लोहार की कैद में यमराज – Dharmik Kahaniyan 2023

आज की धार्मिक कहानी में हम लोग लोहार की कैद में यमराज की कहानी के बारे में पढ़ने वाले हैं। इस स्टोरी इन हिंदी में लोहार कथा यमराज के बारे में महत्वपूर्ण कहानियों का जिक्र किया गया है। आप सभी जो लोग धार्मिक कहानियों को काफी ज्यादा अच्छा मानते हैं और जो लोग धार्मिक कहानियों को प्रत्येक दिन पढ़ते हैं उन सभी लिए यह धार्मिक कहानियां एक बेहतर कहानी साबित हो सकती है।

ईश्वर की आराधना और पूजा करना मनुष्य के जीवन का परम कर्तव्य होता है। क्योंकि जो ईश्वर हमें इतना ज्यादा चीज खाने पीने अथवा बहुत सारी चीज से हमें मालामाल किया है उन्हें पूरे आराधना करना तो हमारा कर्तव्य ही बनता है।

इसलिए आज की कहानी में हम लोग यमराज जी की कहानी, Dharmik Kahaniyan के बारे में जानने वाले हैं। यमराज जी के इस कहानी में आज हम लोग धार्मिक कहानियों में यमराज से की कहानियां के बारे में जानने वाले हैं।

आज की इस कहानी में लोहार की कैद में यमराज की धार्मिक कहानियां के साथ-साथ शिक्षाप्रद धार्मिक कहानी, भगवान की पौराणिक कथाएं, ईश्वर पर विश्वास की कहानी, धार्मिक कहानी हिंदी में, 25 dharmik kahaniyan, धार्मिक कहानियां बच्चों के लिए, धार्मिक लघु कथाएं, प्रेरणादायक धार्मिक कहानी इत्यादि कहानियों के बारे में भी बताया गया है।

लोहार की कैद में यमराज – Dharmik Kahaniyan

बहुत पुराने जमाने के बाद है एक लोहार अपने दुकान में बैठकर लोहा पीट-पीटकर अपना काम कर रहे थे। तभी उसकी दुकान से 4 महात्मा और उसके शिष्य के गुजर हो रहे थे। शाम काफी ज्यादा होने के कारण उसे आगे चलने के लिए अच्छा नहीं सोचा था। उन्होंने लोहार के दुकान में गया और कहा कि क्या मुझे आज रात के लिए यहां रहने की व्यवस्था हो सकती है। उसके बाद लोहार कहता है कि यह कोई पूछने की बात है आप जैसे महात्माओं को शरण देने और हमें आपके मेहमान नवाजी करने का मौका दो बहुत ही किस्मत से ही मिलता है।

लोहार की कैद में यमराज - Dharmik Kahaniyan

उसके बाद लोहार ने महात्मा जी के ठहरने की पूरी अच्छी सी व्यवस्था किया उनका अच्छा से मेहमान नवाजी किया। और उसके बाद उनका पूरे आने-जाने के थकान के कारण होने वाले सभी प्रकार के दवाइयों का भी निवारण किया। जब महात्मा लोहार के यहां से जाने लगा तो महात्मा जी बहुत ज्यादा खुश हुए थे उसकी मेहमान नवाजी को देखकर।

इंग्लिश में महात्मा और उसके शीशे जाने की तैयारी कर रहा था उसके बाद महात्मा लोहार के पास आता है और कहता है कि तुम्हें तीन वरदान में दे सकता हूं बताओ तुम्हें क्या चाहिए। यह बात सुनकर लोहार काफी ज्यादा खुश हो जाता है कहता है की मैं तो ऐसी चीजें मांग लूंगा जैसे मुझे बहुत ज्यादा जरूरत होती है। वह बहुत सोचने लगा था और फिर कहता है कि मुझे 100 वर्ष की आयु तक जीने के लिए चाहिए है।

भगवान पर विश्वास की सत्य कहानी

महात्मा कहता है कि यह लो हो गया अब तुम 100 वर्ष तक जिंदा रहोगे। उसके बाद उसने महात्मा कहता है कि तुम अपना अगले इच्छा बताओ मैं जरूर उसे पूरा करूंगा। कुछ सोचने के बाद लोहार फिर कहता है कि आप मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरे दुकान में कभी काम की कमी ना हो। महात्मा ने लोहार को ऐसा वरदान दे दिया और कहा कि अब से 100 वर्ष तक तुम्हारे दुकान में किसी भी काम की कमी नहीं होगी।

