आइए अब हम लोग इस Story in Hindi में गणेश जी की अनोखी कहानी के बारे में जाने का प्रयास करते हैं। यह एक प्रकार के धार्मिक कहानी है। जैसा की आप सभी को पता होगा कि Dharmik Kahaniyan in Hindi, Story in Hindi हमारे जीवन में अति आवश्यक है। क्योंकि धार्मिक कहानियाँ पढ़ने और सुनने से हमारे जीवन में धार्मिक गुण उत्पन्न होते हैं।
जैसे हम किसी भगवान की प्रार्थना करते हैं उसकी पूजा करते हैं उसकी आराधना करते हैं उसी प्रकार से गणेश जी की भी पूजा होती है आराधना होती है। गणेश जी की अनोखी कहानी में आज हम लोग गणेश जी की अनोखी दास्तान के बारे में जानने वाले हैं।
हम सभी को सदा हमारे बच्चों को इंटरनेट पर धर्मी कहानियों के बारे में पढ़ने का मौका बहुत कम मिलता है। जिस कारण से आज हम लोग StoryHindi.Net की वेबसाइट पर धार्मिक कहानियों के संग्रह को आपके सामने लेकर आया हूं। यहां आपको बहुत सारी धार्मिक कहानियाँ पढ़ने को मिलेगी।
आज के इस कहानी में गणेश जी की अनोखी कहानी के साथ साथ Ganesh ji ki story, गणेश जी की कहानी, Ganpati ki kahani, गणेश जी की कहानी खीर वाली, Ganesh ki kahani, गणेश जी की छोटी सी कहानी, गणेश जी की आरती और भी गणेश जी की तरह तरह की कहानियों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे।
गणेश की अनोखी कहानी – धार्मिक कहानियाँ
भारत के सबसे बड़े और सबसे धार्मिक जगह वाराणसी में एक सेठ और सेठानी रहते थे। सेठ देखा कपड़े का बहुत बड़ा कारोबार था। उसकी एक कपड़े की दुकान थी उसी दुकान से उसका पूरा घर तथा रोजी रोजगार चलता था। दुकान बहुत ज्यादा बढ़ा था उसमें करीब करीब 10 से भी ज्यादा काम करने वाले लोग काम करते थे।
सेठ सेठानी भगवान श्री गणेश जी की बहुत बड़ा भक्त था। वह हमेशा सुबह उठते ही भगवान श्री गणेश जी की पूजा आराधना करते हुए श्री गणेश जी को भोग लगाकर ही अपना खाना खाया करते थे। वह भगवान के प्रति बहुत ज्यादा भक्ति बाय होकर उसकी भी पूजा आराधना किया करते थे।
Ganesh ji ki story
1 दिन भगवान श्री गणेश किसी काम से कहीं जा रहे थे रास्ते में उसे भूख लगी थी। तभी श्री गणेश जी ने उसी सेठ सेठानी के खेत के ऊपर से गुजर रहे थे उसके खेत में गेहूं का पौधा लगा हुआ था। गणेश जी को भूख काफी जोरों से लगे थे उसने गेहूं के कुछ दाने खा लिया था।
गेहूं के कुछ दाने खाने के बाद भगवान श्री गणेश को यह एहसास हुआ कि उसने बिना पूछे किसी की मर्जी से किसी की खेत से दाने तोड़ कर खा लिए हैं। ऐसे में जब श्री गणेश जी को यहां बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा हुआ सोच रहे थे कि इसका कर्ज चुकाने के लिए मुझे जो भी करना पड़े मैं कर लूंगा।
उसके बाद भगवान श्री गणेश जी एक छोटे से बालक के रूप में प्रकट हो जाते हैं और सेठ सेठानी की जो दुकान थी कपड़े की उसी दुकान में चले जाते हैं। सेठ सेठानी की दुकान में काफी ज्यादा दिक्कत का सामना हो रहा था किसी कठिनाई में सेठ सेठानी घिरा हुआ था।
श्री गणेश जी को वहां पहुंचते ही उसकी दुकान की सारी परेशानियां दूर हो जाती है उसके बाद श्री गणेश जी बालक के रूप में प्रकट होकर वहां जाकर कहते हैं कि मुझे काम सही है क्या मुझे काम मिलेगा।
गणेश जी की कहानी
