Moral Stories in Hindi: आज की इस कहानी में हम लोग टोकरी वाला की सफलता की कहानी जिसे हम अपने शब्दों में नैतिक कहानियां तथा अंग्रेजी में मोरल स्टोरी करते हैं। आज की इस लेख में हम लोग टोकरी वाला की सफलता की कहानी के बारे में संपूर्ण कहानियां एक वेबसाइट पर पड़ने वाले हैं।
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टोकरी वाला की सफलता की कहानी | Moral Stories in Hindi
नागेश्वर नामक एक गांव में याकूब नाम का एक व्यक्ति रहता था वह तरह-तरह की टोकरी बनाता था। वह अपने गांव में है बगल के जंगल से जाकर बांस तथा टोकरी बनाने के लिए सभी प्रकार के सामग्री जंगल से लाया करता करता था। पूरे घर में वह खुद ही एकलौता आदमी था मेरा कहने का मतलब है कि याकूब दुनिया में कोई नहीं था वह अकेला ही अपने घर पर रहता था और काम करता था। काम कर कर जितने भी पैसे मिलते थे वह अपनी जरूरत के सामानों में उनका उपयोग किया करता था।
वैसे तो याकूब एक मुस्लिम परिवार से संबंध रखता था लेकिन जहां वह रहता था नागेश्वर नामक गांव में वहां के सभी लोग हिंदू जाति के लोग रहते थे। हो लेकिन फिर भी याकूब अकेला है उस इलाका में राह करता था। क्योंकि वहां का सभी लोग इतने अच्छे अच्छे थे सभी लोग एक साथ मिलजुल कर रहा कर देते रहो। तथा हिंदू मुस्लिम में किसी प्रकार का लड़ाई हो जाए इत्यादि कुछ भी नहीं देखने को मिलता था।
Tokri Banane Wala
नागेश्वर नामक गांव में जब किसी मुस्लिम को जरूरत पड़ती थी तो कोई हिंदू मदद करता था और जब दूसरे हिंदू को जरूरत होता तो कोई मुस्लिम मदद करता था। हिंदू-मुस्लिम इतनी ज्यादा मित्रता थी कि वहां पर कोई भी किसी को जाति से नहीं पुकारा करता था सभी लोग अपनी-अपनी एक साथ रहा करता था।
याकूब वहीं पर अपना दुकान बनाकर अपना काम नहीं किया करता था जो कि एक प्रकार का टोकरी बनाने का काम था। याकूब हमेशा से ही अपने काम में ज्यादा फोकस करता था और आलतू फालतू के कामों में अपना दिमाग नहीं लगा था। वह बस अपने काम करने के लिए इधर उधर जाया करता था और अपनी सामान लाने के लिए। वह सुबह सुबह ही अपने दुकान का सभी सामान ले आता था और दिन भर टोकरी बनाया करता था। फिर एक दिन टोकरी बनाने के बाद दूसरे दिन उसे बेचने के लिए जाना होता था मार्केट।
1 दिन की बात है जब हुआ सामान लेकर अपना दुकान वापस आ रहा था तो उसे रास्ते में एक 10 साल का लड़का मिलता है वह लड़का याकूब से कहना है कि मुझे ₹2 दे दीजिए मेरे पास खाने के पैसे नहीं है। याकूब अपने पास से ₹2 पैसे निकाल कर दे देता है और याकूब को अपनी दुकान चला जाता है।
दूसरे दिन याकूब को फिर सामान लेकर अपना दुकान आ रहा था तुम ही उसे रास्ते में फिर से वही लड़का मिलता है और कहता है कि मुझे ₹2 दे दीजिए मेरे पास खाने के पैसे नहीं है। या को फिर से उसे ₹2 दे देता है और उससे पूछता है कि तुम रोज हम से पैसे क्यों मांगता है। तभी वह छोटा बच्चा 10 साल का कहता है कि मेरे पास खाने के पैसे नहीं है मेरे घर तथा परिवार में कोई नहीं है मैं अकेला ही रहता हूं और भीख मांग कर खाता हूं।
