पा बनाया करता था। जिस कारण से भीमा का गोलगप्पा लोग खाने के लिए भीड़ लगा दिया करते थे।

लेकिन दूसरी तरफ सुरेंद्र का गोलगप्पा खाने के लिए किसी प्रकार का कोई भी आदमी नहीं रहता था। क्योंकि सुरेंद्र गोलगप्पा बिल्कुल भी अच्छी तरह से नहीं बनाया करता था वह जैसे तैसे बनाता था और पानी भी अच्छी तरह से नहीं बनाता था। ऐसे में बहुत सारे लोग एक बार खा कर दोबारा उसके दुकान पर बुढ़ापा हानि बिल्कुल भी नहीं जाते थे।

शिव कथा पुराण

बीमा की दुकान पर इतनी ज्यादा कस्टमर को देखकर सुरेंद्र को बिल्कुल गुस्सा आ जाता था। एक बार सुरेंद्र ने सोचा कि चलो आज हम भी कुछ नया ट्राई करते हैं गोलगप्पे बनाने के लिए। वह एक आदमी के पास गया और उससे पूछा कि लोगों को आदत बनाने के लिए क्या प्रयोग करना चाहिए। तभी वह आदमी कहना है कि लोगों को आदत बनाने के लिए एक नशा वाला पदार्थ बनाना चाहिए जैसे लोगों की आदत हो जाए है।

ठीक वैसा ही सुरेंद्र करने लगा था अपने गोलगप्पे के साथ। दूसरे दिन बहुत ही नशीली पदार्थ को घर में ले जाकर गोलगप्पे वाले पानी में मिला रहा था। तभी उसकी पत्नी देख लेती है और कहती है कि यह बिल्कुल गलत बात है आपने गोलगप्पे वाले पानी में क्या मिलाया है।

तभी सुरेंद्र अपनी पत्नी को डांट देता है और कहता है कि तुम चुप रहो यह सभी लोगों को आदत बनाने के लिए है जो भी मेरे पास एक बार बुलावा आएगा वह दोबारा भीमा के ठेला पर कभी गोलगप्पा खाने नहीं जाएगा।

वह रोज इसी प्रकार से गोला वाले पानी में नशीले पदार्थ मिलाकर ग्राहकों को खिलाया करता था। जो भी ग्राहक उसके पास है गोलगप्पा खाया करता था वह प्रतिदिन उसके ठेला पर जाकर गोलगप्पा खाने के लिए मजबूर हो चुके थे। अब तो बीमा के ठेला पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं लगती थी सभी भीड़ तो अब सुरेंद्र के ठेला पर लगने लगी थी।

क्योंकि सुरेंद्र अपनी नशीली पदार्थ के जरिए लोगों को इसका आती बना चुके थे वह लोग उसके खाने के लिए बेकरार रहते थे। ऐसे में अब भीमा का कारोबार बिल्कुल भी सही से नहीं चल रहा था। वह भगवान श्री गणेश तथा भगवान शिव से प्रार्थना कर रहा था।

फिर उसके बाद यमलोक से जाता है खबर भगवान शिव के पास उस खबर में लिखा होता है कि पृथ्वी लोक पर बहुत सारे लोग मिलावटी खाना बनाकर खिला रहे हैं। जिससे लोगों की मृत्यु हो तय सीमा से पहले ही हो रही है। यह शिकायत सुनकर भगवान शिव ने खुद ही कहां की है मैं नीचे जा कर देख लूंगा। और जो भी है मिलावटी पदार्थ ग्राहकों को खिलाएगा उसे मैं दंडित करूंगा।

Mahadev ji ki katha

भगवान शिव ने अपने पुत्र श्री गणेश को बुलाया और कहा कि चलो हम लोग अब सैर करने जाएंगे पृथ्वीलोक में। तभी हम भगवान श्री गणेश कहते हैं कि यह तो अच्छी बात है मुझे भी घूमने का बहुत ज्यादा शौक है।

भगवान श्री गणेश के साथ-साथ भगवान शिव दोनों एक साथ जमीन पर घूमने के लिए आते हैं। जैसे हो हम दोनों ठेले वाले के पास जाते हैं देखते हैं कि एक ठेले वाले के पास भीड़ तो बिल्कुल भी नहीं है और दूसरे के पास बहुत ज्यादा भीड़ है।

सभी भगवान श्री गणेश और भगवान से हम दोनों मिलकर बीमा के गोलगप्पे वाले ठेले पर जाते हैं और कहते हैं कि यह कौन सी चीज है जरा हम लोगों को भी खिलाओ। तभी श्रीगणेश कहते हैं कि यह कौन सा चीज है पृथ्वी लोक में मुझे तो इसी से कभी भोग नहीं चढ़ाया गया है।