उसके बाद महात्मा जी ने कहा कि अपना तीसरा वरदान बताओ। लोहार के पास कुछ समझ में नहीं आया वहां जल्दी बाजी कह दिया कि इस कुर्सी में जो भी बैठेगा वह मेरी मर्जी के बिना नहीं उठ पाएगा ऐसा वरदान दीजिए। महात्मा जी ने हुआ वरदान उसे दे दिया उन्होंने कहा कि आज के बाद जो भी इसको से में बैठेगा वह तुम्हारी मर्जी के बगैर उठ नहीं पाएगा।

उनकी जिंदगी अपनी खुशी चलने लगी थी उसके पास किसी प्रकार का कोई काम की कमी बिल्कुल भी नहीं हो रही थी कभी भी। उसके बाद उन्होंने बहुत दिनों तक हटा करना और जवान रहा लेकिन उसके सभी साथियों मर गए थे और कुछ-कुछ तुम वरना बूढ़े हो गए थे कि मरने वाला ही था लेकिन लोहार को अभी तक कुछ भी नहीं हुआ था। क्योंकि लोहार को महात्मा जी ने एक 100 वर्ष जीने की वरदान जो दिया था।

भगवान पर विश्वास करने वाला

जैसे ही एक 100 वर्ष पूरा होने ही वाला था कि हम राजेश के त्यौहार पर आता है और लोहा से कहता है कि तुम्हारा वक्त पूरा हो चुका है चलो मेरे साथ। उसके बाद लोहार अपनी होशियारी दिखाता है और यमुना से कहता है कि मुझे थोड़ी सी काम है मैया हथियारों को अलग अलग करके एक जगह रख दूं ताकि जो भी आएगा इसे ले जाएगा अपने प्रयोग के लिए। उसके बाद लोहार यमुना से कहता है कि आप उस कुर्सी पर बैठे 2 मिनट में मैं अपना काम पूरा कर लेता हूं मैं फिर आपके साथ चलने के लिए तैयार रहूंगा।

जैसे ही महात्मा जी वरदान दिया गया कुर्सी पर यमराज जी बैठता है लोहार बहुत ज्यादा खुश हो जाता है। वह बहुत ज्यादा जोरों से हंसने लगता है और कहता है कि आप मेरी मर्जी के बगैर तो कोई उठ भी नहीं पाएगा तुम मुझे मेरी मृत्यु तक पैसे लेकर जाओगे। उसके बाद लोहार वहां से चला जाता है और खुशी-खुशी अपने घर में जाकर पार्टी करने के बारे में सोचता है।

वजह से ही मुर्गे को काटने के लिए खोजता है तो मुर्गा काट कर तुरंत वापस जुड़ जाता है। क्योंकि यमराज जी को तो उन्होंने वहां पर बैठाकर कैद करके रखा था इस कारण से पूरी दुनिया में किसी की भी मृत्यु उस वक्त नहीं हो रही थी। फिर उसके बाद लोहार ने एक बकरी बुलाया उन्होंने कहा कि चलो इस बकरे की मीट से आज हम पार्टी करने में करेंगे।

भगवान की पौराणिक कथाएं

फिर उन्होंने जैसे ही बकरे को काटने की कोशिश की बकरा नहीं करता और वापस जुड़ गया और फिर वहां से भाग गया। उसके बाद लोहार सोचता है कि इस दुनिया में तो किसी की मृत्यु हो अभी नामुमकिन है।

लोहार की कैद में यमराज - Dharmik Kahaniyan

लोहार को मरने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं थी उन्होंने सोचा कि चलो मैं दाल चावल और प्राकृतिक चीजें खाकर ही गुजारा कर लूंगा लेकिन मैं अपनी मृत्यु का मजा नहीं सकूंगा। फिर उसने चावल दाल और प्राकृतिक चीजें खाना शुरू कर दिया था। यमराज जी को उस कुर्सी पर बैठे करीब करीब 1 साल बीत गए थे पूरी दुनिया में तबाही का मंजर था क्योंकि किसी की भी मृत्यु में ना होने के कारण आसमान पूरी तरह से मच्छर मक्खियों से काला पड़ गया था। उसके बाद खेतों खा लिया हनों में पूरी सदस्य हैं तितलियां और मधुमक्खियां तथा जानवर बहुत ज्यादा हो गए थे जिस कारण से खेत खलियान के सभी फसलें एक दिन में ही कहा जाया करता था।

