जादुई कहानी स्टोरी इन हिंदी – जादुई गाय की कहानी में हम लोग एक जादुई गाय की कहानी के बारे में पढ़ने वाले हैं जिसे हम लोग जादुई हिंदी कहानियां के नाम से भी जानते हैं। जादुई हिंदी कहानियां सभी लोगों को बेहद ज्यादा पसंद आती है खास करके उन लोगों के लिए जो अपने अपने बच्चों को प्रेरणादायक हिंदी कहानियां सुनाएं करती है।
Story in Hindi किस लेख में आज हम लोग जादुई कहानी जिसमें एक जादुई गाय के बारे में बताया गया है इसके बारे में जानने वाले हैं हम सभी लोगों को पंचतंत्र की कहानियां तथा लव स्टोरी इन हिंदी के बारे में भी पढ़ना चाहिए जिसकी उम्र ज्यादा हो गई है उन्हीं लोगों के लिए लव स्टोरी इन हिंदी है बाकी सभी लोग नॉर्मल हिंदी कहानियां है पढ़ें।
इसलिए इस लेख में हम लोग जादुई कहानियां के साथ-साथ … इत्यादि कहानियों के बारे में भी पढ़ेंगे जैसे हमारा समय तथा हमें कहानियां पढ़ने में मजा आएगा। यदि आपको हमारी कहानियां पसंद आती है और आपके पास भी कोई कहानियां है जिसे हम अपनी वेबसाइट StoryHindi.net पर डालने का अनुरोध करेंगे तो हम आपकी कहानियों को अपने वेबसाइट पर जरुर डालेंगे।
जादुई गाय की कहानी – Hindi Kahaniyan
एक बार की बात है एक गांव में बहुत सारे किसान रहा करते थे सभी किसान के पास अपनी अपनी पशु थी। उसी गांव में एक गौरव नाम का आदमी था उनके पास भी अपनी गाय थी और उसके बगल में एक आदमी रहता था जिसकी एक गाय के दूध की चर्चा पूरे गांव में सबसे ज्यादा शोर थी उसका नाम रविंद्र था।
उस गांव के लोगों का मुख्य काम यही था कि अपने खेतों में काम करना और अपने पशुओं की देखभाल करना उस गांव में दूध की उपज ज्यादा होती थी क्योंकि बहुत सारे पशु उसी गांव में सभी लोगों के अपने अपने पशु रहा करते थे।
जब भी गौरव अपनी गाय का दूध निकालता था तो वह अपने दूध में बहुत सारा पानी मिलाकर ग्राहकों को बेचा करता था जिससे उन्हें काफी ज्यादा फायदा हो जाया करता था। गौरव हमेशा से ऐसा ही करता रहा था तो वह सुबह शाम जब भी गाय का दूध होता था तो हुआ उसमें काफी ज्यादा मात्रा में पानी मिला दिया करता था इस कारण से लोग उनका दूध देने से इनकार कर दिया करते थे।
उसके घर के बगल में ही एक किसान था जिसका नाम रविंद्र था वह अपनी गाय से दूध निकालता था और बिना पानी मिला है उसे बेच दिया करता था जिससे लेने वाले उसकी ग्राहक उसे बहुत खुश था और उनका दूध लेने के लिए सभी लोग आने लगे थे।
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रविंदर जब गांव से बहुत निकालता था तो उसके घर के बाहर की लंबी लंबी लाइन लग जाती थी क्योंकि उसका का इतना बड़ा था और उसके पास कम से कम 10 गाय थी उनके घर में करीब करीब 1 दिन में एक 100 किलो दूध निकलता था जिस कारण से हलवाई से लेकर बहुत सारे दुकानदार चाय वाले अथवा बहुत सारे घरेलू आदमी भी उसका दूध लेने के लिए लंबी-लंबी लाइन उसके घर के बाहर लगा दिया करता था वह दूध लेने के लिए।
उसका कार्य ऐसे ही चलता रहा तो उसके बगल में रहने वाले गौरव किसान उसे जलने लगा क्योंकि गौरव का दूध कोई भी नहीं लेता था क्योंकि वह उसमें काफी ज्यादा मात्रा में पानी मिला दिया करता था। तभी उन्होंने सोचा कि हम रविंद्र किसान का नुकसान कर कर उसकी गाय को मार देंगे और फिर हमारा दूध ही सभी लोग लेंगे इससे हमारा ज्यादा फायदा होगा और हम जितना मन उतना पानी मिलाकर भेज देंगे।
उन्होंने अगली सुबह ठीक वैसा ही किया जैसे ही रात होगा उन्होंने एक जहर का डिब्बा लाया और रविंद्र की गाय के चारे में मिला दिया जैसे ही गाय ने हुआ चारा खाया अगले ही दिन गाय की मौत हो गई थी। यह सब देख कर रविंद्र बहुत दुखी था क्योंकि उसकी गाय की मौत हो चुकी थी अब उसका घर का खर्चा दशहरा सन किस प्रकार से चलेगा यह सोच सोच कर उनकी हालत खराब हो गई थी और उनके पास अभी पैसे भी बहुत कम थे।