उसके बाद भीमा इन दोनों को अपनी गोलगप्पे खिलाता है। लेकिन जाते वक्त भीमा कहता है कि आपने तो कॉल कर खाएं हैं लेकिन पैसे नहीं दिया ऐसे ही जा रहे हैं। तभी भगवान शिव और श्री गणेश कहते हैं कि मैं ऐसे ही जा रहा हूं क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं है। उसके बाद भीमा कहते हैं कि ठीक है कोई बात नहीं ऐसे भी तुम मुझे गोलगप्पे बेचने ही होते हैं और कुछ दिन से मेरा गोलगप्पा भी नहीं बिक रहा है सारा बर्बाद हो जाता है।

Shiv Ji Ki Katha

उसके बाद हम दोनों भगवान शिव और भगवान श्री गणेश दोनों मिलकर सुरेंद्र के ठेले पर पहुंचते हैं। और वहां के गोलगप्पा खाने का डिमांड करते हैं। जैसे ही दोनों गोलगप्पे खाते हैं वैसे ही उन्हें नशीली पदार्थों का पता चल जाता है। भगवान शिव गुस्सा हो जाते हैं और सुरेंद्र को ऊपर उठाकर जमीन पर पटक देते हैं। सुरेंद्र यह देख कर बिल्कुल भी घबरा जाते हैं और सारी सच्चाई सच-सच बता देता है।

सोमवार की शिव कथा

यह सभी चीजें देखकर वहां के ग्रामीण सुरेंद्र को पीटने लगते हैं। क्योंकि उन्होंने बहुत दिनों से ग्रामीणों को इस तरह से फिर उसे भगवान शिव और भगवान श्री गणेश के द्वारा बचा लिया जाता है। उसके बाद सुरेंद्र माफी मांगता है और कहता है कि मैं बिल्कुल भी कभी भी आगे से ऐसा नहीं करूंगा।

फिर जब भगवान श्री गणेश और भगवान शिव जाने लगते हैं तो वह अपने असली रूप में आकर भीमा को दिखा जाते हैं। भीमा यह सब देख कर भगवान शिव की बहुत ज्यादा पूजा करने लगते हैं और भगवान श्री गणेश की बहुत ज्यादा पूजा करने लगते हैं। उसके बाद से अब दोनों उसी जगह पर ठेला लगाता है और दोनों में से सभी का ठेला और अच्छी तरह से चल रहा था।

Shiv Ji Ki Katha के बारे में

शिव कथा, Shiv Ji Ki Katha एक प्रकार की ऐसी कथा है जिसे सुनकर मन में बहुत ज्यादा शांति मिलती है। दिल बहुत ज्यादा खुश हो जाता है साथ ही साथ हमको यह भी बता देगी शिव कथा में प्रतिदिन हो प्रति बुधवार गुरुवार को सुननी चाहिए। क्योंकि शिव कथा सुनने से हमारे जीवन के हैं सभी कष्टों को लेकर काफी ज्यादा समस्या सुलझाने में काम आता है।

भगवान शिव की सोमवार व्रत कथा काफी ज्यादा पॉपुलर कथा माना जाता है। और सोमवार को भगवान शिव का दिन होता है इसमें सोमवार व्रत कथा के बारे में अवश्य जाना चाहिए सभी लोगों को हो। आपको बता दें कि Shiv Ji Ki Katha को हम लोग अपने घर पर इंटरनेट के द्वारा पढ़ा सकते हैं।

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सोमवार व्रत कथा करनी और सुनने से भगवान शिव काफी ज्यादा खुश हो जाते हैं और हमें बहुत ज्यादा पुण्य देते हैं। ऐसे भी हम सभी को चाहिए कि भगवान शिव की पूजा हमेशा करनी ही चाहिए। साथ ही साथ भगवान श्री गणेश का भी ध्यान करना चाहिए। यदि आप को हमारी तरफ से जारी किया गया कहानी पसंद आता है कृपया करके अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें।

FAQ for Shiv Ji Ki Katha
  1. भगवान शिव जी की कथा सुनने से क्या लाभ होते हैं?

    भगवान सिंह जी की कथा सुनने से हमें अपने जीवन में बेहतरीन रूप से रहने की क्षमता प्राप्त होती है।

  2. श्री गणेश भगवान शिव के कौन हैं?

    भगवान श्री गणेश भगवान शिव के प्यारे पुत्र हैं।

  3. भगवान शिव की कहानी क्या है?

    शिव जी की कहानी एक बहुत अच्छी कहानी मानी जाती है।

  4. भगवान शिव की कौन सी कथा सुनाई जाती है?

    भगवान शिव की कथा भागवत कथा में ही सुनाई जाती है।

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