Hindi Kahaniyan – आज की इस कहानी में हम लोग एक कपड़ों की कपड़ों की लालची बहू कहानी के बारे में पढ़ने वाले हैं। इस कहानी में मुख्य किरदार एक सासू मां जिसका नाम शालिनी है और एक बहू जिसका नाम नीलम है तथा बेटा जिसका नाम अरविंद है।
इस कहानी में हमें एक बहुत बड़ा सीख मिलता है कि हमें ज्यादातर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए और कपड़ों को खास करके बर्बाद नहीं करना चाहिए। क्योंकि पैसे मुसीबत में काम आते हैं और आलतू फालतू में पैसे खर्च नहीं करने चाहिए तो चलिए कपड़ों की लालची बहू की कहानी की शुरुआत करते हैं।
कपड़ों की लालची बहू कहानी – Story in Hindi

एक घर में एक छोटी बेटी रहा करती थी जिसका नाम नीलम था। नीलम शुरुआत से ही बहुत ज्यादा फैशन का चौकीदार देवरवा अपने तीन-चार घंटों के अंतराल में ही कपड़ा बदलाव किया करते थे।
मतलब यह है कि वह उसकी आदत वैसी हो गई है कि वह एक 1 घंटे के अंतराल में नए-नए कपड़ा बदलना चाहते थे और पहले से पहना हुआ कपड़ा द्वारा इस्तेमाल के लिए नहीं लाया करते थे।
उसकी इस आदत से उसके घर वाले परेशान थे और उसकी मम्मी हमेशा कहा करते थे कि तुम जिस घर जाओगे जिस घर में तुम्हारी शादी हो गई कि उस घर में तुम कैसे रह पाएंगे इस तरह का कार्य कर करती हो।
कुछ ही दिनों के बाद नीलम की शादी हो जाती है और उसे एक अच्छा सा परिवार मिलता है उसकी सासू मां का नाम शालिनी था उसके हस्बैंड का नाम मतलब कि नीलम के पति का नाम अरविंद था।
जब उनकी शादी हुई तो शादी के कुछ ही दिन बाद नीलम की बार-बार कपड़े बदलने की वजह से उसकी सासू मां शालिनी बहुत परेशान हो जाया करती थी। क्योंकि उनके कपड़े बदलने के कारण समय का बहुत ज्यादा अभाव देखने को मिलता था।
सही समय पर सही काम नहीं हुआ करती थी यही कारण है मतलब नीलम की सासू मां उससे बहुत ज्यादा गुस्सा होती थी और कहते थे कि वह तुम ऐसे ही करती रहोगी तो घर का काम कैसे होगा। 3 बार में तीन चार बार कपड़े पढ़ लोगे तो घर में काम कैसे करोगे।
Lalchi Bahu Ki Kahani
एक दिन की बात है नीलम जी आप अपने रूम में गई तो उन्हें काफी ज्यादा समय लग गया था रूम में यही देख कर उसकी सासू मां मतलब कि शालिनी भी नीलम जी रूम गई तो उन्होंने देखा कि नीलम हमारे से कपड़े इधर-उधर फेंक रही थी।
तभी उसकी सासू मां नीलम के रूम में पहुंच जाती है और कहती है कि नीलम तुम इतना देर हो रूम में क्या कर रही हो तभी नीलम कहती है कि सासु मां मुझे पता नहीं चल रहा है मैं आज कौन सा कपड़ा पहना और मैं सुबह 8:00 बजे कपड़ा पहना था और अभी 12:00 बज रहा है इतना देर हो गया है मुझे कपड़ा चेंज करना पड़ेगा।
तभी उसकी सासू मां कहती है कि बेटी तुम इतना ज्यादा कपड़ा मत दोगी तो घर का सारा काम कौन करेगा तुम्हारे कपड़े बदलने के लिए तो दिन भर में 2 घंटा बर्बाद हो जाता है। लेकिन नीलम कपड़ा का इतना शौकीन थे कि वह कुछ भी हो जाए कपड़े को बदलने में किसी भी प्रकार का हिचकिचाहट नहीं रखा करती थी।

1 दिन की बात है जब शाम के समय सभी लोग खाने पर बैठा तो नीलम से उनकी सासू मां कहती है कि बेटा तुम अभी 8:00 बजे शाम में ही कपड़ा बदल कर आई थी और अभी 10:00 बज रहा है माधव 2 घंटे में ही तुमने फिर से कपड़ा बदल लिया यह कैसा नियम है।