शिक्षाप्रद धार्मिक कहानी

पूरी पृथ्वी पर बहुत ज्यादा जहरीले सांप पैदा हो गए थे और बहुत ज्यादा बड़े-बड़े सांप पैदा हो गए थे क्योंकि उसकी मृत्यु भी नहीं हो रही थी। अब तो पूरी दुनिया के लोगों का जीवन और जीना मुश्किल हो गया था। फिर उसके बाद लोहार को अपने पर पछतावा होता है और कहता है कि मैंने बेकार में यमराज को उस कुर्सी पर बैठा दिया पूरी दुनिया को तहस-नहस हो गया है।

फिर उसके बाद लोहार को अपने आप पर पछतावा होता है और कहता है कि मुझे तो मौत का मजा चखना ही है क्यों ना हम पूरी दुनिया को बचा ले वो यमराज को वहां से आजाद कर दे। वह फिर अपने लोहार वाली दुकान में गया हो यमराज को वहां से आजाद कर दिया। यमराजा आजाद होते ही वह बहुत गुस्से में ऐसा और लोहार को पकड़ा और ऊपर ले कर चला गया। उसके बाद धीरे-धीरे पूरी दुनिया में सभी की मृत्यु होने लगी थी और फिर दुनिया सामान्य हो गए थे।

इस कहानी में हमें क्या सीख मिलती है?

इस धार्मिक कहानी में हमें यह सीख मिलती है कि हमें सभी को मौत का मजा तो लेना ही है मौत से कोई भाग नहीं सकता है। किसी की मृत्यु कभी भी किसी भी वक्त हो सकती इसलिए कोई भी ज्यादा अपने घमंड को बढ़ावा ना करें और मनुष्य मनुष्य के काम आने का प्रबंध करें।

लोहारी खेत में यमराज धार्मिक कहानियां का निष्कर्ष

आज के Story in Hindi में हम लोगों ने यमराज जी के बारे में धार्मिक कहानियां पढ़ने का मजा लिया है। आप सभी को इस कहानी दें मतलब कि इस धार्मिक कहानी में कुछ ना कुछ सीखने के लिए जरूर मिला होगा।

क्योंकि इस कहानी में हम लोग लोहार की कैद में यमराज जी की धार्मिक कहानी तथा साथ-साथ धार्मिक लघु कथाएं, धार्मिक कहानियां बच्चों के लिए इत्यादि कहानियों का बेसिक रेसलिंग में किया गया है।

उम्मीद है कि हमारे तरफ से जारी किया गया कहानी मतलब की जय धार्मिक कहानियां आप सभी लोगों को काफी ज्यादा पसंद आया होगा। यदि हमारे द्वारा जारी किया गया कहानी पसंद आता है तो कृपया करके इसे अपने दोस्तों अपने परिवार वालों के साथ जरूर शेयर करें ताकि सभी को उसकी जानकारी का पता चल सके।

FAQ of Dharmik Kahaniyan in Hindi

आप अपनी जिंदगी में मृत्यु से क्या सबक लेते हैं?

सभी मनुष्य के जीवन और मृत्यु एक परम सत्य है और सभी को मृत्यु आना ही है। कोई भी मृत्यु से भाग नहीं सकता है।

यमराज जी और लोहार के कहानी से हमें क्या सबक मिलता है?

इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें किसी को भी कुदरत की चीजों को और उसमें रुकावट नहीं बनना चाहिए इससे पूरी सृष्टि की नियम को दिक्कत पहुंचती है।

मनुष्य को प्राकृतिक नियमों का पालन करना कैसा है?

सभी मनुष्यों को प्राकृतिक नियमों का पालन करना ही होता है। क्योंकि जो जिसके नसीब में लिखा होता है वह होकर ही रहता है इंसान चाहे कुछ भी करें।

मृत्यु को हम लोग किस नजर से देखते हैं?

मृत्यु को हम लोग इस दुनिया में सबसे ज्यादा परम सत्य मानते हैं क्योंकि मृत्यु कभी भी किसी भी वक्त आ सकती है। ऐसे में कोई भी अपने ऊपर अहंकार नहीं कर सकता है कोई भी मनुष्य अपने ऊपर या अहंकार से नहीं कर सकता है कि उसकी मृत्यु नहीं होगी।

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