Kahaniyan : आज की इस कहानी में हम लोग चालाक भेड़िया और बकरी की कहानी के बारे में स्टोरी इन हिंदी पढ़ने का मौका मिलेगा। इस कहानी में हम लोग एक चालाक भेड़िया और बकरी की दोस्ती की कहानी के बारे में जाने का मौका मिलेगा।
Chalak Bhediya Ki Kahani तथा हिरण और बकरी की कहानी के बारे में बताया जाएगा। आपको बता दें कि आज के इस हिंदी कहानियां में हम लोग एक भेड़िया की राजनीतिक कहानी के बारे में पढ़ने वाले हैं। आज के इस लेख में हम लोग हिरण और बकरी की दोस्ती के बारे में पढ़ने वाले हैं साथ ही साथ हम लोग Hiran aur Bakri Ki Kahani, Hiran aur Bakri Ki Dosti, दो दोस्त की कहानी इत्यादि कहानियों के बारे में भी संपूर्ण जानकारी मिलने वाली है।
चालाक भेड़िया और बकरी की कहानी हिंदी में
एक समय की बात है किसी जंगल में एक हिरण हमेशा घूमती रहती थी। वह हिरण बहुत दिनों से उसी जंगल में इधर-उधर घूमता फिरता रहता था और खाने की तलाश में इधर-उधर भटकती रहती थी। हिरण एक नंबर का फुर्तीला और चालाक था वह अपनी बुद्धिमानी और चालाकी से बड़े-बड़े शेर अथवा भेड़िया को भी धूल चटा दिया करती थी।
एक दिन जब हुआ जंगल में इधर-उधर घूम रही थी और अपना घास खा रही थी तभी उसके आगे एक भेड़िया का गुजर हुआ हिरण को देखकर भेड़िया के मन में लालच आ गया और उन्होंने उसे खाने के तरीके के बारे में सोचने लगा था।
बढ़िया को लग रहा था कि या बेवकूफ हिरण है इसे हम बहला-फुसलाकर कहीं दूर ले जाकर अपनी गुफा में इसका काम तमाम कर देते हैं। और इसी कारण से हमारा कम से कम 1 सप्ताह का भोजन का प्रबंध हो जाएगा। जैसे ही भेड़िया हिरण के पीछे भागने लगा हिरण बहुत तेजी से जंगल की ओर बढ़ने लगी थी।
चालाक भेड़िया और बकरी
हिरण आगे आगे बढ़ रहे थे और उसके पीछे पीछे एक बेरिया उसका पीछा कर दे कर दे बहुत दूर निकल गया था। लेकिन फिर भी हुआ हिरणभेड़िया से हार नहीं मानी थी। उसने अचानक देखा कि एक जगह बहुत ज्यादा दलदल है हिरण जानबूझकर उस दलदल में कूदकर इस पार से उस पार हो गया लेकिन भेड़िया में चेहरा उस दलदल में ही फस गया था।
जब भेड़िया दलदल में फंस गया था तो बाद में हिरण देखकर मुस्कुराई और कहने लगी देखा भेड़िया तुम्हें मुझे खाने का यह अंजाम है अब तुम यही दलदल में फंसे रहो मैं इसलिए आराम करने हैं। इस बात को लेकर बिगड़ गया बहुत गुस्सा होगा और उसे हिरण पर हमेशा से ही नजर बनाए रखा।
घड़ियां किसी भी तरह इधर-उधर करके बाहर निकल पाया था वह भी काफी मशक्कत करने के बाद। जब बिंदिया दलदल से बाहर निकला तो वह काफी ज्यादा परेशान हो चुका था और काफी ज्यादा तक भी चुका था। वह आराम करने के लिए अपनी गुफा में चला जाता है लेकिन अगली ही सुबह हुआ हिरण पर नजर रखना चालू कर देता है क्योंकि जैसे ही मौका मिलेगा वह हिरण का काम तमाम कर देगा।
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एक बार की बात है जब वह जंगल में टहल रहा था तो एक बकरी मिली हिरण को। हिरण और बकरी दोनों में बिल्कुल भी नहीं जानती थी वह एक दूसरे का बिल्कुल भी जानी दुश्मन था। जैसे ही बकरी या के सामने आई हिरण तुम बहुत ज्यादा गुस्से में आ गया और कहां की बकरी तुम मेरी जंगल में क्या कर रहे हो या तुम्हारा जंगल नहीं है।
हिरण और बकरी में दोनों में जमकर लड़ाई हुई लड़ाई इतनी देर तक चलेगी जंगल के सभी जानवर उसके आसपास पहुंच गए थे। जैसे यह सभी जंगल के जानवर शेर और बकरी को लड़ाई करते हुए देखता है तो जंगल के सभी जानवर कहता है कि जंगल तो सभी के लिए है यहां सभी जानवर अपना अपना घर बना कर रहा करता है। तुम दोनों मिलकर इतनी जल्दी क्यों कर रहे हो छोटी-छोटी बातों को लेकर।