तभी नीलम कहती है कि मां मुझे 2 घंटे हो गए हैं कपड़ा पहने हुए इसलिए मैंने बदल कर आई हूं खाना खाने के लिए फिर खाना खाकर जाएंगे आऊंगी और फिर कपड़े बदलकर नाइटी पहना होगा।
यह सुनकर नीलम कहती है कि सासू मां आपने अभी खाना खा रहा है दिन भर में दो-तीन बार तो आप भी खाना खा लेती होगी इसका क्या मतलब है कि आप फालतू में खाना खा रहे हो। तभी उनकी सांसों में रहती है कि बेटियां कहां आना है खाने से एनर्जी आती है तभी नीलम कहती है कि मां जी मुझे भी कपड़ा बदलकर एनर्जी आती है और मैं कपड़े बदलने की आदत हो कभी नहीं छोड़ सकती हूं।
Family Stories in Hindi
एक दिन की बात है नीलम और उनके पति और आगे सासू मां को कहीं पार्टी में जाना था अरविंद ने कहा कि तुम सब लोग जल्दी जल्दी तैयार हो जाओ 1 घंटे के अंदर गाड़ी आ जाएगी और हम लोग को पार्टी के लिए निकलना होगा।
काफी देर हो गया नीलम रूम में गई है और अभी तक निकली नहीं थी तभी अरविंद जाकर देखता है कि नीलम अभी तक अलमारी से कपड़े निकाल निकाल कर देख ही रही थी और कह रहे थे कि मैंने सारे कपड़े को पहन लिया है लेकिन पार्टी के लिए मेरे पास कपड़े नहीं है तो मैं कौन सा कपड़ा पहनो।
तो भी काफी देर हो जाती है और उसकी सासू मा वि रूम के अंदर आ जाती है सासू मां यह सब देखती है तो गुस्से में आ जाती है और कहती है कि अरविंद से कि तुम ऐसे कपड़े खरीदने के लिए पाबंदी लगाओगे या बाहर जाती हो कपड़े खरीद कर लाती है ऐसा करो तुम इसे बाहर जाने के लिए एकदम पाबंदी लगा दो।
अरविंद ऐसा ही करता है वह अपनी पत्नी को बाहर जाने के लिए पाबंदी लगा देता है तब यह फालतू के कपड़े खरीदना पाए लेकिन कुछ ही दिनों के बाद वे फिर से कपड़ा खरीदने लगती है जैसे यह कैसा सुना को पता चलता है तो वह अरविंद से पूछती है कि क्या तुम्हें फिर से पैसे लेने बाहर जाने देने लगा है यह तो कपड़े खरीदने लगी है।
तभी जाकर अरविंद अपनी पत्नी नीलम से पूछता है कि तुम फिर कपड़े लेने लगी हो तुम बाहर भी नहीं जाती है तो कैसे लाती हो। यह सुनकर नीलम ने कहा कि मैं कपड़े के बिना नहीं रह सकती हूं और मुझे कपड़े चेंज करने ही पड़ेंगे इसलिए मैं ऑनलाइन शॉपिंग करके डिलीवरी ब्वॉय से कपड़े मंगवाया करती हूं और पहना करती हूं।
यह सुनकर नीलम की सासू मां से नहीं कहती है कि देखा बेटा अरविंद कैसे बहुत उन्हें लाई है तुम्हारा कहना नहीं मानती है और फिर भी कपड़ा नया नया खरीद कर कोरियर से मंगवाया करती है। तुम्हारे बिन कहता है कि तुम्हारे बहुत ज्यादा कपड़े करने की आदत हो गई है ना अब मैं तुम्हें पैसा ही नहीं दूंगा देखते हैं तुम कैसे कपड़ा खरीद ती हो।
अरविंद कमलेश्वर से ऐसा ही करता है वह नीलम को एक भी रुपया नहीं दिया करने लगा था। कुछ दिनों तो नीलम कपड़ा खेलने की आदत छूट गई थी लेकिन एक बार फिर से उन्होंने कपड़ा कितने चालू कर दिया था इससे अरविंद हो उसकी सासू मां शालिनी को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था।

तभी अरविंद जाकर दिल हमसे पूछता है कि मैंने तुम्हें पैसे भी नहीं दिए बाहर जाने की अनुमति भी नहीं दिया तो तुम कैसे कपड़ा खरीद रही हो। यह सुनकर नीलम कहती है कि आपने तो पैसे नहीं दिए खरीदने के लिए लेकिन जब मैं मेरी शादी हो गई थी तू और मैं यहां आई थी तू मां ने मुझे एक सोने का हार दिया था उन्हीं हार को में बेचकर नई नई कपड़े खरीद कर लाया करती हूं।