आपसे एक बार पैसे मांगे थे तो आपने दे दिया था इसी कारण से मैंने दोबारा आपसे मिलने की इच्छा जताई। तभी याकूब घर जाने की अगर तुम्हारे पास खाने के पैसे नहीं आए तो क्या तुम मेरे साथ आओगे मेरे घर में रहोगे मेरा काम करोगे नहीं तुम्हें तीन वक्त का खाना दूंगा और साथ में रहने का भी जगह दूंगा। वह लड़का याकूब के साथ रहने के लिए मान जाता है जब याकूब ने उसका नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम वासु बताया था।
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तीन बार खाने के लालच में वासु की आंखों के पास रह जाता है। और याकूब को भी उसे अपने पास रख लेता है। धीरे-धीरे वह लड़का वासु तो कुछ बनाने का काम सीखने लगता है तथा तरह-तरह की अच्छी-अच्छी टोकरी बनाने लगता है। वह इतना अच्छा टोकरी बनाया करता था कि लोग उनकी टोकरिया को तुरंत ही खरीद लिया करते थे।
याकूब धीरे-धीरे उनका काम में हाथ बताने लगा था वह जब जंगल से बांस इत्यादि लाने के लिए जाया करता था तभी वासु उसकी मदद करने के लिए उसके साथ जाता था। एक बार की बात है दोनों जंगल में बांस जाने के लिए जाता है जाते ही बारिश शुरु हो जाती है और राष्ट्रीय में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है ना ह बांस लाने के लिए जाता है जाते ही बारिश शुरू हो जाती है और रास्ता में कीचड़ ही कीचड़ हो जाता है।
याकूब अपनी अपने सर के ऊपर बांस का पौधा लेता है और वासु भी अपने हाथों में कुछ सामान देता है और दोनों घर की तरफ चल पड़ता है। दोनों आते आते रास्ते में एक बार याकूब की पैर फिसल जाती है और वह कीचड़ में गिर जाता है। याकूब के हालत खराब हो जाती है क्योंकि उनके हाथ में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था। बगल से रोड पर जा रहे वासु ने एक रिक्शे वाले को बुलाया और याकूब को रिक्शा में बैठा कर अस्पताल ले गया था।
डॉक्टर अस्पताल में याकूब को सही से चेक करता है और वासु को कहता है कि इनकी हाथ टूट गई है अब इन्हें 6 महीने तक आराम करने की जरूरत होगी। अगर हो इन 6 महीनों में ने कोई भी काम किया तो ही नहीं फिर से किसी भी प्रॉब्लम हो सकती है अच्छा होगा कि इनसे 6 महीने तो कोई भी काम ना कराएं। वासु डॉक्टर को कहता है कि मैं याकूब जी से 6 महीने से किसी भी तरह का काम नहीं करने देंगे। फिर वासु याकूब कहां से रिश्ता पर बैठा कर घर ले आता है और उसे आराम करने के लिए रूम में सोने के लिए कहता है।
कुछ दिन इसी तरह से भी पता चला गया मास 2 महीनों के अंदर है घर में कितना पैसा बचा हुआ था जितना भी पहले का पैसा था सभी खत्म हो गया था। अब वासु सोचता है कि 6 महीने तक तो याकूब जी उठ नहीं पाएंगे ऐसे में घर का खानपान तथा दवाई के खर्चा तो हम सभी को मिलकर ही करना होगा।
पैसे ना होने के कारण वह फिर से खुद ही अपने दम पर जंगल जाता है और वहां से एक एक बार एक 1 घंटे में दिनभर बादल आया करता था तभी जाकर वह कुछ बांस इकट्ठा कर पाता था। एक दिन मुझे तो बस लाने में लग जाता था और फिर वह धीरे-धीरे टोकरी बनाया करता था फिर एक दिन वह मार्केट जाता था उनको टोकरी को बेचने के लिए और फिर वहां से पैसे लेकर आता तो याकूब जी के लिए दवाइयां तथा घर के लिए राशन भी खरीद कर लिया था राहु
