Story in Hindi : आज की इस कहानी में हम लोग गरीब समोसा वाले की कहानी के बारे में जाने वाले हैं दोस्तों कहानियां तथा छोटी-छोटी कहानियां हमारे बच्चों के लिए प्रेरणादायक सरोज का कार्य करता है। इसलिए हम सभी को अच्छी अच्छी कहानियां हमेशा पढ़नी चाहिए ताकि अच्छी अच्छी सीख मिल सके।
3 कहानियां पढ़ना मानसिक तौर पर अच्छा माना जाता है और खास करके ऐसी कहानियां जिसमें बहुत सारे सीख सीखने को मिलता है जैसे कि अकबर बीरबल की कहानी शॉर्ट स्टोरीज इन हिंदी स्टोरी इन हिंदी मोरल स्टोरी इन हिंदी धार्मिक कहानियां इत्यादि प्रभारी कहानियां में बहुत ही गौर से सुनना चाहिए।
गरीब समोसा वाले की कहानी – बच्चों के लिए Hindi Kahaniyan

दिल्ली के एक टूरिस्ट प्लेस के पास समीर अपने मां के साथ रहता था। वह बहुत छोटा था तभी उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी। जिस कारण से उनका पालन पोषण तथा उनके परिवार की स्थिति बिल्कुल भी सही नहीं थी यही कारण से समीर हर समय सोचा करता था कि क्या मेरा इस दुनिया में कोई नहीं है।
समीर शेख दिन अपने मां से पूछता है कि मां हम लोगों का इस दुनिया में कोई नहीं है कभी मां कहती है कि हां हमारा विश्वर्या में बहुत सारे लोग हैं लेकिन मेरे पास यह तो हमारे पास ज्यादा धनराशि नहीं है हम लोग अमीर नहीं है। इसी कारण से हम लोगों से मिलने के लिए हमारे रिश्तेदार नहीं अनजान क्या करते हैं और शादी विवाह तथा मृत्यु इत्यादि में हम लोगों को नहीं पूछा करते हैं।
धीरे-धीरे समीर की उम्र बढ़ती गई हुआ है जब 20 साल का हो गया तो उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई खत्म कर ली थी उनके साथ में रहने वाले सभी दोस्त घूमते फिरते थे। लेकिन समीर के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने दोस्तों के जैसे कपड़े पहन रखे अपने दोस्तों के जैसे मोबाइल यूज कर सके तथा अपने दोस्तों के जैसे बाइक और कार में घूम चुके।
समीरा बड़ा हो गया था उसके कंधे पर घर की जिम्मेवारी आ गए थे उन्होंने सोचा कि क्यों ना कोई काम कर लिया जाए ताकि मैं अपने घर परिवार का खर्चा चला सकूं। एक दिन जी बहुत है जब वह नदी किनारे डाल रहा था तो देखा कि एक नाम वाले सभी लोगों को ना पर बैठा कर कुछ पैसे लेकर उन्हें घुमाया कर देते हैं।
बच्चों के लिए Hindi Kahaniyan
समीर नाव वाले से कहते हैं कि क्या आप मुझे इस काम में रखेंगे मेरे घर परिवार चलाने के लिए बहुत सारे पैसों की कमी है क्योंकि मेरे पास कोई भी पैसा नहीं है। तभी वह नाव वाला सोचता है कि अगर मैंने काम पर रख लेता हूं या नाव चलाने सीख जाएगा और नाव खरीद लेगा तो मेरा बहुत घाटा लग जाएगा।
समीर नाव चलाने के बारे में पूछता है लेकिन नाउ वाला उसे मना कर देता है क्योंकि वह बहुत ज्यादा कीमती हुआ करते हैं और सभी के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपना नाम खरीद कर दे ना सके ऐसे में वह इस काम को भूल जाने में ही भलाई समझता है।