रविंद्र की गाय की मौत हो जाती है तो बगल में रह रहे किसान गौरव किसान बहुत ज्यादा खुश हो जाता है क्योंकि लोग अब उसके घर के बाहर से दूध लेने के लिए जाने लगे क्योंकि अब तो रविंदर के पास दूध नहीं था लोगों को मजबूरन उन्हीं के दूध लेना पड़ता था।
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यह सभी देखकर गौरव किसान बहुत ज्यादा खुश होता था क्योंकि हम उसकी निगम 5 गुना ज्यादा होने लगी थी। पहले उनका दूध कोई भी नहीं लेता था और बहुत सारा दूध उसे घर में ही है रह जाया करता था। लेकिन आप रविंदर का गाय मरने के कारण गांव में दूध की कमी होने लगे थे इस कारण से लोग आप गौरव के घर से ही दूध ले जाया करता था।
अब तो रविंदर का घर का दर्जा दिलाने के लिए बने काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। वह जैसे तैसे पैसों का व्यवस्था किया लेकिन उसके पास ज्यादा पैसा नहीं था वह बताने पैसे को लेकर नया दूसरा गाय खरीदने के लिए अपने घर से निकल पड़ा था।
रविंदर कुछ पैसे लेकर मार्केट की तरफ बढ़ने लगा था ताकि वह एक छोटी सी गाय ले सके जिसके लिए वह अपना घर का सभी खर्चा आराम से चला सके। लेकिन कुछ दूरी चलने के बाद उन्हें एक बुढ़िया मां दिखाई दिया बहुत ही ज्यादा गमगीन और भूखी मालूम हो रही थी बूढ़ी अम्मा ने रविंद्र को रोका और कहा कि बेटे तुम कहां जा रहे हो मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है अगर तुम मुझे कुछ पैसे दे दो तो मैं अपना भूख मिटा सकती हूं।
लेकिन रविंदर तो जैसे तैसे पैसे जुटाकर होगा अपने लिए गाय करने के लिए मार्केट जा रहा था लेकिन बूढ़ी अम्मा भी बहुत ज्यादा भूखी थी उन्हें अगर पैसा नहीं मिला तो बहुत ज्यादा दुखी पहुंचता उन्होंने खूब सोचा कि मैं क्या करूं तभी उन्होंने फैसला किया कि मैं इस बूढ़ी अम्मा को पैसे दे देता हूं हमारी जिंदगी तो वैसे ही कट रही है आगे भगवान की मर्जी है।
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रविंदर और बहू की बुढ़िया मां को पैसे दे देता है तभी बूढ़ी अम्मा कहती है कि बेटा तुम इधर कहां जा रहे थे। तभी रविंद्र कहता है कि मेरे घर में बहुत सारे लगाए थे हमें उन्हीं का दूध निकाल कर अपना पालन पोषण किया करता था लेकिन कुछ दिन पहले ही मेरी गाय की मौत हो गई थी किसी कारणवश। इसीलिए मैं अपने घर के लिए गाय खरीदने जा रहा था ताकि मैं उसे दूध बेचकर कमाया जा सके।
पति बहुत बढ़िया मां कहती है कि बेटे अगर तुम्हें कोई संकोच ना हो तो मेरे पास एक गाय है अगर तुम चाहो तो फिर ले सकते हो क्योंकि मेरे पास इतनी ताकत नहीं है कि मैं आपसे ज्यादा लगा पिला सकती हूं। यह सुनकर रविंद्र किसान बहुत खुश हुआ उन्होंने कहा कि हां मैं आपका गाय लेने के लिए राजी हूं चलिए आप गाय बताइए मैं ले आऊंगा।
वह बूढ़ी अम्मा अपने घर जाती है और वहां से है रविंदर को एक गाय दे देती है। गाय लेकर रविंदर अपना ख्याल आता है और हाथ में सो जाता है। अचानक रात में एक सपना आता है कि रविंदर दिखता है कि वह बूढ़ी अम्मा के सपने में हाथियों के तरीके रविंदर तुम सो क्यों रहे हो जाकर आपने गाय का दूध निकालो तभी तुम्हें पता चलेगा दूध की कीमत के बारे में।
रविंद्र जल्दी से अपने बिस्तर से उठ जाता है क्योंकि उस समय तक सुबह हो चुकी थी वह अपने पत्नी को कहना है कि मुझे सपना में एक बुढ़िया माई थी जिससे मैंने मदद किया था उन्होंने कहा कि जाकर गाय का दूध निकालो तुम्हें सब कुछ पता चल जाएगा। रविंद्र ने ठीक वैसा ही किया उन्होंने बाल्टी उठाई है और गाय का दूध निकालने चला गया जैसे ही उन्होंने गाय का दूध निकालो तो देखा कि गाय का दूध पीला रंग का देख रहा था।
