बांस की बिरयानी वाले की सफलता – Moral Stories in Hindi

Moral Story in Hindi : बांस की बिरयानी वाली की सफलता की कहानी पर आधारित यह एक मोरल स्टोरीज इन हिंदी है जिसे हम सभी लोगों को पढ़ कर बहुत मजा आएगा। इस कहानी में मुख्य दो किरदार है और दोनों दोस्त हैं वह दोनों दोस्त अच्छे-अच्छे कार नाभि कर कर हम बांस की बिरयानी वाली सफलता पा लेती है।

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बांस की बिरयानी वाली की सफलता की कहानी पर आधारित आज की स्टेप हो हम आगे बढ़ाते हुए आइए जानते हैं कि इस कहानी में हमें क्या सबक मिलता है और हमें इस कहानी को पढ़कर कितना मजा आता है।

बांस की बिरयानी वाली सफलता की कहानी – Hindi Story

बांस की बिरयानी वाले की सफलता - Moral Stories in Hindi
बांस की बिरयानी वाले की सफलता

एक गांव में दो दोस्त हमेशा साथ रहा करता था एक का नाम समीर साल दूसरा का नाम आशिक दोनों दोस्त हमेशा एक साथ जहां जाते हैं वहां जाता था और दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा पसंद किया करते थे। दोनों में बहुत ज्यादा गहरी मित्रता थी और वह दोनों जहां भी जाते हैं 1 साल जाते थे चाहे कोई मजदूरी का कार्य करने हैं या कोई किसी भी प्रकार का काम हो।

वह जंगल से हमेशा बांस का टुकड़ा काटकर लाता था और बयानों से बेच दिया करता था हमेशा और रोजाना की उन दोनों की यही कहानी थी। वह हमेशा इसी प्रकार का कार्य किया करता था और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए। ऐसे तो उन दोनों का अभी शादी भी नहीं हुआ था लेकिन उनके माता-पिता तथा भारी बहन नबी छोटे-छोटे थे और उन लोगों का पेट भरने के लिए उन्हें प्रतिदिन काम करने के लिए तथा मजदूरी करने के लिए जाना होता था।

वह जंगल में जाकर छोटे-छोटे मांस के टुकड़े लाया करता था उसे मार्केट में एक ₹100 या ₹200 में बेच दिया करता था। 1 दिन की बात है समीर ने कहा कि आसिफ उस जंगल में देखो नदी के पार वाले जंगल में कोई नहीं आता जाता है वहां बहुत सारे पांच का पेड़ पौधा दिख रहा है बस बहुत मोटा मोटा और लंबा भी लग रहा है। अगर वहां से हम लोग बांस का पौधा को काटकर बड़ा-बड़ा लेकर आएंगे तो हमें मार्केट में अच्छी कीमत मिलेगी।

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तभी आशिक कैसा है की बात तो तुम सही कह रहे हो लेकिन वहां तक जाने के लिए नदी पार करनी पड़ेगी हमारे पास नाम ही नहीं है और नदी में पानी ही तो ज्यादा नहीं है लेकिन फिर भी आने जाने में खतरा बना रहेगा। धोबी समीर कहता है कि हम पैदल ही नदी पार कर लेंगे और उधर से कम कम बात लेकर आएंगे तो की आने में किसी प्रकार का दिक्कत ना हो पाएगा।

अगले ही दिन आंसू करता हूं और वैसा ही करता है वह दोनों जंगल के रास्ते नदी पार करके दूसरी जंगल में बांस काटने के लिए चले जाते हैं। जब दोनों वहां जाते हैं तो देखता है कि बांस बहुत बड़ा बड़ा है और लंबा चौड़ा है वह काटकर मार्केट में ले आता है बेचने के लिए पहले उन्हें बांस के बदले सो ₹200 मिल जाएगा थे लेकिन अब उन्हीं बातों को हुआ ₹500 में बेच दिया करता था।