सेठ की सारा दुख दर्द खत्म होने के बाद भी वह बिल्कुल फ्री है मिजाज में थे, उन्होंने भगवान श्री गणेश जो प्रकट हुए थे दूसरी बालक के रूप में से काम पर रख लिया। उसने अपने काम पर रख लिया वैसे ही उसके दुकान में काफी ज्यादा तरक्की होने लगी थी।
कुछ दिन काम करते-करते भगवान श्री गणेश उसके काफी अच्छे एंप्लॉय हो गए लेट हो गए थे मतलब की वह अच्छे काम करते थे अब पूरी समझदारी से काम किया करते थे। अब भगवान श्री गणेश जी को सेठ सेठानी गणेशा नाम से बुलाया करते थे।
सेठ और सेठानी गणेशा के काम से बहुत ज्यादा खुश हुआ करते थे जिस कारण से उन्हें आप अपने दुकान से हटाकर अपने घर लेकर गए थे काम करने के लिए। अब गणेशा सेठ सेठानी के घर में जाकर काम किया करता था।
एक दिन की बात है सेठानी किसी काम से बाहर से आई थी और बिना हाथ पैर धोए वह मंदिर में प्रवेश कर रही थी। उसके बाद गणेशा जो छोटा वाला उसके घर में रहा करता था वह कहता है कि बिना हाथ पैर धोए मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
गणेश जी की कहानी खीर वाली
इतना सुनते ही सेठानी को गुस्सा आ गया वह तुरंत ही सेठ के पास गया और कहता है कि यह बालक मुझे जो मन सो कहता है। तभी सेठ कहता है कि ऐसा क्या कह दिया एक छोटे बालक ने सभी सेठानी कहती है कि यह मुझे मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया है।
तभी सेठ पूछता है कि ऐसी क्या बात हो गई उसके बाद से ठाणे कहता है कि मैं बाहर से आए बिना हाथ पैर धोए मंदिर में जा रही थी इसी कारण से उन्होंने मंदिर में जाने से मना किया है। तभी सेट करना है कि यह तो बहुत अच्छी बात है बिना हाथ पैर तोड़े बिना साफ सफाई किए हुए मंदिर में बिल्कुल भी प्रवेश नहीं करने चाहिए किसी को भी।
उसके बाद फिर एक दिन सेठानी को घर में पूजा यज्ञ हवन करवाने की जरूरत पड़ी थी। सभी लोग तैयार हो चुके थे यज्ञ का पूरा सामान आ गया था यज्ञ शुरू हो गई थी। उसके बाद सेठ गणेशा से कहता है कि जाओ घर जाकर देखो सेठानी है रेडी तैयार हो गई है तो उसे बाहर आने के लिए कहो।
जैसे ही श्री गणेशा अंदर जाता है तो देखता है कि सेठानी नहीं तो काले कलर का वस्त्रहरण किया हुआ था। तभी गणेशा कहता है कि सेठानी जी आप अभी यज्ञ हवन करने के लिए जा रहे हैं। ऐसे में आपको काले करार का वस्त्र बिल्कुल भी नहीं पहनना चाहिए इस कारण से आपके घर में बहुत ज्यादा समस्या हो सकती है और यह तुम्हें बिल्कुल भी सुधिया नहीं हो पाएगी।
गणेश जी की छोटी सी कहानी
उसके बाद सेठानी तुरंत सेठ के पास जाता है और कहता है कि इस गणेशा मुझे इस पर कहां से कहता है। तब ईश्वर कहता है कि यह तो अच्छी बात है काले कलर का वस्त्र पहन कर कभी भी पूजा नहीं करनी चाहिए जब तुम अपना बदल कर फिर से आओ।
साल बीत गया था बस गणेश चतुर्थी आने ही वाला था और गणेश चतुर्थी आप कुछ दिन में आ ही गया था। उसके बाद शेरों सेठानी कहीं बाहर गए हुए थे जिस कारण से उसे गणेश जी की मूर्ति खरीदने में देर हो गई थी। फिर उसके बाद जब शेर हो सेठानी मार्केट जाते हैं गणेश जी की मूर्ति खरीदी के लिए मूर्ति कहीं भी नहीं मिलती है।
ऐसे में अब गणेश चतुर्थी की पूजा भी करानी थी लेकिन मूर्ति ना होने के कारण सेठ और सेठानी तथा पंडित जी कभी उदास लग रहे थे। सभी सेठ सेठानी से पंडित जी कहते हैं कि आप लोगों को पहले ही मूर्ति का व्यवस्था कर लेनी चाहिए अभी मूर्ति कहां मिलेगा।
विनायक जी की कहानी