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इसी तरह से याकूब की देखभाल वासु ने अगले 6 महीने तक निरंतर किया और खुद के दम पर चाहे कितना भी परेशानी क्यों ना हो अपने दम पर टोकरी बनाया करता था। वासु यह बात बखूबी जानता था कि आज वह जिस हालत में है और वासु आज भी हालत में है उसका सबसे बड़ा क्रेडिट याकूब देखो जाता है और आज जब उनको हमारी जरूरत है तो हुआ कुछ नहीं कर सकता है ऐसा करना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
कुछ दिनों बीतने के बाद जब 6 महीना पूरा होता है बबुआ सुबह थोड़ा बहुत चल पाता था लेकिन उसे पूरी तरह से सही होने में लगभग 7 से 8 महीने लग गए थे। 7 से 8 महीने तक लगातार वासु से देखभाल कर रहा था और उनके लिए टोकरी बना कर घर का राशन होगी तो भाइयों के लिए खर्चा भी निकाला करता है।
याकूब जब पूरी तरह से ठीक हो जाता है तो वह व्हाट्सएप को बहुत ज्यादा धन्यवाद कहता है। यह देखकर वालों की आंखों में आंसू आ जाता है और कहता है कि आज जो मैंने आपके लिए दिया वह को तो कुछ भी नहीं है क्योंकि आज जो मैंने किया उसके काबिल तो आप ही बनाया है। मैं बिना किसी मां-बाप का लड़का रोड पर घूम फिर कर अपनी जिंदगी बसर करता था लेकिन आपने उसे अपने घर में लाकर एक अच्छा सा सा हुनर सिखाया है यह तो आपका धन्यवाद गाना चाहिए मुझे जो आपने मुझे इतना अच्छा जीवन दिया।
टोकरी वाला की सफलता की कहानी से आप क्या सीखते हैं?
टोकरी वाले सफलता की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें जिन्होंने पाल पोस कर बड़ा किया है हमें उनके साथ बुढ़ापे में कभी भी अन्याय नहीं करनी चाहिए। साथिया में अपने माता-पिता का हमेशा अपने से बढ़कर ध्यान रखना चाहिए।
टोकरी वाला की सफलता की कहानी का निष्कर्ष
आज किस कहानी में हम लोग टोकरी वाले की सफलता की कहानी के बारे में पड़े हैं। आप सभी को बता दूंगी हमें अपने माता-पिता तथा जिन्होंने हमें पाल पोस कर बड़ा किया जाए हमारे माता-पिता हो भैया जिसके माता-पिता नहीं हैं उनके जो भी अभिभावक है ऐसे दादा-दादी नाना-नानी हमें सबका ध्यान रखना चाहिए।
FAQ टोकरी वाला की सफलता की कहानी
वासु ने याकूब से कितने रुपए मांगे थे?
वासु ने याकूब से ₹2 पैसे मांगे थे।
याकूब इस प्रकार का काम करता था?
याकूब जंगल से टुकड़ा लाकर उसे टोकरी बनाया करता था और फिर उसे मार्केट में ले जाकर बेच दिया करता था।
अनाथ बच्चा वासु याकूब को किस प्रकार मिला?
वासु याकूब के पास में एक मांगने आया करता था और याकूब ने उसे अपने पास रख लिया।
याकूब के साथ किस प्रकार की घटना घटी थी?
याकूब के साथ वह जब लकड़ी ला रहा था तभी रास्ते में गिर कर उनके हाथ टूट गए थे।
याकूब की मदद वासु ने किस प्रकार किया था?
याकूब की मदद हो वासु ने उनका सारा काम करके तथा उनका दवाई खिलाकर तथा सभी प्रकार के काम कर कर उनकी मदद किए थे।
नैतिक कहानियां हमें क्यों पढ़नी चाहिए?
नैतिक कहानियां में मिलने वाली प्रश्न दायक सीख हम सभी के लिए नवरत्न के समान होता है। यही कहा नहीं कि हमें नए-नए बच्चों के लिए प्रेरणादायक कहानियां पढ़ना चाहिए।