यह सुनकर अरविंद आग बबूला होता है और कहता है कि तुम किसी भी हालत पर नहीं सुधरोगे हमसे तुम्हारे गहने भी छीन कर दूसरे बक्से में ताला लगा कर रहूंगा। उन्होंने अगली सुबह से ही किया उनके गहने निकाल कर दूसरे बक्से में ताला लगा कर चला गया था।
घर-घर की कहानी
एक दिन की बात है अरविंद घर में कुछ खोज रहा था तभी दिलम कहती है कि क्या खोज रहे हो इतनी देर से सभी अरविंद कहता है कि मैंने ₹25000 अलमारी में रखा था तुमने देखा है क्या। तभी नीलम कहती है कि हां मैंने देखा है मैंने उन सभी पैसों से अपने लिए कपड़े खरीद लाई हूं और हर रोज एक एक नए नए कपड़े पहनती हूं हां।
लेकिन अरविंद को उन पैसों का बहुत ज्यादा काम था वह एकदम मायूस हो गया और एकदम रोने की हालत हो गई थी क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा उन रुपयों की जरूरत है। तभी नीलम कहती है कि मुझे नहीं पता था कि यह रुपया इतना जरूरी था मैंने बेकार ऐसे खर्च कर दिया अब इतनी सारी प्लीज एक साथ आप कहां से लाएगा और आप अपने काम में कहां से यूज कीजिएगा।
तभी नीलम नए नए कपड़े खरीदने के सभी आदत हो से भूलने की अपने पति को कसम खाती और कहती है कि मैं कभी भी बिना आपकी मर्जी से कपड़े नहीं लूंगी। और आओ अब साले नहीं नीलम और उनके पति खुशी-खुशी अपने घर में एक साथ रहा करते हैं और जब भी जरूरत पड़ती है तभी नीलम कपड़े लिया करती है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा है?
इस कहानी में हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी किसी भी चीज को ज्यादा बर्बाद नहीं करना चाहिए और किसी भी चीज को ज्यादा मात्रा में नहीं प्रयोग करना चाहिए। हमें जो भी चीज है जितना चाहिए उतना ही लेना चाहिए क्योंकि किसी भी चीज को अधिक लेने से उनका बर्बादी होने का कारण हो सकता है।
अगर हमारी तरफ से जारी किया गया Story Hindi वेबसाइट की यह कहानी जिसमें आप शालिनी, नीलम और उसके पति के बारे में Story in Hindi की जानकारी ले रहे थे। उम्मीद है कि आप सभी को हमारी तरफ से जारी किया गया हिंदी कहानी आप सभी को पसंद आया होगा।
FAQ of लालची बहू कहानी
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नीलम कौन थी?
इस कहानी में नीलम एक घर की बहू थी जिसे नए नए कपड़े खरीदने और पहनने का बहुत ज्यादा शौक था।
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कपड़ों की लालची बहू की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
कपड़ों की लालची बहू की इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि हमें किसी भी चीज को ज्यादा नहीं लेना चाहिए और ना ही उसे बर्बाद करना चाहिए।
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अरविंद ने नीलम को किस तरह से समझाया?
अरविंद ने नीलम को उनके रुपए खर्च करने के कारण हुआ भोजन दुखी हो गया था और उन्हें बहुत ज्यादा रुपयों की जरूरत थी इसी कारण से नीलम ने कपड़े और पैसे बर्बाद करने के लिए मान गई थी।
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स्टोरी इन हिंदी से हमें क्या लाभ होता है?
स्टोरी इन हिंदी से हमें बहुत सारे सीख मिलती है खासकर के बच्चों के लिए जो कहानियां होती है जो प्रेरणादायक कहानियां होती है वह हम सभी बच्चों के लिए बहुत ज्यादा मानसिक विकास के लिए कार्य होता है।