गणेशा भी वहां मौजूद था एक किनारे में बैठा हुआ था गणेशा तुरंत खड़ा हुआ और कहता है कि ऐसा करो मूर्ति की जगह मैं खड़ा हो जाता हूं आप उससे ही पूजा आराधना कर कर भोग लगाकर अपना गणेश चतुर्थी मना सकते हैं।
यह सुंदर सेठ और सेठानी को काफी ज्यादा गुस्सा आता है सेठ कहता है कि पहले तो तुम सेठानी को परेशान किया करता था और मुझे भी परेशान करने लगा है।
उसके बाद गणेश मूर्ति की जगह पर खड़ा होता है अपने असल स्वरूप में श्री गणेश जी के रूप में प्रकट हो जाते हैं। सेठ और सेठानी दोनों मिलकर पूजा हारना करते हैं और फिर भक्तिमय हो जाते हैं।
विनायक जी की कहानी छोटी सी
आपको बता देगी सेठ और सेठानी श्री गणेश जी पर गुस्सा हो गए थे इस कारण से वह अपने आपको बहुत ज्यादा दुखी महसूस कर रहे थे। गणेश जी ने तो तुरंत ही अपना असल रूप पर आकर पूजा होने के बाद हुआ वहां से गायब हो गया था।
उसके बाद से सेठ और सेठानी अपने मन में काफी ज्यादा दुख लेते हुए रह रहे थे। सेठ और सेठानी दोनों सोच रहे थे कि मैं कितना बड़ा गुनाहगार हूं कि मैं भगवान श्री गणेश जी को अपने घर में नौकर रखा हूं। इसके बाद बहुत दिन मतलब कि 1 सप्ताह कुछ खाने पीने नहीं लगा था जिससे दोनों की सेहत खराब हो चुकी थी।
1 दिन से एक ने सपने में आता है और कहता है कि आपकी कोई गलती नहीं है मैंने आपके खेत से गेहूं के कुछ दाने खाए थे जैसे कीमत चुकाने के लिए मुझे अपना काम करना पड़ा था। भगवान श्री कृष्ण को आशीर्वाद दिया कि आपको कभी भी किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी आपका बिजनेस अच्छा चलेगा उसे भगवान से ज्यादा करने लगे थे।
गणेश जी की अनोखी कहानी का निष्कर्ष
आज के इस Hindi Story हिंदी में हम लोग Dharmik Kahaniyan in Hindi के बारे में पढ़ रहे थे हैं। आपको बता दें कि इस कहानी में हमने गणेश जी की अनोखी कहानी के बारे में जानने का मौका मिला है।
Dharmik Kahaniyan हम सभी के जीवन में काफी अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है। क्योंकि धर्म की कहानियाँ पढ़ने से हमें काफी ज्यादा नैतिक जानकारियां मिलती है भगवान के प्रति सच्ची आस्था और श्रद्धा का अनुमान होता है। जिस कारण से हम सभी लोगों को रोज नई-नई भक्ति भगवान की भक्ति आराधना करते हुए भगवान श्री गणेश जी की कहानियाँ पढ़नी चाहिए।
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FAQ for Dharmik Kahaniyan in Hindi
भगवान श्री गणेश जी का दूसरा नाम क्या है?
भगवान श्री गणेश जी का दूसरा नाम तो लंबोदर तथा भगवान श्री गणेश जी को शुभ काम में याद करने वाला भगवान भी कहा जाता है।
भगवान श्री गणेश जी को हर शुभ काम करने से पहले क्यों याद किया जाता है?
क्योंकि भगवान श्री गणेश जी को उसके पिता भगवान शिव से वरदान प्राप्त है कि किसी भी शुभ कार्य करने से पहले श्री भगवान गणेश जी की पूजा आराधना किए बगैर पूरा नहीं हो सकता है।
हमें भगवान गणेश जी की पूजा क्यों करनी चाहिए?
हमें तो सभी लोगों को भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हम सभी के देवता है जो भगवान शिव जी के प्यारे पुत्र हैं।
गणेश जी की अनोखी कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
गणेश जी की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि भगवान किसी ना किसी रूप में सभी इंसानों को मदद करने के लिए आते ही रहते हैं। लेकिन हम उसे पहचान नहीं पाते हैं कभी-कभी।