जादुई नोटों की खेती – बच्चों के लिए Moral Hindi Kahaniyan

Story in Hindi : इस जादुई नोटों की खेती एक कहानी में हम लोग एक मोरल कहानी सुनने वाले हैं। इस कहानी में हम लोग दो भाई की कहानी के बारे में जानेंगे जो एक दूसरे के साथ बिल्कुल भी नहीं रहते और छोटा भाई तो बहुत ज्यादा ही शैतान था लेकिन समय के साथ उनकी सद्बुद्धि पर वापस आ गई थी।

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जादुई नोटों की कहानी – Story in Hindi

जादुई नोटों की खेती - बच्चों के लिए Moral Hindi Kahaniyan
जादुई नोटों की खेती

भीरपुर नामक एक गांव में दो भाई रहता था पहला भाई का नाम था राकेश और दूसरा भाई का नाम था विपिन। राकेश बड़ा भाई था और विपिन छोटा भाई बड़ा भाई हमेशा चाहता था कि हम सभी लोग मिलजुलकर एक साथ रहे लेकिन विपिन छोटा भाई हमेशा अपनी पत्नी की बात में आकर अपनी भाई तथा अपने बूढ़े पिता जी से लड़ाई झगड़ा करा कर उनसे झगड़ा किया करता था।

कुछ दिनों पहले ही छोटे भाई विपिन के कारण ही घर में बहुत सारा झगड़ा हुआ था और हो गया वहीं झगड़ा के कारण बंटवारा किया गया था। वह 1 दिन अपने पिता के पास आता है कहना है कि पिताजी मुझे बंटवारा चाहिए। भी पिताजी कहता है कि क्या तुम दोनों एक साथ मिलजुल कर काम नहीं कर सकते। तभी छोटे भाई विपिन कहता है कि मैं किसी के साथ काम नहीं करूंगा मुझे मेरा जमीन का बनवाना चाहिए मैं खुद ही अपना खेत खुद से ही कर लूंगा।

बड़े भाई को इससे किसी प्रकार का कोई मतलब नहीं था वह पिताजी के साथ अपनी जमीन का बंटवारा कर देता है और राधा जमीन अपने छोटे भाई विपिन को देता है। फिर दोनों को अपनी-अपनी खेत में काम करने लगते हैं राकेश बहुत मेहनत करता था अपने खेतों पर जाकर इसलिए उसकी फसल अच्छी होती थी। इसके विपरीत विपिन अपने खेत पर काम नहीं कर देते मजदूरों से काम करवाया करते थे और जब मजदूर उनके घर पैसे के लिए जाया करते थे तो उन्हें पैसे नहीं दिया करते थे।

इसी कारण से मजदूरों ने के खेत में सिर्फ काम करने का दिखावा करते थे सही से काम नहीं करते नहीं इसलिए उसके खेत की फसल अच्छी नहीं होती थी। इसके विपरीत उसके बड़े भाई राकेश खुद खेत पर जाकर मेहनत करते थे और उनकी फसल बहुत ज्यादा दामों में बिका करती थी मार्केट में है।

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जो दोनों का फसल तैयार हो गया तो इस बार देखा कि राकेश की फसल बहुत अच्छा हुई थी और विपिन की फसल बहुत ज्यादा खराब। राकेश के उसके फसलों के बदले मार्केट में उससे ₹200000 मिले थे जबकि विपिन को सिर्फ ₹100000 मिले थे। यह नेकेड विपिन अपने बड़े भाई राकेश से जलने लगा था। लेकिन बड़ा भाई को बड़ा भाई होता है और कहा भी जाता है कि बड़ा भाई एक पिता के समान होता है वह कभी भी अपने छोटे भाई से बदला लेने की भावना से नहीं देखा और उन्हें कभी भी किसी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया।