एक दिन जब वह अपने कॉलेज जाता है अपने दोस्तों के साथ घूमता है, दोस्त से कहते हैं कि दोस्त क्या तुम मेरी एक मदद कर सकते हो। दोस्त ने कहा कि हां बताओ हमें तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं अगर मेरे बस में होगा तो मैं जरूर तुम्हारा मदद करूंगा।

समीर अपने दोस्त को कहना है क्या तुम्हारे पास कोई काम है मेरे करने के लिए क्योंकि मेरा घर परिवार का खर्चा उठाने का वक्त आ गया है अब मैं पैसे नहीं घूम सकता हूं। तभी उसका दोस्त कहता है कि तुम अगर करना चाहो तो एक टूरिस्ट का काम करोगे जो भी व्यक्ति इस टूरिस्ट प्लेस में घूमने आएगा तुम्हें बस उसके बारे में विशेषता बताना है सभी आए मेहमानों को।
इसका दोस्त कहता है कि तुम्हें इसका मुझे बहुत ज्यादा का मुनाफा मिल सकता है क्योंकि मेरे एक कजन भाई भी एक काम करता है अगर तुम कहो तो मैं तुम्हें उस से मिलवा दूंगा और अगले ही दिन से तुम अपना काम शुरू कर सकते हो फिर आपने इससे तुम्हारा घर परिवार भी चल सकेगा और तुम पढ़ाई के लिए पैसे भी इकट्ठा सकते हो
Garib Samosa Wala Ki Kahani
अगले दिन हो समीर भाई सही करता है अपने दोस्त के कजन भाई के साथ जाता है और टूरिस्ट प्लेस में सभी आए मेहमानों को वहां के माहौल था इमारतों के बारे में सभी मेहमानों को बताता है। इसके बदले में उन्हें प्रतिमाह करीब ₹3000 मिल जाया करती थी जिससे उसका घर परिवार का खर्चा चल सकता था कथा कब उसमें से कुछ पैसे वह अपने लिए भी बचा कर रख लिया करते थे ताकि उन्हें कॉलेज जाने आने अथवा टूरिस्ट प्लेस आने जाने में किसी भी प्रकार का दिक्कत का सामना करना ना पड़े।
वह प्रत्येक दिन ऐसा ही करता टूरिस्ट मेहमानों को घुमाता फिर आता और प्रतिमाह अपनी सैलरी उठाता और फिर अपने घर ले आकर अपनी मां को दे दिया करता था। मां खुद से उन्हें अपने घर से के लिए कुछ पैसे दे दिया करते थे जैसे उनका पूरा घर परिवार चल पाता था। उसी काम को करने लगा था और कर दे कर दे काफी दिन हो गए थे।
1 दिन की बात है एक टूरिस्ट प्लेस टूरिस्ट जगह पर घूमने के लिए आया था लेकिन उन्हें काफी ज्यादा देर हो चुका था बदल के सारे होटल दादा खाने-पीने का ढाबा वगैरह सब बंद हो चुका था। लेकिन जब ग्राहक का तथा टूरिस्ट मेहमान का डिमांड होता है कि कोई अच्छा सा होटल बताओ जिसमें हम लोग खाना खा सके।
पुलिस मेहमानों को हमेशा अपने साथ एक होटल पर ले जाता है जहां टूरिस्ट लोगों को वहां के खाना पसंद नहीं आता है। मेहमान कहते हैं कि तुम्हें कोई और होटल पता है तो बताओ यहां का खाना तो बहुत खराब है और पहले का ही खाना है। टूरिस्ट मेहमान होटल वालों को कहते हैं क्या आप मेरे लिए दूसरा खाना बना सकते हैं तभी होटल वाले कहते हैं कि आप मेरे घर जाने का वक्त हो गया है और मैं खाना नहीं बना सकता हूं चलो मैं दुकान बंद करता हूं।
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तभी वहां मेहमान कहता है कि और तुम्हें कोई जगह पता है तो बताओ तभी वह अपने घर हुआ मेहमान को लेकर जाता है और अपनी मां को कहता है कि मां चावल वाली समोसा बनाना तो नए नए मेहमान आएंगे कुछ खिलाने के लिए है। उसकी मां फोड़ा नहीं समोसा बनाती है उसकी मां का समोसा बनाने की कला पहले से बहुत ज्यादा अच्छी थी वह हमेशा अपने बेटे के लिए समोसा बनाया करती थी जिस कारण से वह बहुत अच्छा समोसा बनाती थी।