हिरण और बकरी दोनों को सभी जंगल के जानवर मिलकर समझाने लगे थे और लड़ाई छोड़ने के लिए मना कर रहा था। तभी दोनों ने अपनी अपनी समझ दिखाइए और लड़ाई छोड़ दी रहो जंगल के सभी जानवर उन दोनों को कहा कि तुम दोनों दोस्त क्यों नहीं बन जाते हो क्योंकि जंगल तो सभी जानवरों का घर है।
फिर से हिरण और बकरी दोनों एक अच्छे दोस्त बन जाती है दोनों साथ-साथ एक साथ घूमती है जहां जाती है दोनों साथ साथ जाती है। हिरण और बकरी में इतनी ज्यादा मित्रता हो गई कि वहां एक दूसरे के बिना कहीं नहीं जाया करते थे। क्योंकि मैं एक दूसरे के बिना मन नहीं लगने लगा था जिनकी एक से भले दो होते हैं।
और उनकी दोस्ती भी काबिले तारीफ थी क्योंकि दोनों एक ही चीज दोनों घास ही खाते थी तथा दोनों को मांसाहारी जानवरों से बहुत ज्यादा डर लगता था क्योंकि मांसाहारी जानवर चाहे हिरण हो चाहे बकरी हो दोनों को खा लिया करता था।
इन दोनों की मित्रता को देखते हुए बगल से देखते हुए एक भेड़िया जिसे हिरण ने अपनी बुद्धिमानी और चालाकी से उसे दलदल में फंस आया था वह बहुत ज्यादा जलता रहता था। वह अक्सर हिरण को किसी ने किसी मुसीबत में फंसाने के तरीकों के बारे में सोचते रहते थे लेकिन उसे कोई भी तरीका काम नहीं आया।
भेड़िया मन ही मन आग बबूला होता था क्योंकि उन्हें अपनी दुश्मनी मिटाने के लिए तथा अपने दुश्मन को खत्म करने के लिए किसी भी प्रकार का रास्ता नहीं मिल रहा था। इसी कारण से भेड़िए दिन-रात बकरी और हिरण के पीछे लगा हुआ रहता था कि किसी कारणवश इन दोनों का साथ छोटे और दोनों अलग अलग हो जाए ताकि मैं इन दोनों से अलग-अलग तरीकों से मुकाबला कर सकूं।
Hiran aur Bakri Ki Kahani
लेकिन दोनों में इतनी ज्यादा मित्रता हो गए थे कि वह एक दूसरे के बिना कहीं छाया भी नहीं करती थी। वह हमेशा एक दूसरे के साथ ही जंगल में घास चरने के लिए जाया करते थे और एक साथ एक ही तालाब में पानी पीने के लिए जाया करती थी।
यह देखकर भेड़िया बहुत ज्यादा गुस्सा हुआ क्या करती थी। उसके बाद एक दिन भेड़िया को एक आईडिया समझ में आया उन्होंने कहा कि इन दोनों को एक साथ रहते हुए हमें किसी भी प्रकार की हमला नहीं करनी चाहिए क्योंकि मुझे मुसीबत में पढ़ने पड़ते हैं।
भेड़िया ने हम अपनी राजनीतिक बुद्धिमानी के द्वारा उन दोनों को अलग करने का प्रयास कर रहा था। जब देखा कि बकरी या अलग कहीं ना सिखा रही थी तो भेड़िया बकरी के पास जाती है और कहती है कि बकरी तुम्हारा जो दोस्त है हिरण वह तुम पर बहुत ज्यादा दुश्मनी की नजर से देखता है।
यह सुनकर हिरण कहती है कि ऐसा हो ही नहीं सकता है कि वह मेरा परम मित्र है और वह हमारे बारे में ऐसा सोच भी नहीं सकता है। लेकिन फिर उसके बाद भेड़िया कहता है कि तुम चाहे कुछ भी समझो मैंने अपने कामों से तुम्हारे बारे में सुन सुना है। तभी हिरण कहती है कि अच्छा यह बताओ मेरे बारे में बकरी से क्या बोल रही थी।
तभी चालाक भेड़िया कहती है कि वह कह रहे थे कि किसी ने किसी पानी उसे मतलब की हिरण को शेर के पास ले जाकर उसकी जिंदगी खत्म कर दूंगी। क्योंकि वह इस जन्म में तो हमारा साथ छोड़ने वाला नहीं है। लेकिन फिर भी हिरण को उस धूर्त भेड़िया पर विश्वास नहीं होगा उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता। तभी भेड़िया कहते हैं क्या तुम्हारे मन में जो है तुम समझो मैंने जो सुना है सच सच बता दिया आगे अब तुम्हारा मन।