धीरे-धीरे उनका बिजनेस वैसे ही चलता रहा और वह हमेशा की तरह प्रतिदिन वही जंगल से बांस का लकड़ी लेकर आ जाता था और मार्केट में से भेज दिया करता था। अब उससे पहले के मुकाबले काफी ज्यादा धनराशि की प्राप्ति होने लगी थी और उनका परिवार का पालन पोषण बढ़िया तरीके से होने लगा था।

बांस की इतनी अच्छी पैदावार को देखकर उन्होंने सोचा कि हम लोग सभी दिन इसी जंगल से मांस ले जाया करेंगे क्योंकि यहां तक किसी की नजर नहीं पहुंचती है और यहां तो किसी की आने की हिम्मत भी नहीं होती है क्योंकि बीच में नदी पार करना होता है।

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समीर और आशीष प्रत्येक दिन वही काम करता था धीरे-धीरे वह 80 लेवल पर पहुंच गया था। एक दिन जब वह दोनों मार्केट से बांस बेच कर आ रहा था तो रास्ते में देखा कि एक पनीर का दुकान है और पनीर भेज रहा है सभी उसे अचानक याद आया कि घर में मां ने उसे खाने पीने के लिए सामान लाने को कहा था।

दोनों अपने घर के लिए चावल राशन और पनीर ले लेते हैं और अपने घर की तरफ चल पड़ते हैं। बीच रास्ते में उसे याद आता है कि क्यों ना हम इसी रास्ते से जंगल चले जाएं और जंगल से मांस का टुकड़ा लेकर ही घर जाएंगे ताकि अगले दिन उसे बेचने के लिए मार्केट जाने में सुविधा हो सके। समीर और आशिक दोनों ने अपनी सहमति जताई उन्होंने कहा कि चलो अच्छी बात है आज हम पहले ही बांस ले आएंगे और घर में रहते हैं बाद में उसे मार कर ले जाकर भेजेंगे कल।

समीर और आंसर दोनों वैसा ही करता है वह बात के लिए शाम को ही निकल पड़ता है नदी के उस पार मास काटता है कार्तिक मास को काटते काटते तेज बारिश होने लगती है। वैसे तो नदी में पानी कम था आने जाने के लिए लेकिन जैसे-जैसे बारिश तेज हो रहे थे नदी का पानी बहुत तेजी से बढ़ रहा था। सभी आशिक और समीर पूछता है कि नदी में इतनी ज्यादा पानी हो गई कि हमारा जाना अब मुश्किल हो गया है हमें आज की रात इन्हीं जंगलों में गुजार ली होगी ताकि जैसी ही पानी कम हो जाए हम घर की तरफ चल बढ़ेंगे।

प्रयत्न से सफलता कहानी लेखन

दोनों वैसा ही करता है एक गुफा खोजता है जहां बारिश के पानी आ ना सके और वह उस गुफा में जाता है आराम करने के लिए लेकिन वहां उसे ज्यादा भूख लग जाती है। तभी समीर कहता है कि हम लोगों ने तो मार्केट से चावल और पनीर ले आए थे क्यों ना हम लोग यहीं पर कुछ बना कर खा लिया करें।

तभी आसिफ कहता है कि हमारे पास ना तो कोई बर्तन है है और ना ही कोई पकाने भाई हांडी हम किस चीज में अपना खाना बनाएंगे भाई। तभी समीर कहता है कि मैं कुछ दिमाग लगाता हूं तभी उसे अचानक ख्याल आया कि बांस की बंबू में बड़ा छेद होता है उसी क्षेत्र में चावल और पानी डालकर तक आएंगे तो खाने में मजा आ सकता है।

बांस की बिरयानी वाले की सफलता - Moral Stories in Hindi

उन्होंने वैसा ही किया मास का 3-2 टुकड़ा काट लिया छोटा-छोटा और उसमें चावल पानी पनीर नमक इत्यादि डालकर आग जलाता है और बांस की बंबू को आम पर रख देता है। थोड़ी ही देर बाद बासनी ऊपरी परत काला हो जाता है और अंदर से पता चलता है कि खाना भी बन चुका है।