उसकी मां के हाथों की समोसा जो भी आता था वह अपना हाथ चाटते रह जाता था क्योंकि बहुत ही स्वादिष्ट समोसा बना देती समीर की माताजी है। समोसा कुछ ही देर में बनकर तैयार हो गया था समीर अपने मेहमानों को पता है कि आप यहां बैठ जाइए मैं आपके लिए समोसा लेकर आता हूं। सभी समीर समोसा लेकर आता और अपने मेहमानों को देता है खाने के लिए जब मेहमान उस समस्या को खाता है और देखता है कि बहुत ज्यादा स्वादिष्ट है तो मेहमान उसके बदले समीर और उनके माता दी को बहुत सारा पैसा देता है।

मैं मान जाते जाते समीर और उसकी मां को भी कहता है कि अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं तुम्हें एक बात कहना चाहता हूं तुम टूरिस्ट प्लेस के बगल में एक होटल खोलो यहां पर तुमने अपना समोसा भेज सकते हो और हम तुम्हारा समोसा इतना स्वादिष्ट है कि कोई भी तुम्हारी समोसा खाने के लिए दूर-दूर से भी आ सकता है।
समीर और उसकी मां को यह आइडिया बहुत पसंद आया अगले कुछ सप्ताह में ही उन्होंने एक ठेले का जुगाड़ किया और टूरिस्ट पैलेस के बगल में ही एक थैला लगाया वहां पर वह समोसा बेचने लगा था धीरे-धीरे समोसा बहुत ज्यादा प्रचलित हो गया था। जो भी समीर से दुकान से खरीद कर ले जाता वह अगले बाहर और कहीं का समोसा खाने के लिए जाता भी नहीं था केवल समीर की दुकान से ले जाया करता था।
अब आगे से प्रतिदिन समीर और उसकी मां तरह-तरह के नए-नए डिजाइन के समोसे बनाया करती थी जिस कारण से समोसा बहुत ज्यादा प्रचलित हो गया था। हम बहुत सारे लोग उनके होडल से समोसा नहीं रहेगा तथा और अब समीर का जिंदगी भी सुधर गया था, लेकिन उनके पास बहुत सारा दिन भी आ गया था, उन्हें जीवन जीने के लिए किसी भी तरह का कोई प्रॉब्लम नहीं था।
गरीब समोसा वाले की कहानी का निष्कर्ष
आज की इस कहानी में हम लोग गरीब समोसा वाले की कहानी जैसे हम स्टोरी हिंदी कथा मोरल हिंदी स्टोरी मोरल स्टोरी इन हिंदी के लिस्ट में शामिल किया है। उम्मीद है कि आप सभी को हमारी तरफ से जारी किया गया स्टोरी इन हिंदी आप सभी को पसंद आया होगा। अगर आपको और भी हिंदी कहानियां पसंद है पढ़ना तो कृपया करके हमारे मुख्य पृष्ठ पर जाएं और वहां से बहुत सारी कहानियां की कैटेगरी मिल जाएगी जहां आप अपने मनपसंद की कहानियां पढ़ सकते हैं।
FAQ गरीब समोसा वाले की कहानी
बचपन में समीर क्या सोचता था?
इस कहानी में बचपन में कम समीर यह सोचता था कि उनके रिश्तेदार क्या इस दुनिया में नहीं है।
समीर की इस कहानी से आप क्या समझते हैं?
समीर के इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि धंधे से बड़ा कोई काम नहीं हो रहा धर्म से बड़ा कोई वसूल नहीं।
समीर उनके मुताबिक इस काम को करने के लिए इच्छा जताई थी?
समीर और उनके माताजी समोसा बेचने का काम करने के लिए अपनी सहमति जताई थी।
समीर इस कहानी में कौन सा काम करता था?
समीर इस कहानी में एक टूरिस्ट प्लेस को घुमाने वाला व्यक्ति था वह आने वाले मेहमानों को पुलिस प्रेस के बारे में बताएं करता था।