लेकिन छोटे भाई ने कहां की या मेरा बड़ा भाई बहुत ज्यादा दामों में फसल को भेजता है अगले साल देखता हूं मुझे कैसे इतनी रकम फसल से निकाल पाते हैं। अगले साल दोनों अपनी-अपनी खेतों में फसल उगाने की तैयारियां शुरू कर दी थी। 1 दिन की बात है बड़े भाई राकेश कहीं किसी कार्य से संबंधित कार्य करने के लिए बाहर जाते हैं शहर और उसी दिन उसके छोटे भाई राकेश के खेत में एक प्रकार का दवाई डाल देते हैं जिसके कारण उसके खेत में बहुत सारे कीड़े लग जाते हैं।

जैसे ही बड़े भाई राकेश यादव लिखता है कि उनके खेत में बताने के लिए लगे हुए हैं उनका फसल बर्बाद हो गई है। उसी फसल को मार्केट में ले जाने के लिए इस बार राकेश को केवल अपने खेत से ₹20000 ही मिलते हैं। लेकिन उसके भाई को छोटे भाई विपिन को अपने ₹100000 का मुनाफा होता है। छोटे भाई विपिन बहुत खुश होता है कि उनके बड़े भाई ज्यादा नुकसान हो गया था।

बड़े भाई राकेश हमेशा जब उसके पास पैसे ना करनी थी तो किसी ने किसी मजदूर रे सीरथा मंदिर में पुजारी को मदद किया करते थे। लेकिन हम उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी वह अपने घर पर बनाने के लिए पैसे का जुगाड़ करने के लिए घूम ही रहे थे।

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तभी रास्ते में राकेश को एक बुजुर्ग मिलता है बुजुर्ग कहता है बेटा तुम बहुत परेशान लग रहे हो रहा। तभी राकेश कहता है कि हां भाई बहुत परेशान हूं कि जो इस साल मेरी खेत से केवल ₹20000 की आमदनी हुई है इतने में तो मैंने हल्का खर्चा और खान का खर्चा निकाल कर उन सभी लोगों को दे दिया है। लेकिन अब मेरे पास कुछ कहा नहीं पीनी है तथा मेरे परिवार को पसंद पसंद करने के लिए कोई धनराशि नहीं है हमें इस प्रकार से अपने परिवार को चला लूंगा या मुझे समझ में नहीं आ रहा है।

 वह बुजुर्ग राकेश को एक डब्बा देता है और कहना है कि इसमें जो बीज है उसे अपने खेत में लगाओ और देखो तुम्हारा कितना मुनाफा होता है। राकेश वैसा ही करता है वह अपने खेत में जाता है और उसमें बुजुर्ग के दिए हुए बीज को अपने खेत में लगा देता है। खेत में लगा नहीं 10 दिनों के अंदर खेत से 20 का छोटा छोटा पौधा निकल आया था लेकिन पौधा एक अजीब किस्म का था।

वह पौधा जैसा था वैसा आज तक कोई गांव वालों ने कभी उस तरह का पौधा नहीं देखा था साथ में कुछ दिन होने के बाद ही उसमें फल निकलने लगे थे जो हो एक अजीब किस्म असफलता रहा हूं। अगली बार हुआ बुजुर्ग राकेश के पास आता है और कहता है कि यह एक प्रकार का कैंसर की दवाई का पौधा है तुम इसे बाजार पर ले जाना चाहिए।

जब उस फल मार्केट भेजने के लिए ले जाता है तो उसे उस पल के बदले बहुत सारे पैसे मिलते हैं। वह सामग्री इतना ज्यादा महंगा था कि लोगों से लेने के लिए तथा मुड़े मुड़े डॉ आभा राकेश से संपर्क करने लगाता है। कि गेहूं के खेत में बहुत सारे पौधे हो गए थे और मार्केट में उसकी डिमांड बहुत ज्यादा थी। साथ ही राकेश के पास और भी बहुत ज्यादा बीज था क्योंकि उन्होंने अपने खेत में सिर्फ आधा बीच ही लगाई थी।

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यह देख कर उसका छोटा भाई विपिन बहुत ज्यादा जल्दी नहीं आता और राकेश के इस खेती के बारे में सोचने लगा था। एक दिन अचानक विपिन बड़े भाई राकेश के पास गया और कहना है कि भाई भाई मुझसे गलती हो गई है मैंने ही आप के खेत में कीड़ा लगाया था। लेकिन आप मुझे माफ कर दो मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा कृपया करके इस खेत में जो बीच लगाई थी अपनी मां मुझे दे दे मैं भी मुनाफा कमाने का प्रयास करूंगा।