दोनों बॉस का टुकड़ा को खोलता है और खाना खाने के बारे में सोचता है जैसे ही दोनों पहला खाना खाता है उन्हें इतना अच्छा समाधाना है कि दोनों मंद मुक्त हो जाते हैं। क्योंकि पास का बंबू में खाना बनाया हुआ इतना स्वादिष्ट लगाकर उन्हें बहुत मजा आया खाने के लिए।

तभी समीर कहना है कि अब हम दोनों को पास भेजने की क्या जरूरत है हम दोनों सीधा मांस यहां से लेकर जाएंगे और इसमें बांस की बिरयानी बनाकर लोगों को बेचा करेंगे। तभी आसिफ कहता है कि तुम सही कह रहे हो हमें इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत है अगर हमारे पास आइडिया है तो चलो हम लोग कल से ही इस धंधे को शुरू करते हैं।

अगले ही दिन समीर और आसिफ दोनों ऐसा ही किया गांव में एक बड़ा ठेला लगाया और दोनों बांस की बनी बिरयानी भेजने लगा था। बिरयानी इतनी स्वादिष्ट थी कि दूरदराज के इलाकों में भी जल्दी-जल्दी सेन की खबर पहुंच गई तथा गांव के लोग भी हमेशा इनके दुकान से ही बांस के बिरयानी ले जाकर खाया करता था।

सफलता की कहानी हिंदी में

दोनों ठीक उसी प्रकार से हर रोज प्रतिदिन ठेला लगाता और वहां बिरयानी बेचकर घर पर आ जाता था। अब वह प्रत्येक दिन जंगल से बांस लेने के लिए नहीं जाया करता था 1 सप्ताह में 1 दिन बाद लेने के लिए जाया कर बताओ फिर भी वह अपने पर्सनल उपयोग के लिए।

धीरे-धीरे उनकी होटल जम गई है और उनके पास बहुत सारा दाना गया था उसके बाद उन्होंने गांव में ही एक बड़ा होटल खोल लिया था जिसके बाद से वह दोनों ने वही होटल में फाइव स्टार बना कर दोनों पार्टनरशिप में कार्य कर रहे थे।

आप दोनों दोस्त मस्ती में रहा करते थे क्योंकि उनका अपना बिजनेस था अब पास लाने की दिक्कत नहीं थी हमारे घरों से बाहर मंगवाया करता था और अपने होटल के लिए बांस वाली बिरयानी बनाकर बेचा करता था हरा हो वैसे दोस्तों क्या आपने भी बांस वाली बिरयानी खाया है अगर खाई है तो नीचे कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको बांस वाली बिरयानी कैसी लगी खाने में है।

बांस की बिरयानी वाले की सफलता की कहानी का निष्कर्ष

आज की इस कहानी में हम लोगों ने बांस वाली बिरयानी की सफलता के बारे में पड़ा है। यह एक प्रकार का मोरल कहानी जिसे हम सभी को सबको मिलती है कि हमें अपने बिजनेस तथा किसी भी कार्य को करने के लिए अपने मन तथा अपने सरल स्वभाव से ही कार्य करना होता है तभी हमें कामयाबी मिल सकती है।

FAQ बांस की बिरयानी वाले की सफलता
  1. समीर और आसिफ कौन सा बिजनेस किया करते थे?

    समीर और आसिफ दोनों जंगल से बाहर आकर मार्केट में बेचने का काम किया करता था।

  2. समीर और आसिफ की कहानी से आप क्या समझते हैं?

    समीर और आशीष की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है कि हमें अपने काम को हमेशा अपडेट करना चाहिए और नए-नए तरीके ढूंढने चाहिए है।

  3. समीर और फिर दोनों मिलकर बाद में किस प्रकार का होटल खोला था?

    समीर इस कहानी में एक बांस से बनी है बिरयानी का होटल खोला था न्यू बहुत ज्यादा प्रचलित हो गया था।

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