रविंद्र ने तुरंत अपनी पत्नी को बुलाया और कहा कि भाग्यवान देखो हमारे गाय से किस रंग का दूध निकल रही है पत्नी ने दूध को छुआ और देखा कि यह तो सोने की तरह है तभी उसने कुछ देर बाद हाथ में लेकर कहती है कि यह सोने के जैसा नहीं बल्कि सोना ही है।
वह मन ही मन उस बुढ़िया मां को धन्यवाद किया और कहा कि पत्नी से लोग हमारी जिंदगी सुबह देमाली है अब हम लोग दूध निकालकर इसे सोने के भाव से सोने की दुकान को जाकर सुनार के पास भेज दिया करेंगे जिससे हमारी दुख के दिन खत्म हो जाएंगे।
उन्होंने ठीक मैसेज करने लगा रोज सुबह शाम दूध निकलता है और उसे सुनार के पास जाकर भेज दिया करता था कुछ ही दिनों के बाद रविंदर बहुत ज्यादा अमीर हो गया था और सब हमीर हुआ तो अपने गांव के लोगों को ही बहुत ज्यादा मदद किया करता था। रविंद्र की सोमवार को देखते हुए गांव के लोगों ने बहुत ज्यादा पसंद करने लगे थे क्योंकि वह सभी के सुख दुख में हमेशा काम आया करते थे।
यह सभी चीजें देखकर बदल के रहने वाले गौरव किसान को बहुत ज्यादा गुस्सा आया उन्होंने कहा कि मैं फिर से इसकी गाय को जान से मार दूंगा मुझे काफी ज्यादा नुकसान हो रहा है और यह दिन प्रतिदिन एक बनवाना नहीं बनता जा रहा है। अगली सुबह गौरव ने वैसा ही किया शाम होने दिया और उसके घर पहुंच गया हुआ गाय पर हमला करने के लिए तैयार था तभी आ जाना वह बूढ़ी अम्मा उसके पास आती है और गौरव किसान को जोर से मारती है।
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गौरव किसान इतनी दूर से आ कर गिरता है कि उसका कहीं अता-पता नहीं चलता है और वह बूढ़ी अम्मा उनको अच्छे से समझा देती है कि दोबारा तुम इस तरह का कार्य करने की कोशिश मत करना। क्योंकि यह कोई आसान सा नॉर्मल गए नहीं है यह एक जादुई का है इसे मारना तो तुम्हारे बस का नहीं है।
फिर क्या था उस दिन के बाद गौरव किसान उस गांव में तो क्या उस एरिया में भी नहीं लिखा हुआ गांव छोड़कर कहीं दूर जाकर बस सुखाता क्योंकि बूढ़ी अम्मा उसको वार्निंग दी थी कि तुम यहां नजर मत आना नहीं तो तुम्हारे साथ बहुत बुरा हो सकता है। सिर रविंद्र अपने पति पत्नी से सब बच्चे समेत खुश रहा और हमेशा अपने आस-पड़ोस तथा गांव के लोगों को हमेशा से मदद करते रहता था।
जादुई गाय की कहानी का निष्कर्ष
इस कहानी में हम लोग जादुई कहानी से संबंधित एक जादुई गाय की कहानी के बारे में पढ़ा है उम्मीद है कि आप सभी को हमारी वेबसाइट स्टोरी हिंदी बहुत ज्यादा पसंद आ रहा होगा।
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FAQ जादुई गाय की कहानी
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जादुई गाय की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
जादुई गाय की कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी किसी का नुकसान नहीं सोचना चाहिए क्योंकि जो भी देता है सभी को भगवान खुद ही देता है।
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इस कहानी में रविंद्र की गाय की मौत कैसे हुई थी?
इस कहानी में रविंद्र की गाय की मौत उसके पड़ोसी के द्वारा खिलाया गया जाहर के कारण हुआ था।
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रविंद्र ने किस तरह की बुढ़िया मां का मदद किया था?
रविंद्र ने बढ़िया मां को कुछ पैसे दिए थे ना कि वह बहुत भूखी थी इस तरह से रविंद्र ने बूढ़ी अम्मा की मदद किया था।
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बूढ़ी अम्मा रविंदर को किस तरह से मदद किया?
बूढ़ी अम्मा ने अपनी एक गाय रविंद्र को देखकर उसकी मदद किया था जो कि एक जादुई गाय था।