फिर भेड़िया आगे जाती है और देखती है कि बकरी एक अलग जगह में अपना घास खा रही थी। वह बकरी के पास जाता है और कहता है कि बकरी बकरी है तुम्हारा जो परम मित्र है हिरण वह तुम्हारी जान का दुश्मन है मैंने अपनी कानों से सुना है। तभी बकरी कहती है कि ऐसा कभी हो ही नहीं सकता क्योंकि वह मेरा परम मित्र है। अभी भेड़िया कहती हैं कि वह तुम्हारा परम मित्र बस दिखावे के लिए है किसी मैंने अपनी कानों से सुना है कि वह तुम्हें किसी ना किसी दिन शेर के गुफा में ले जाकर छोड़ देगा। इतना सुनकर बकरी ने कहा कि तुम जाओ अपना काम करो उस मेरा मित्र है वह हमारे लिए जान भी दे सकता है तो तुम ऐसी बात क्यों कर रहे हो। तभी मीडिया कहती है कि तुम्हारा मित्र तुम्हारा मन तुम्हारे शरीर तुम्हारा मर्जी तुम चाहे कुछ भी करो लेकिन वह तुम्हारा दुश्मन है और दुश्मन सब दिन रहेगा।
Hiran aur Bakri Ki Dosti
बकरी को तो भेड़िया के बातों पर विश्वास नहीं होता है लेकिन भेड़िया को जाने के बाद वह अपने मन में सोचने लगता है कि दोस्त किसी का होता है किसी का नहीं होता है क्या पता वह मुझे मारने का प्लान बैठा रहा होगा।
फिर दोनों आपस में एक जगह मिलता है दोनों एक दूसरे को देख कर बहुत ज्यादा गुस्सा हो जाता है और आपस में लड़ाई करने लगता है। यह देखकर भेड़िया मन ही मन मुस्कुरा रहा था और सोच रहा था कि आज मेरा सपना पूरा हो गया है क्योंकि मैं बकरियों हिरण के बीच दुश्मनी पैदा कर दिया था।
दोनों में इतना ज्यादा जमकर लड़ाई होगा की लड़ाई शाम तक चली और रात में दोनों घायल होकर वही मर गई। यह देखकर भेड़िया मन ही मन मुस्कुराए और सोचा कि चलो हमारे दुश्मन भी खत्म हो गया और हमें करीब करीब 2 सप्ताह का खाना भी मिल गया अब हमें खाने के लिए भी इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
चालाक भेड़िया और बकरी की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
चालाक भेड़िया की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि हमें अपने मित्रों के ऊपर ज्यादा शक नहीं करना चाहिए चाहे कोई कुछ भी बोले हमें अपने पहले अपने कामों से सुनना चाहिए तभी जाकर किसी भी बात का नेट नहीं करना चाहिए।
चालाक भेड़िया की कहानी का निष्कर्ष
इस कहानी में हम लोग चालाक भेड़िया के बारे में कहानी पढ़ी है तथा इस कहानी के साथ-साथ हमने आज बकरी और हिरण की दोस्ती के बारे में भी पड़े हैं उम्मीद है कि आप सभी को हमारी तरफ से मतलब की StoryHindi.net की तरफ से जारी किया गया हिंदी कहानी आप सभी को पसंद आया होगा।
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FAQ चालाक भेड़िया की कहानी का निष्कर्ष
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हमें अपने दोस्तों पर शक क्यों नहीं करना चाहिए?
हमें अपने दोस्तों पर इसलिए शक नहीं करना चाहिए क्योंकि कोई भी दुश्मनी के लिए हम दोनों के बीच कुछ आलतू फालतू की बातें फैला सकता है इसलिए सबसे पहले उसकी बातों की सत्यता की जांच करानी चाहिए।
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चालाक भेड़िया की कहानी में बिगड़ गया किसका दुश्मन था?
चालाक भेड़िया की कहानी में बिगड़ गया हिरण और बकरी का दुश्मन था।
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बकरी और हिरण की मौत कैसे हुई?
भेड़िया की बातों में आकर बकरी और हीर आपस में दुश्मनी पैदा कर ली थी और आपस में लड़ाई करने करते उन दोनों की एक साथ मौत हो गई थी।
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हमें किसी पर भी भरोसा क्यों नहीं करना चाहिए?
हमें किसी पर भी आंख बंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए सबसे पहले उसकी दोस्ती पर विश्वास नहीं चाहिए।