राकेश के मन में अपने छोटे भाई के पास भी किसी प्रकार का कोई भी गलत सोच नहीं थी वह अपने छोटे भाई को जो अपने खेत में बीज लगाया था वही भी उन्हें दे देता है। यह विपिन जाता है अपने खेत में बीज लगाता है तो कोई दिन बाद देखता है कि मुझे खेत में पौधा निकल आया है।

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लेकिन जब पौधा बड़ा होता है तो वह देखता है कि उसके खेत में कोई फल नहीं लगा है बल्कि उसके फल में तो सिर्फ कांटे ही कांटे हैं। वह गुस्सा होकर राकेश के पास आता है और कहता है कि आप मुझे गलत चीजें दे दी लगाने के लिए मेरे खेत में तो सिर्फ खाना ही काटा हुआ है। ठीक उसी समय वही बुजुर्ग उस रास्ते से गुजर रहा था राकेश बुजुर्गों को बुलाता है और कहता है कि आपने जो भेज दिया था वही बीज महीने अपने खेत में लगाया है और अपने भाई को भी दिया है लेकिन मैं खेत में तो सही हुआ है मेरे भाई के खेत में कटाई करना होगा इसकी क्या राज है।

तभी वह बुजुर्ग आईसी कहता है कि तुम्हारे मन में किसी प्रकार का कोई लालच और किसी के प्रति कोई भी ईर्ष्या नहीं थी इसी कारण से तुम्हारा फसल बहुत अच्छा हुआ। साथ ही ऋषि आगे कहता है कि विपिन के मन में बहुत ज्यादा खराब स्थिति चल रहा है वह एक दूसरे को की जलन से अपने मन को खराब कर लिया है इसी कारण दूसरे खेत में उस प्रकार का बीज नहीं हो सकता है।

मेरे छोटे भाई विपिन अपने आप पर बहुत पछतावा करता है और बड़े भाई राकेश से हम माफी मांगते हैं। निरहुआ अपने-अपने जिंदगी को गुजारने लगते हैं एक दूसरे के साथ मिलकर। आपको बता दें कि हम विपिन अपने बारे में ही आकर से नहीं जला करता था अब साथ में ही रहता था।

इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी का बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि बुरा का फल हमेशा बुरा ही होता है।

जादू है नोटों की खेती की कहानी का निष्कर्ष

इस कहानी में हम लोग जादुई नोटों की खेती के बारे में बहुत अच्छी सी कहानी विस्तार से ज्यादा तक पढ़ा है। उम्मीद है कि हमारी तरफ से जारी किया गया या कहानियां आपको पसंद आया होगा क्योंकि हमने अपनी वेबसाइट पर इसी तरह की हिंदी कहानियां से संबंधित बहुत सारी कहानियां को प्रकाशित किया है।

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FAQ जादू है नोटों की खेती की कहानी
  1. जादुई नोटों की कहानियां कौन सी कहावत को सिद्ध करती है?

    जादुई नोटों की कहानियां कर भला तो हो भला कहावत को सिद्ध करती है।

  2. छोटे भाई विपिन अपने भाई पर क्यों जलता था?

    क्योंकि उसका बड़ा भाई राकेश बहुत ज्यादा पैसों की कमाई अपने खेतों से किया करता था इसी कारण से छोटे भाई विपिन अपने बड़े भाई से चला करता था।

  3. राकेश ने बड़े भाई राकेश को किस तरह का पौधा लगाने को कहा?

    उन्होंने राकेश को एक सुनहरे रंग का पौधे पौधे दिया था जैसे कैंसर की दवाई में प्रयोग किया जाता है।

  4. बड़े भाई राकेश के की फसल को नुकसान कौन गया था?

    उसके अपनी ही छोटे भाई ने बड़े भाई राकेश की फसल को नुकसान करवाया था, किसी दवाई को लेकर उसमें कितना लगाया था।

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